लाइफ स्टाइल

अनियमित पीरियड्स हो सकते हैं PCOS का लक्षण

Apurva Srivastav
24 May 2024 8:15 AM GMT
अनियमित पीरियड्स हो सकते हैं PCOS का लक्षण
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लाइफस्टाइल : पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) एक ऐसी कंडिशन है, जिसमें शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है। दरअसल, इस कंडिशन में ओवरीज एंड्रोजेन हार्मोन अधिक बनाने लगते हैं, जो आमतौर पर महिलाओं में काफी कम मात्रा में पाया जाता है। इसके कारण रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं। इसके अलावा, ओवरीज में सिस्ट यानी गांठें भी बन सकती हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर पीसीओएस से पीड़ित महिला को सिस्ट हों, लेकिन ऐसा भी हो सकता है।
इसका सबसे आम लक्षण है, अनीयमित पीरियड्स। लेकिन इसके अलावा, PCOS के कारण शरीर में भी कई बदलाव हो सकते हैं। इसलिए इस बारे में जानना बेहद जरूरी है, ताकि जल्द से जल्द इसका पता लगाकर, इलाज किया जा सके। इस बारे में और जानने के लिए हमने डॉ. रवींदर कौर खुराना (मेट्रो अस्पताल, फरीदाबाद, के स्त्री रोग एंव प्रसुति विभाग की प्रमुख और वरिष्ठ कंसल्टेंट) से बात की। आइए जानें इस बारे में उन्होंने और क्या जानकारी दी।
क्या हैं PCOS के लक्षण?
डॉ. खुराना ने बताया कि PCOS एक ऐसी कंडिशन है, जो महिलाओं में किशोरावस्था से लेकर 45 साल की उम्र, यानी रीप्रोडक्टिव एज के बीच ही होती है। इसमें सबसे आम समस्या यह होती है कि पीरियड्स नियमित रूप से नहीं होते। आमतौर पर, पीरियड्स 21-35 दिन की साइकिल के बीच होते हैं, लेकिन PCOS की कंडिशन में ऐसा नहीं होता और पीरियड साइकिल के बीच समय बढ़ने लगता है।
कई बार यह 2-4 महीने या उससे भी अधिक जा सकता है। इसलिए जब पीरियड्स होते हैं, तब फ्लो काफी हैवी होता है और साथ ही, सामान्य 3-5 दिनों की जगह ज्यादा दिनों तक होते हैं। पीरियड्स अनीयमित होने का कारण यह है कि पीसीओएस की कंडिशन में एग्स ठीक से नहीं बनते या बिल्कुल छोटे-छोटे एग्स बनते हैं, जिसकी वजह से ओवुलेशन नहीं होता है। ओवुलेशन न होने की वजह से ही, अनियमित पीरियड्स की समस्या भी हो सकती है।
पीसीओएस का दूसरा लक्षण है असामान्य बालों की ग्रोथ। इसमें चेहरे, जॉ लाइन्स, ठुड्डी, पेट, पीठ और जांघों पर मेल पैटर्न (मोटे और घने बाल) में बाल उगने लगते हैं। ऐसा हार्मोनल असंतुलन की वजह से होता है, क्योंकि एंड्रोजेन का लेवल बढ़ने लगता है। इसलिए महिलाओं में ऐब्नॉर्मल हेयर ग्रोथ होने लगती है।
पीसीओएस का एक और सबसे आम लक्षण है, एक्ने और पीपंल्स। हार्मोन असंतुलन की वजह से चेहर, पीठ और छाती पर एक्ने और पिंपल्स हो सकते हैं। एंड्रोजेन का लेवल बढ़ने की वजह से ऐसा होता है। इसकी वजह से सिस्टिक एक्ने तक हो सकते हैं, जिसके निशान भी रह सकते हैं या काफी देर से जाते हैं।
रीप्रोडक्टिव एज की महिलाओं में पीसीओएस की वजह से कंसीव करने में दिक्कत हो सकती है। दरअसल, एग ठीक से मेच्योर नहीं होते, जिसके कारण फर्टिलाइज नहीं हो पाते हैं। इसलिए इस कंडिशन में कंसीव करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन डॉक्टर की सलाह और दवाओं की मदद से महिलाओं को कंसीव करने में मदद मिल सकती है।
पीसीओएस के कारण वजन बढ़ने की समस्या भी हो सकती है।
कैसे करें PCOS की समस्या को कंट्रोल?
पीसीओएस की समस्या को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि आप अपनी सेहत का ख्याल रखें। इसके लिए डॉ. खुराना ने बताया कि PCOS मैनेज करने के लिए सबसे जरूरी है लाइफस्टाइल में बदलाव। लाइफस्टाइल में बदलाव करके ही इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है और इसके इलाज को और बेहतर बनाया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि इन जरूरी बातों का ख्याल रखा जाए-
अगर आपका वजन ज्यादा है, तो वजन कम करने की कोशिश करें। नॉर्मल बीएमआई रेंज के बीच वजन होने से ओवुलेशन की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद मिलती है और हार्मोन असंतुलन की समस्या भी कम होती है।
पीसीओएस की समस्या को कम करने के लिए अपनी डाइट में हेल्दी फूड्स को शामिल करें। इसके लिए अपनी डाइट में सब्जियां, फल, दही, साबुत अनाज, दाल, मछली, चिकन आदि को शामिल करें। साथ ही, जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड्स खाने से बचें। शुगर, मैदा, ज्यादा नमक, ज्यादा तेल और मसाले खाने से बचें। इनसे वजन कम करने में भी काफी मदद मिलेगी और हार्मोनल संतुलन में भी सहायता होगी।
रोज कम से कम 30 मिनट के लिए एक्सरसाइज करें। एक्सरसाइज करना हार्मोनल संतुलन के लिए काफी जरूरी होता है। साथ ही, इससे वजन कम होने के साथ-साथ पूरे शरीर को फायदा मिलता है।
अगर आप मानसिक तनाव से ग्रस्त हैं, तो ऐसे में आप थेरेपी या स्ट्रेस मैनेजमेंट के अन्य तरीकों को अपना सकती हैं। दरअसल, स्ट्रेस की वजह से भी हार्मोन्ल असंतुलित होने लगते हैं। इसलिए स्ट्रेस मैनेज करना बेहद जरूरी है।
पीसीओएस के कुछ मरीजों के साथ यह समस्या भी देखने को मिलती है कि जब तक वे दवाएं लेते हैं, यह समस्या नियंत्रित रहती है। लेकिन दवाओं को छोड़ते ही, परेशानी फिर से शुरू होने लगती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे लाइफस्टाइल में कोई सुधार नहीं करती हैं। इसलिए जरूरी है कि दवाओं के साथ-साथ जीवनशैली पर भी ध्यान दें।
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