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महामारी के कारण भारतीय कर्मचारी का बढ़ा तनाव

Teja
24 Nov 2021 9:59 AM GMT
महामारी के कारण भारतीय कर्मचारी का बढ़ा तनाव
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महामारी के कारण भारतीय कर्मचारी का बढ़ा तनाव 

कोरोना महामारी ने दुनियाभर में लोगों की शारीरिक-मानसिक सेहत को प्रभावित किया है। भारतीय कर्मचारियों की रोजमर्रा की जिंदगी भी इसके चलते तनाव की गिरफ्त में है।


जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना महामारी ने दुनियाभर में लोगों की शारीरिक-मानसिक सेहत को प्रभावित किया है। भारतीय कर्मचारियों की रोजमर्रा की जिंदगी भी इसके चलते तनाव की गिरफ्त में है। एक हालिया अध्ययन के मुताबिक पांच में से तीन भारतीय कर्मचारी (59 प्रतिशत) अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में किसी न किसी रूप में तनाव महसूस करते हैं। हैरानी की बात है कि तनाव का यह स्तर वैश्विक और एशिया के औसत स्तर से कहीं अधिक है
देश की सबसे बड़ी बीमा ब्रोकर मार्श की हालिया सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। हाल ही में जारी हेल्थ ऑन डिमांड इंडिया की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 27 प्रतिशत कर्मचारियों पर महामारी का सबसे ज्यादा या पूरी तरह से नकारात्मर प्रभाव पड़ा। हालांकि वैश्विक औसत के मुकाबले यह स्तर कम है।
वैश्विक स्तर पर 33 प्रतिशत कर्मचारियों पर कोविड-19 महामारी का सर्वाधिक या पूरी तरह नकारात्मक प्रभाव पड़ा, वहीं एशिया क्षेत्र में यह आंकड़ा 28 प्रतिशत रहा। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 50 प्रतिशत कर्मचारियों ने रोजमर्रा की जिंदगी में तनावग्रस्त रहने की बात कही, वहीं एशिया में 51 प्रतिशत लोगों ने यह जानकारी दी।
नियोक्ताओं के सहयोग ने मदद की-
सर्वे के दौरान दुनियाभर के 13 देशों के 14,000 कर्मचारियों से पूछा गया कि जब मानसिक सेहत की बात आती है तो वे क्या चाहते हैं? निष्कर्षों में पाया गया कि जिन कर्मचारियों को अपने नियक्ताओं से सहयोग मिला उन्होंने महामारी के कारण तनाव कम (21 प्रतिशत) महसूस किया, उन कर्मचारियों की तुलना में जिन्हें नियोक्ताओं से सहयोग नहीं मिला। ऐसे कर्मचारियों ने 44 प्रतिशत अधिक तनाव महसूस किया। कर्मचारियों को महामारी के दौरान मिले सहयोग का सकारात्मक असर उनकी खुशहाली और मानसिक सेहत पर पड़ा। इसमें कामकाज में लचीलापन सबसे ऊपर था, जो अधिकांश लोग चाहते हैं।


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