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लाइफ स्टाइल
भारतीयों को अपनी फिटिंग के हिसाब से कपड़े मिलना है बड़ी समस्या का मिल गया समाधान
Admin4
26 Aug 2021 6:26 PM GMT
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क्या 135 करोड़ लोगों के देश को साइज के पैमाने में समेटना संभव है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- नई दिल्ली: खरीदारी करते समय हम सभी को सबसे बड़ी अड़चन क्या आती है. अड़चन है भारतीयों को अपनी फिटिंग के हिसाब से कपड़े मिल पाना. कभी US तो कभी UK साइज में हम अपने कपड़े तलाशते हैं तो कभी स्मॉल से लेकर एक्सट्रा लार्ज का हिसाब किताब समझते हैं. ऑनलाइन शॉपिंग के समय तो ये परेशानी और बड़ी हो जाती है. एक ब्रांड का स्मॉल साइज तो दूसरे का मीडियम और तीसरे ब्रांड का लार्ज कपड़ा फिट आता है. कई बार तो कोई कपड़ा बेहतर तरीके से फिट ही नहीं आता और हम समझौता करते हैं. क्योंकि कपड़ा तो पसंद है लेकिन वो भारतीयों के हिसाब से बनवाया नहीं गया. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, भारत में रेडिमेड कपड़ों का बाजार अब इंडिया साइज के हिसाब से बदलने वाला है.
कपड़ा मंत्रालय और NIFT की पहल
क्या 135 करोड़ लोगों के देश को साइज के पैमाने में समेटना संभव है. इसी सवाल का जवाब तलाशने का जिम्मा अब कपड़ा मंत्रालय ने उठा लिया है. गौरतलब है कि भारत की डिजाइन इंडस्ट्री के साथ मिलकर देश के 25 हजार लोगों पर एक सर्वे किया जा रहा है और इंडिया का साइज ढूंढ़ने की कवायद शुरु हो चुकी है. कपड़ा मंत्रालय और नेशनल इंस्टीयूट ऑफ फैशन एंड टैक्नोलोजी (National Institute of Fashion Technology) मिलकर भारतीयों के आदर्श माप की तलाश में जुटे हैं. बताते चलें कि 2019 में शुरु हुए इस प्रोजेक्ट को कोरोना ने अधर में रोक दिया था लेकिन अब दिल्ली से सर्वे की शुरुआत हो चुकी है.
6 शहरों से निकलेगा देश का साइज
देश भर के 6 अलग-अलग शहरों में लोगों का नाप लेकर ये समझा जाएगा कि कैसे भारतीयों के हिसाब से साइज चार्ट बनाया जाए. दिल्ली के अलावा मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और शिलांग में ये सर्वे किया जाएगा. ये शहर इसलिए चुने गए हैं क्योंकि राज्यों के हिसाब से भारत में कद काठी का हिसाब-किताब बदल जाता है.
बताते चलें कि दिल्ली में चल रहे इस सर्वे को समझने के लिए जी मीडिया ने भी सर्वे में हिस्सा लिया. इसमें हिस्सा लेने के बाद पता चला कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारतीयों को अपनी फिटिंग के हिसाब से कपड़े तो मिलेंगे ही बल्कि रेडिमेड कपड़ों के बिजनेस को भी इससे बहुत फायदा होगा. हर वर्ष 20 से 30 प्रतिशत कपड़े फिटिंग के पैमानों पर रिजेक्ट हो जाते हैं क्योंकि वो किसी को फिट नहीं आते और इसी दर्द को कपड़ा मंत्रालय ने भी समझा.
डिजिटल युग का इंडिया साइज
बता दें कि इस सर्वे में साइज को नापने के लिए कोई दर्जी नहीं बैठा है और ना ही पारंपरिक इंचीटेप से ये साइज लिए जा रहे हैं. इसके लिए 3 थ्री डी स्कैनर लगाए गए हैं जो 120 पैमानों पर नाप लेते हैं. फिलहाल दिल्ली में ये स्कैनर NIFT, Select City Walk Mall और गाजियाबाद के वैशाली के एक शॉपिंग मॉल में लगाए गए हैं. इस सर्वे में कोई भी भाग ले सकता है, उसे बस एक फॉर्म भरना होगा और वो सर्वे का हिस्सा बन जाएगा.
दिल्ली के बाद और शहरों में होगा सर्वे
दिल्ली का चरण पूरा होने के बाद यही स्कैनर बाकी शहरों में ले जाए जाएंगे ताकि कोई गड़बड़ी ना हो. आधा डाटा मिलने के 6 महीने के बाद डाटा का आकलन होगा. उसके बाद बाकी का सर्वे किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि इस सर्वे से 2 साल के अंदर भारत का अपना साइज चार्ट तैयार हो जाएगा. फिर रेडिमेड कपड़ों के निर्माताओं से कहा जाएगा कि वो उसी आधार पर कपड़े बनाएं. कपड़ा मंत्रालय के इस कदम से निर्यात बढ़ने की भी उम्मीद है
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