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international yoga day: पीएम मोदी जाएंगे मैसूर, यहां के टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स की ख़ासियत जानिए
इंटरनेशनल योग डे की तैयारियां ज़ोरों पर है. देश ही नहीं दुनियाभर में इस खास दिन को लेकर उत्साह रहता है. बिगड़ती लाइफस्टाइल को ट्रैक पर लाने के लिए योग एक अच्छा माध्यम साबित होता है. यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति में भी मददगार साबित होता है. इस साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मुख्य कार्यक्रम मैसूर में होगा. इसकी तैयारी ज़ोर-शोर से चल रही है. बता दें कि इस खास कार्यक्रम का नेतृत्व पीएम मोदी करेंगे.
अगर आपको भी योग और घुमक्क्ड़ी पसंद है और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर मैसूर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आज हम आपको बताते हैं मैसूर के उन ख़ूबसूरत जगहों के बारे में जहां आपको एक बार ज़रूर जाना चाहिए. इन जगहों की ख़ासियत को जानने के बाद यकीनन आप वक्त निकालकर मैसूर ज़रूर जाना चाहेंगे. आइए जानें मैसूर किन ख़ूबसूरत और आकर्षक जगहों के लिए जाना जाता है.
मैसूर पैलेस भारत के सबसे बड़े महलों में से एक है
इसे मैसूर महाराजा पैलेस के नाम से भी जाना जाता है. यह शहर के बीचों-बीच इसकी भव्यता और ख़ूबसूरती एक बार देख लेने के बाद आपको ताउम्र याद रहेगी. इस पैलेस का निर्माण 1897 में हुआ था. इस महल की ख़ासियत है कि इसमें राजपूत, हिंदू, इस्लाम और गोथिक वास्तुकला से सजाया गया है. रात के समय यह महल में हज़ारों बल्ब की रोशनी इसकी चमक बढ़ा देती है. इस महल को ब्रिटिश आर्किटेक हेनरी इरविन ने डिज़ाइन किया था.
जयलक्ष्मी विलास पैलेस जो कहलाता था राजकुमारी हवेली
इस पैलेस को कर्नाटक सरकार ने हेरिटेज साइट घोषित किया है. 1905 में तैयार किया गया यह महल महाराजा चामराजा वाडियार की बड़ी बेटी के लिए बनाया गया था. 6 एकड़ में फैले इस महल में 3 म्यूजियम, 125 कमरे और 250 से ज़्यादा नक्काशीदार खिड़की दरवाज़े हैं. यह महल कुक्कराहली झील के पास स्थित है.
एक ही जगह से पूरा मैसूर देखना है, तो जाइए चामुंडेश्वरी मंदिर
चामुंडी पहाड़ियों पर बसा यह मंदिर विशेष महत्त्व रखता है. मैसूर के शाही परिवार की देवी चामुंडेश्वरी देवी का मंदिर आस्थाओं का गढ़ है. इस मंदिर को द्रविड़ शैली में बनाया गया है. यहां से पूरा मैसूर नज़र आता है. ईश्वर पर विश्वास रखने और प्रकृति से प्रेम करने वाले लोगों के लिए यह जगह पयटन के लिहाज़ से अच्छी मानी जाती है.
मां-बाप के लिए बनवाई कब्र फिर यहीं दफन हुए टीपू सुल्तान
मैसूर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर श्रीरंगपटना में स्थित गुंबज में हैदर अली और टीपू सुल्तान की कब्र है. टीपू सुल्तान ने 1784 में इसे अपने माता-पिता के लिए बनवाया था. साल 1799 में टीपू सुल्तान को भी यहीं दफनाया गया था. मकबरे की बनावट गोलकुंडा के मकबरे से मिलती-जुलती है. फारसी शैली में बने ये मकबरे 20 फीट ऊंचे हैं. अगर आप यहां जाना चाहते हैं, तो सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक यह स्थान पर्यटकों के लिए खुला रहता है.
मैसूर का दूसरा सबसे बड़ा महल, ललिता महल अब है हेरिटेज होटल
चामुंडी पहाड़ी की तलहटी पर बसा यह ख़ूबसूरत पैलेस मैसूर का दूसरा सबसे बड़ा पैलेस है. इसे ई.डब्लू फ्रिचले ने डिज़ाइन किया था. माना जाता है कि इसकी बनावट लंदन स्थित सेंट पॉल कैथेड्रल से प्रभावित है. फ़िलहाल इसे एक शानदार हेरिटेज होटल में बदलकर इस्तेमाल किया जाने लगा है.