लाइफ स्टाइल

बढ़ता जा रहा मलेरिया का आतंक

Kajal Dubey
22 May 2023 1:08 PM GMT
बढ़ता जा रहा मलेरिया का आतंक
x
मॉनसून अपने अंतिम क्षणों में आ चुका हैं लेकिन लगातार इस मौसम होने वाली बीमारियों का आंकड़ा बढ़ रहा हैं। इन्हीं बीमारियों में से एक हैं मलेरिया जो मच्छर जनित घातक बीमारियों में से एक है। यह मुख्य रूप से संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है। भारत में मलेरिया के मामले और मलेरिया से होने वाली मौतों की घटनाएं बहुत अधिक हो रही हैं। इस दौरान मलेरिया का आतंक भी देखने को मिल रहा हैं जिसका सही समय पर उचित इलाज ना किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता हैं। हांलाकि घरेलू नुस्खों की मदद से भी मलेरिया से काफी हद तक बचाव किया जा सकता हैं जिनके बारे में हम आपको यहां बताने जा रहे हैं।
अदरक पाउडर और पानी
एक स्टडी के अनुसार, मलेरिया में अदरक का उपयोग फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद जिन्जेरॉल में एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते है, जो मलेरिया के दौरान होने वाले दर्द व मतली से राहत दिलाने का काम करते हैं। इसके अलावा, अदरक में एंटी-मलेरिया गुण भी होते हैं, जिस कारण मलेरिया से बचाव हो सकता है। इस्तेमाल के लिए आधा चम्मच सूखे अदरक का पाउडर लें और इसे आधे गिलास पानी में अच्छी तरह से मिला लें। इस तैयार मिश्रण को दिन में तीन बार पिएं।
हल्दी पाउडर और दूध
हल्दी अद्भुत एंटी-ऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुणों वाला सुपर मसाला है। हल्दी शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है जो प्लास्मोडियम संक्रमण के कारण बनते हैं। हल्दी मलेरिया परजीवी को मारने में भी मदद करती है। मलेरिया से निपटने के लिए रोज रात को एक गिलास हल्दी वाला दूध पिएं।
पपीता का पत्ता और शहद
एक स्टडी के अनुसार, पपीता के पत्तों को मलेरिया के उपचार में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एंटी-मलेरिया की तरह काम करता है। इसके अलावा मलेरिया में खून की कमी होने पर भी पपीते का सेवन फायदेमंद होता है। इस्तेमाल के लिए 4-6 ताजा पत्तियों को तोड़ लें। इसे पानी में 15-20 मिनट तक उबलने के लिए रख दें। फिर इसे छानकर स्वादानुसार शहद मिलाकर दिन में दो से तीन बार रोज पिएं।
दालचीनी और काली मिर्च
दालचीनी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण मलेरिया के लक्षणों से निपटने में मदद करते हैं। गर्म पानी में दालचीनी और काली मिर्च पाउडर डालें। स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें थोड़ा सा शहद मिलाएं। इसे दिन में एक या दो बार पियें।
मेथी बीज और पानी
मेथी के बीजों को लेकर हुए एक स्टडी के अनुसार, मलेरिया में होने वाली कमजोरी से निपटने के लिए मेथी के दाने एक अच्छा प्राकृतिक उपचार साबित हो सकते हैं। मेथी के बीजों में एंटी-प्लाज्मोडियल प्रभाव पाया जाता है। जो ये इम्यून सिस्टम को बढ़ाकर मलेरिया फैलाने वाले परजीवियों से लड़ने का काम कर सकते हैं। इस्तेमाल के लिए थोड़ी मात्रा में मेथी के बीजों को रातभर पानी में भिगोकर रख दें। फिर सुबह पानी को छानकर खाली पेट इसका सेवन करें। इसका सेवन तब तक करें जब तक मलेरिया ठीक न हो जाए।
सागरगोटा
सागरगोटा भारत और आसपास के देशों में एक लोकप्रिय हर्बल रेमेडी के रूप में उपयोग किया जाता है क्योंकि इसके बीज में शक्तिशाली सक्रिय तत्व होते हैं जो बुखार को ख़त्म करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। सैकड़ों वर्षों से मलेरिया के उपचार में लोग इसका उपयोग करते आए हैं। सागर गोटा और पलाश के बीजों का चूर्ण मरीज़ की उम्र के अनुसार 1 से 3 ग्राम तक दिन भर में तीन बार दिया जा सकता है।
फिटकरी और चीनी
एक स्टडी के अनुसार, फिटकरी में मॉस्किटो लार्विसाइडल गुण होता है, जो मलेरिया फैलाने वाले मच्छर एनोफीलज के काटने से होने वाले संक्रमण से लड़कर मलेरिया से छुटकारा दिला सकती है। इस्तेमाल के लिए एक ग्राम फिटकरी का पाउडर और दो ग्राम चीनी को मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। मलेरिया का बुखार होने पर हर दो घंटे में आधा चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें।
तुलसी
मलेरिया के लक्षणों और उसकी तीव्रता को कम करने के लिए कई वर्षों से लोग पवित्र तुलसी का उपयोग करते रहे हैं। तुलसी में यूजिनॉल नामक तत्व पाया जाता है जो बैक्टीरिया संक्रमण को समाप्त करने में मदद करती है और मलेरिया जैसी समस्या से छुटकारा दिलाती है। अगर किसी को मलेरिया की बीमारी ने जकड़ लिया है तो इससे छुटकारा पाने के लिए तुलसी के पत्ते चबाना फायेमंद होते हैं।
Next Story