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अहम योगदान: इस शहर में खुला जड़ी-बूटी का पहला संग्रहालय, संरक्षित किए गए औषधियों के 2000 नमूने

Deepa Sahu
13 March 2021 2:59 AM GMT
अहम योगदान: इस शहर में खुला जड़ी-बूटी का पहला संग्रहालय, संरक्षित किए गए औषधियों के 2000 नमूने
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प्राचीन काल में बीमारियों के इलाज में जड़ी-बूटियों का अहम योगदान

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: प्राचीन काल में बीमारियों के इलाज में जड़ी-बूटियों का अहम योगदान होता था या यूं कहें कि यही एकमात्र सहारा होते थे। आज भी दवाएं बनाने में जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब लोग इसपर उतना ध्यान नहीं देते, जितना अंग्रेजी दवाओं पर विश्वास जताते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एक नई पहल के तहत सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा अपनी तरह का पहला जड़ी-बूटी संग्रहालय स्थापित किया गया है। दरअसल, वनस्पतियों से संबंधित शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की लखनऊ स्थित प्रयोगशाला 'राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान' (एनबीआरआई) देश के अग्रणी संस्थानों की श्रेणी में आता है।

इस जड़ी-बूटी संग्रहालय को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थापित किया गया है। इंडिया साइंस वायर के मुताबिक, इसका उद्घाटन आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. जे. एल. एन. शास्त्री ने किया है। इस संग्रहालय को सीएसआईआर-एनबीआरआई के फार्माकोग्नॉसी विभाग में स्थापित किया गया है। दरअसल, फार्माकोग्नॉसी के तहत पादप और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त औषधियों का अध्ययन किया जाता है।
इस संग्रहालय में औषधियों के करीब दो हजार ऐसे नमूने प्रदर्शित किए गए हैं, जो आयुष मंत्रालय द्वारा प्रमाणित हैं। इन औषधीय पौधों में अश्वगंधा, कालमेघ, चिरैयता, दरुहद्रिका, मुलेठी, स्वीट कैलेमस आदि शामिल हैं। इंडिया साइंस वायर के मुताबिक, फार्माकोग्नॉसी विभाग के प्रमुख डॉ. शरद श्रीवास्तव ने बताया, 'इस संग्रहालय में रखे औषधीय नमूनों को देशभर से इकट्ठा किया गया है। इन नमूनों को इनके उपयोग किए जाने वाले भागों (जैसे जड़, छाल, पत्ते, तना और बीज आदि के आधार पर आयुष प्रणाली के अनुसार वर्गीकृत किया गया है।'
इंडिया साइंस वायर के मुताबिक, सीएसआईआर-एनबीआरआई के निदेशक प्रोफेसर एस.के. बारिक ने बताया कि यह संग्रहालय शोधकर्ताओं के साथ-साथ विभिन्न संस्थानों और छात्रों के लिए उपयोगी हो सकता है। यहां रखे गए नमूनों से कई प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं। उन्होंने कहा कि ये नमूने हर्बल दवाएं विकसित करने में भी मददगार हो सकते हैं।
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