लाइफ स्टाइल

इस तरह बताएं बच्चों को पार्टनर से अलगाव की बात

Kajal Dubey
29 April 2023 1:09 PM GMT
इस तरह बताएं बच्चों को पार्टनर से अलगाव की बात
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हमारे यहां अब भी जोड़ियां ऊपर वाला बनाकर भेजता है. शादी के बाद यह उम्मीद की जाती है कि कुछ भी हो जाए, सात जनम नहीं तो कम से कम इस जनम तक तो यह रिश्ता अटूट ही रहेगा. इस सोच की भेंट कई वैवाविक रिश्ते चढ़ते रहे हैं. बेमेल शादी हो जाने की ग़लती का एहसास होने के बावजूद उम्रभर रिश्ते ढोए जाते रहे. पर पिछले एक दशक से इस मामले में काफ़ी बदलाव देखने मिला है. पति-पत्नी रिश्ते के ठीक न चलने पर बेवजह उम्रभर उसे खींचते रहने के, अलग होने के विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं. यही कारण है कि म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग यानी आपसी सहमति से अलग होनेवाले मामले बढ़े हैं. बेशक किसी भी बुरे रिश्ते में पड़े रहने की तुलना में यह अधिक प्रैक्टिकल और सही तरीक़ा है. पर पेंच वहां फंसता है, जब पति-पत्नी के इस अलगाव में बच्चे भी शामिल होते हैं. माता-पिता के अलगाव से कई बच्चे भावनात्मक रूप से टूट तक जाते हैं.
ज़ाहिर है, ख़राब रिश्ते में पड़े रहने के बजाय आपको आगे बढ़ जाना चाहिए. पर ऐसा करते हुए इन तीन बातों का ख़्याल रखें, ताकि अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने के चक्कर में बच्चों की ज़िंदगी को नर्क न बना बैठें.
इस बारे में बच्चों को शांति और ईमानदारी से बताएं
अगर आपके बच्चे इतने बड़े हो गए हैं कि पैरेंट्स के बीच तलाक़ या अलगाव जैसी बातों को समझ सकते हों तो यह आप दोनों की ज़िम्मेदारी है कि उन्हें इस बारे में बताएं. बात को यहां-वहां घुमाकर बताने के बजाए सीधे-सीधे मुद्दे पर आ जाएं. बेहतर यह होगा कि यह सूचना आप दोनों एक साथ उन्हें दें. उन्हें बताएं कि आपके रिश्ते में कुछ ऐसी ग़लतफ़हमियां या गड़बड़ियां आ गई हैं, जिन्हें दुरुस्त कर पाना अब संभव नहीं है. यही वहज है कि आप दोनों अलग होना चाहते हैं. यह बताते हुए आप दोनों मैच्योर व्यवहार करें. यानी एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने जैसी बचकानी हरक़त न करें. भले ही आप अलग हो रहे हों, पर बच्चों के लिए आप दोनों की ही अहमियत हमेशा रहेगी. तो उन्हें बताएं कि भले ही आप दोनों अलग हो रहे हों, पर बच्चों के साथ उनके रिश्ते में किसी भी तरह का बदलाव नहीं आनेवाला है. आप दोनों हमेशा बच्चों के लिए उपलब्ध रहेंगे.
बच्चों के भी सवाल होंगे, उनके जवाब धैर्य के साथ दें
ऐसा नहीं है कि आप दोनों की बातें सुनने के बाद बच्चे राज़ी हो जाएंगे या सबकुछ समझ जाएंगे. इस सच्चाई को स्वीकार करने में उन्हें भी समय लगेगा. हो सकता है वे आपसे ग़ुस्सा हो जाएं. आप दोनों के ऊपर सवाल दागना शुरू कर दें. ऐसे में यह आपकी ज़िम्मेदारी बनती है कि उनकी बातों को धैर्य से सुनें और उनके हर सवाल का तार्किक जवाब देने की कोशिश करें. आधे-अधूरे और गोलमोल जवाब मामला ख़राब कर सकते हैं. अगर बच्चे आपसे अपने फ़ैसले पर दोबारा विचार करने को कहें तो आप उन्हें झूठ-मूठ का आश्वासन न दें. अगर आपने पहले कोशिश की हो तो उन्हें उस बारे में बताएं. यदि अभी कोशिश करना चाहते हों तो उनके कहे अनुसार ईमानदार कोशिश करें. हो सकता है बच्चों के लिए की गई पहल सच में काम कर जाए. पर जो भी हो, बच्चों को अंधेरे में न रखें.
अलग होने के बाद, कभी बच्चों से पार्टनर की बुराई न करें
हम सभी अपने फ़ैसलों को जस्टिफ़ाई करने की कोशिश करते हैं. इस बात की काफ़ी संभावना है कि अलग होने के बाद आपका मन एक्स पार्टनर को कोसने का करे. वैसे भी बुराई करना, कई बार दवाई का काम करती है. जब हम ग़ुस्सा होते हैं, तब किसी की बुराई करने से अजीब तरह का सुकून मिलता है. आप एक्स हस्बैंड या वाइफ़ की बुराई बेशक करें, पर बच्चों के सामने नहीं. याद रखें वह भले आपकी पत्नी या पति न रहा हो, पर बच्चों के साथ का उनका संबंध आप नहीं बदल सकते हैं. बच्चे अपने माता-पिता की बुराई सुनना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते, क्योंकि माता-पिता उनके शुरुआती हीरो होते हैं. तो न कभी बच्चों से एक्स पार्टनर की बुराई करें या न ही उनके सामने किसी और से एक्स पार्टनर के बारे में बुरा-भला कहें.
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