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स्टडी में दावा: डांस थेरेपी मनोरोगियों के अन्य लक्षणों के मुकाबले घबराहट को कम करने में प्रभावी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| डांस फिजिकल एक्सरसाइज के रूप में पहले से ही काफी फेमस है, लेकिन अब इसका मानसिक रोगों (Mental diseases) के इलाज के लिए थैरपी के रूप में भी इस्तेमाल होने लगा है. अमर उजाला में छपी रिपोर्ट के अनुसार, कुछ विशेषज्ञों का कहना है, उन्हें अपनी रिसर्च में डांस और झूमने जैसी फिजिकल एक्टिविटी से डिप्रेशन, घबराहट कम होना और मनोवैज्ञानिक 'जख्म' भरने में भी सफलता मिली है. रिसर्च के अनुसार, यही वजह है कि अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में आने वाले शरणार्थी इस डांस थेरैपी का खूब लाभ उठा रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इन दिनों अफगानिस्तान से विस्थापित हो रहे लोगो के लिए भी यह काफी कारगर सिद्ध हो सकती है.
हेल्दी व्यक्ति के लिए भी लाभकारी
रिसर्च के अनुसार ये एक्टिविटी केवल टेंशन या डिप्रेशन के शिकार लोगों के लिए ही कारगर साबित नहीं हुई है, बल्कि इससे हेल्दी व्यक्ति को भी फायदा पहुंचा है. 23 क्लिनिकल रिसर्च से पता चला है कि डांस और हिलने-डुलने की थेरैपी साइकोलॉजिकल समस्या वाले बच्चों, युवा व बुजुर्ग मरीजों को ठीक करने में प्रभावी हो सकती है
साथ ही, इसे अपनाकर हेल्दी इंसान भी स्वास्थ्य लाभ ले सकता है. स्टडी में ये भी दावा किया गया है कि डांस थेरैपी मनोरोगियों के अन्य लक्षणों के मुकाबले घबराहट को कम करने में प्रभावी रही है
पुरानी ट्रेंड, जिसका फायदा अब जाना
अमेरिका की वायने स्टेट यूनिवर्सिटी, डेट्रॉयट (Wayne State University, Detroit) में पीएचडी छात्र और रिसर्च फेलो लाना रवोलो ग्रासर (Lana Ruvolo Grasser) ने नाचने-झूमने पर आधिरत थैरापियों का टेंशन और डिप्रेशन को दूर करने पर इस्तेमाल किया. जिनके पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं. उनका कहना है कि शरीर में खास तरीके से हलचल के ट्रेंड बहुत पुराने है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य उपचार को लेकर डांस थेरैपी जैसी रणनीतियों पर पिछले कुछ वर्षों से ही ध्यान दिया जाने लगा है.
स्कूल-कॉलेज में मददगार
ग्रासर आगे बताती हैं, मैं खुद एक डांसर हूं और मैंने नाच-झूमकर होने वाले इमोश्नल एक्सप्रेशंस को अविश्वसनीय रूप से मेंटल ट्रीटमेंट में उपयोगी पाया है. खासतौर पर जब मैं हाई स्कूल और कॉलेज में टेंशन और डिप्रेशन का अनुभव करती थी, तब यह काफी मददगार रही.
लाइफ लॉन्ग पॉजिटिव डायरेक्शन
ग्रासर के मुताबिक, 2017 में उनकी लैब 'स्ट्रैस ट्रॉमा एंड एंजाइटी रिसर्च क्लिनिक' ने अफ्रीकी शरणार्थी परिवारों को मानसिक तनाव से बाहर निकालने की मुहिम के तहत इस थेरैपी की शुरुआत की थी. यह लोगों के लिए न सिर्फ अच्छी-बुरी भावनाओं और यादों को अभिव्यक्त करने का जरिए बनी, बल्कि इससे उन्हें तनाव दूर कर लाइफ लॉन्ग पॉजिटिव दिशा भी मिली.