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केवल पगफेरे की रस्म का इंतजार करती है बल्कि खुद के लिए अकेला समय भी ढूंढ़ती है।
इस बात में कोई दोराय नहीं कि शादी पक्की होने के बाद होने वाली दुल्हन पर सबसे ज्यादा प्रेशर होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि घरवालों से लेकर रिश्तेदारों तक हर कोई बस यही सिखाने लग जाता है कि शादी के दिन न केवल उसे शर्माना होगा बल्कि अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान भी बनाए रखनी पड़ेगी। हालांकि, इस दौरान यह कोई नहीं बताता है कि शादी के तुरंत बाद नए घर के नए तौर-तरीकों में उसे किस तरह एडजस्ट करना होगा।
भारत में शादियां किसी बड़े त्यौहार से कम नहीं होती हैं। एक तरफ जहां विवाह के धूम-धड़ाके वाले माहौल में परिवारवालो को देख खुशी की अनुभूति होती है, तो वहीं दुल्हन बनीं लड़की खुद को बहुत सारी भावनाओं के बीच दबा हुआ महसूस करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह नहीं जानती है कि उसका आने वाला कल कैसा होगा। ससुराल वाले उसे दिल से अपनाएंगे भी या नहीं। अगर उसने कोई गलती कर दी, तो बाकी के सदस्य किस तरह रिएक्ट करेंगे। यही एक वजह भी है कि जब सात फेरों के बाद विदाई का नंबर आता है, तो उसके मन में ऐसे सौ सवाल घूम रहे होते हैं, जिनके जवाब खोजना अपने आप में ही एक बहुत बड़ा संघर्ष है। (फोटोज-Istock)
ससुराल में सभी को कैसे बुलाना चाहिए
भले ही हमारा समाज कितना भी क्यों न बदल रहा हो, लेकिन लड़कों के मुकाबले एक लड़की से नए तौर-तरीकों में ढलने की उम्मीद की जाती है। यही एक वजह भी है कि उसके मन में डर बना रहता है कि ससुराल में सभी के साथ उसे कैसे पेश आना चाहिए ताकि काम भी हो जाए और किसी के सम्मान को कोई ठेस भी ना पहुंचे।
वह सोचती है कि क्या मुझे उम्र में छोटे रिश्तेदारों को उनके नाम से बुलाना चाहिए, जैसे मेरे पति उन्हें बुलाते हैं या मैं उन्हें दीदी या भैया ही कहूं। हालांकि, लोगों को सही तरीके से संबोधित करना भारतीय समाज में एक बहुत बड़ी बात है। लेकिन जब बात छोटो की आती है, तो यही चीज दुल्हनों के मन को झकझोर देती है। वो 4 बातें, जो शादी से एक दिन पहले हर लड़की को करती हैं परेशान
क्या मुझे सोना चाहिए
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि शादियां बहुत थका देने वाली होती हैं। ऐसे में एक नई दुल्हन अपनी शादी के अगले दिन की दोपहर तक आराम करने के अलावा कुछ और नहीं चाहती है। लेकिन इस दौरान वह मन ही मन सोचती है कि क्या यूं सोना सही बात होगी क्योंकि वह घर की सबसे नई सदस्य है, जिसके आसपास हर समय किसी न किसी के रहने की उम्मीद है।
कब इस लहंगे-जूलरी से आजादी मिलेगी
शादी के बाद भी ऐसी बहुत सी रस्में होती हैं, जिसमें नवविवाहिता की भागीदारी शामिल होती है। ऐसे में उसे न केवल खूब सज-संवरकर रहना पड़ता है बल्कि बहुत से रीति-रिवाज उसी ब्राइडल लहंगे को पहनकर संपन्न किए जाते हैं, जिसे पहनकर दुल्हन ने सात फेरे लिए थे। ऐसे में मन में यही सबसे पहला सवाल आता है कि इस भारी-भरकम लहंगे से उसे कब आजादी मिलेगी।
यही नहीं, शादी के बाद बहुत सारे लोग ऐसे भी होते हैं, जो दुल्हन से मिलना चाहते हैं, जिनके लिए भी उसे खूब सारी जूलरी पहनी पहनकर हेवी मेकअप में रहना पड़ता है। मेरी कहानी: मेरी सास नहीं चाहती कि मैं अपने पति के साथ संबंध बनाऊं
कब होगी पगफेरे की रस्म
हर नई दुल्हन सोचती है कि वह कितनी जल्दी अपने परिवार से मिलने जा सकती है। शादी के ठीक बाद हर लड़की को होमसिकनेस होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुल्हन बनी लड़की जब घर छोड़कर जाती है, तो उसे अपने घर की सबसे ज्यादा कमी खलती है। यही नहीं, इस अकेलेपन के अहसास को उसके मां-बाप भी महसूस कर रहे होते हैं। ऐसे में वह न केवल पगफेरे की रस्म का इंतजार करती है बल्कि खुद के लिए अकेला समय भी ढूंढ़ती है।
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