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भारत का अपना स्विट्ज़रलैंड

Kajal Dubey
25 April 2023 11:25 AM GMT
भारत का अपना स्विट्ज़रलैंड
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पहाड़ों पर छुट्टियां मनाने की योजना बना रहे हैं, तो हमारा सुझाव है कि ऐसी जगह चुनें जहां भीड़भाड़ कम होती है, ताकि आप एक क्वॉलिटी टाइम बिता सकें, अकेले और परिवार के साथ भी. ऐसी ही एक बेहद ख़ूबसूरत जगह से हम आपको इस लेख के ज़रिए रूबरू कराने जा रहे हैं, नाम है हर्षिल.

हर्षिल, हिमालय की तराई में बसा एक गांव, जो चुम्बकीय शक्ति का आभास करता है. एक बार आप वहां पहुंच गए तो यह बिना किसी किन्तु-परंतु के आपको अपनी तरफ़ खींचता ही रहता है. हर्षिल पहुंचकर आप मानो सपनों की दुनिया में पहुंच गए हों. पहाड़पसंद लोगों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है. वहां की फ़िजाओं में अलग तरह की मादकता है.

हर्षिल, उत्तराखण्ड के गढ़वाल रीज़न के उत्तरकाशी ज़िले में स्थित है. यहां से गंगोत्री की दूरी मात्र 21 किलो मीटर ही बचती है, जो कि हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. गंगोत्री तक रास्ता अपने आप में इतना मनमोहक है कि एक बार से आपका मन नहीं भरेगा.

हर्षिल का इतिहास

हर्षिल की खोज ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करनेवाले अंग्रेज़ फ़ेड्रिक विल्सन ने की थी. यह जगह उन्हें इतनी पसंद आई कि वो अपनी नौकरी छोड़कर इस जगह पर रहने लगे. बाद में उन्होंने एक पहाड़ी लड़की से शादी कर ली और पूरी तरह से हर्षिल के हो गए.

हर्षिल में सेब का पहला पेड़ फ़ेड्रिक विल्सन ने इंग्लैंड लाकर लगाया था तब से वहां पर सेब की खेती और व्यापार होने लगा. विल्सन नाम की सेब की एक प्रजाति आज भी हर्षिल में बहुत प्रसिद्ध है. विल्सन ने ही हर्षिल को स्विट्ज़रलैंड की उपाधि दी थी.

बॉलिवुड की सुपर-डूपर हिट फ़िल्म राम तेरी गंगा मैली की शूटिंग भी यहीं हुई थी.

हर्षिल की ख़ासियत

हिमाच्छादित पर्वत, निर्झर झरने, दूर तक फैले देवदार और चिनार के घने जंगल, उसके नीचे ज़ोर-शोर से बहती भगीरथी की अविरल धारा और सांप-सी बलखाती हुई बेहतरीन सड़कें, जो आपको हर्षिल के उन तमाम जगहों पर ले जाएंगी जहां आप जाना चाहते हैं. ‘हर्षिल मेरे अब तक के सफ़र का सबसे पसंदीदा पड़ाव रहा है, जो एक नशे की तरह मुझमें समाया है, जिससे मैं कभी उबरना नहीं चाहूंगी.’ हर्षिल में आपको प्राकृतिक रंगों की वह छटा देखने को मिलेगी, जिन रंगों की कल्पना मनुष्य ने शायद ही की होगी. वहां की विस्तृत घाटियां ऐसी लगती हैं, मानो ईश्वर ने ख़ुद अपने हाथों से कोई पेंटिंग बनाई है और उसमें वह सभी रंग भर दिए हैं, जो कि आपकी आंखों में समा ही नहीं पाते.

यहां के सेब भी मशहूर हैं और अगर जाएं तो ज़रूर खाएं. आपको एक अलग स्वाद मिलेगा. रास्ते के लिए भी लेकर रखें. मोलभाव भी करें. छोटे-छोटे सेब भी बड़े स्वाद के होते हैं.

हर्षिल वैसे तो छोटी-सी जगह है लेकिन घूमने के लिहाज से बहुत बड़ी है. यहां पर कई ऐसी जगहें हैं, जो धार्मिक हैं, तो कई ऐसी भी हैं, जहां सिर्फ़ सैर-सपाटे के लिए जाया जा सकता है. यहां की कुछ मुख्य जगहें इस प्रकार हैं-

गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान

यह हर्षिल से क़रीब तीस किमी दूर भागीरथी नदी के ऊपरी बेसिन क्षेत्र में है. इस जगह को अल्पाइन के पेड़ों, संकरी घाटियों और हिमनदों की वजह से जाना जाता है. गौमुख हिमनद भी इसी बेसिन में आता है जो हिन्दू आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां पर पशुओं की पंद्रह और पक्षियों की डेढ़ सौ प्रजातियां पाई जाती हैं.

गंगोत्री धाम

उत्तराखंड के चारों धामों में से एक है गंगोत्री धाम. यह हर्षिल से क़रीब 21 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पर गंगा जी का एक मंदिर है, जिसमें उनकी प्रतिमा रखी हुई है.

धराली गंगोत्री

माना जाता है कि गंगा जी को धरती पर लाने के लिए भागीरथ ने इसी जगह पर तपस्या की थी. धराली गंगोत्री में शिव का एक प्राचीन मंदिर भी है. धराली पर्यटन स्थल सेब के बागान और लाल सेम के लिए भी मशहूर है. यह हर्षिल से 2 किलोमीटर ही है.

मुखवास ग्राम

मुखवास को गंगा जी का घर माना जाता है. यह हर्षिल से एक किलामीटर दूरी पर स्थित एक बेहद सुंदर गांव है. दीपावली के दो दिन बाद गंगोत्री धाम का कपाट बंद होने के बाद गंगा जी को यहां के मंदिर में विराजमान किया जाता है.

सत्तल यानी सात झीलों का समूह

हर्षिल से कुछ ही दूरी पर सत्तल नामक जगह है, जहां पर सात झीलों का समूह है. इन झीलों को लोग पन्ना, नलदमयंती ताल, राम, सीता, लक्ष्मण, भरत सुक्खा ताल और ओक्स के नाम से जानते हैं. हर्षिल से यह जगह 3 किलोमीटर की दूरी पर है.

गंगनानी

इस जगह को गंगा जी के नानी का घर माना जाता है और साल में एक बार गंगा जी अपनी नानी के घर आती हैं. इसके अलावा यहां पर एक गर्मपानी का कुंड हैं, जहां पर महिलाओं और पुरुषों के स्नान के जिए जगह भी बनाई गई है. इस जगह पर आप ऋषिकेश से आगे बढ़ते समय ही जाएं. यहां से हर्षिल 26 किलोमीटर रह जाता है.

ऋषिकेश से उत्तरकाशी और फिर वहां से हर्षिल और गंगोत्री की तरफ़ बढ़ा जा सकता है. आप वहां पर अप्रैल-जून और सितंबर से नवंबर तक जा सकते हैं. आप अपने शुरुआती बिंदु से प्राइवेट टैक्सी कर सकते हैं, अपनी कार भी ले जा सकते हैं. उत्तरकाशी से लोकल गाड़ियां भी जाती हैं.

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