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महात्मा गाँधी के राष्ट्रपिता बनने के सफर और उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

HARRY
30 Jan 2021 2:16 PM GMT
महात्मा गाँधी के राष्ट्रपिता बनने के सफर और उनके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
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धीजी के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पुतलीबाई और करमचंद गांधी के पुत्र मोहनदास गांधी का जन्म दो अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। मोहनदास गांधी की प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालयों में ही हुई। मां के धार्मिक व्यवहार और संस्कारों के कारण गांधीजी की परवरिश बहुत अच्छे ढंग से हुई। बाल्यकाल में गांधीजी ने राजा हरिशचंद्र का नाटक देखा था, जिसका उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा था। तभी से गांधीजी ने सत्य को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया था। मात्र 13 वर्ष की आयु में गांधीजी का विवाह कस्तुरबा गांधी से हो गया था। जानिए गांधीजी के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

भूगोल में कमजोर थे गांधीजी
गांधीजी बचपन से पढ़ने- लिखने में बहुत अधिक होनहार नहीं थे। भूगोल जहां गांधीजी का बहुत कमजोर था, वहीं गणित में वे मध्यम दर्जे के विद्यार्थी थे। लिखावट सुधारने के लिए भी अक्सर विद्यालय में उन्हें शिक्षकों द्वारा बार-बार कहा जाता था लेकिन अंग्रेजी विषय में वे काफी होनहार थे। यही वजह है कि इस विषय के लिए उन्हें पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी मिला करती थीं लेकिन जीवन में कभी भी उन्हें पढ़ाई में प्रदर्शन के लिए तारीफें नहीं मिलीं।
वैवाहिक जीवन
मात्र 13 वर्ष की आयु में पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा से महात्मा गांधी का विवाह हो गया। 15 वर्ष की उम्र में गांधीजी एक पुत्र के पिता बन गए जो कि बाद में जीवित नहीं रह सका। गांधीजी के कुल चार पुत्र हुए हरिलाल, मनिलाल, रामलाल और देवदास। कस्तूरबा गांधीजी से आयु में छह माह बड़ी थीं और वे एक आदर्श प'ṇटत्नी थीं जो कि गांधीजी के हर कार्य और हर फैसले में उनका समर्थन करती थीं। सभी लोग गांधीजी की पत्नी को 'बा' कहा करते थे।
गांधीजी के आंदोलन
वकालात की शिक्षा पूरी हो जाने के बाद फरवरी 1919 में अंग्रेजों के बनाए रॉलेट एक्ट कानून, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने का प्रावधान था, गांधीजी ने इस एक्ट के खिलाफ अंग्रेजों का विरोध किया। इसके उपरांत गांधीजी ने सत्याग्रह आंदोलन की घोषणा कर दी। महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए किए जाने वाले अन्य अभियानों में सत्याग्रह और अहिंसा को जारी रखा, जैसे कि 'असहयोग आंदोलन', 'नागरिक अवज्ञा आंदोलन', 'दांडी यात्रा' तथा 'भारत छोड़ो आंदोलन'।
आदर्शों के कारण कहलाए राष्ट्रपिता
गांधीजी ने अपनी मां के संस्कारों के कारण कभी भी अपने आदर्शों को नहीं छोड़ा। स्कूल की शिक्षा हो, वकालात की पढ़ाई हो या राजनैतिक आंदोलन उनका संघर्ष और नेतृत्व हमेशा सत्य, अहिंसा व शांति के साथ ही जारी रहा। उन्होंने पूरे भारत को भी यही संदेश दिया। 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर गांधीजी की हत्या कर दी गई। अहिंसा आंदोलन से नेतृत्व करने वाले गांधीजी का जीवन का सफर जब खत्म हुआ तो देशवासियों के मन में गांधीजी को राष्ट्रपिता घोषित करके समाप्त हुआ।


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