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Hepatitis से लिवर को बचाना है तो बेहद जरूरी है ये काम

Sanjna Verma
29 July 2024 7:03 AM GMT
Hepatitis से लिवर को बचाना है तो बेहद जरूरी है ये काम
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हेल्थ केयर Health Care: लिवर शरीर का वो अंग है जो 70% तक खराब होने पर भी काम करता है। यही इसकी खासियत है। लेकिन कई बार इसी वजह से लिवर में संक्रमण और सूजन का पता जल्दी नहीं चल पाता। इसलिए लिवर की सेहत को लेकर सतर्क रहना जरूरी है। चाहे बात हेपेटाइटिस (लिवर में सूजन) के टीके की हो या उसके टेस्ट की। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
हेपेटाइटिस दो शब्दों से मिलकर बना है। जिनका मतलब होता है लिवर या जिगर में सूजन यानी इन्फ्लेमेशन। सीधे शब्दों में कहें तो जब लिवर में किसी भी वजह से सूजन हो जाए तो उस स्थिति को हेपेटाइटिस कह सकते हैं। यह सूजन
Hepatitis
वायरस A, B, C, E की वजह से हो या फिर शराब या फैटी लिवर की वजह से, कहा तो जाएगा हेपेटाइटिस ही।
दरअसल, शब्द से पहले उस कारण को जोड़ दिया जाता है जिसकी वजह से लिवर में सूजन होती है। जब किसी वायरस की वजह से हेपेटाइटिस होता है तो उसे वायरल हेपेटाइटिस कहते हैं। मसलन: Hep A, Hep B आदि। वैसे तो ये सभी परेशान करते हैं। ये जानलेवा भी हो सकते हैं। कुछ उपाय के बाद डरने की जरूरत नहीं, सचेत रहना चाहिए।
लिवर को हर इन्फेक्शन से बचाना इसलिए है जरूरी
-किडनी या फेफड़ों से अलग लिवर खुद को छोटे-से बड़ा बना सकता है। इसे रीजेनरेशन पावर भी कहते हैं। इसके लिए शरीर में कम से कम 25% असल लिवर का मौजूद रहना जरूरी है। इसे मूल स्वरूप में लौटने में अमूमन 2 से 3 हफ्तों की ही जरूरत होती है।
-यह शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित करने में भी अहम भूमिका निभाता है। अगर किसी को फैटी लिवर की परेशानी है तो वह टाइप-2 डायबिटीज का मरीज भी हो सकती है। जब हम कुछ खाते हैं तो यह ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में बदल देता है। जब लिवर में ग्लूकोज ज्यादा मात्रा में जमा होने लगता है तो यह फैट में बदल जाता है। इसके बाद ही फैटी लिवर का मामला बनता है। फैटी लिवर होने के बाद धीरे-धीरे कई तरह की परेशानियों की शुरुआत हो जाती है। पहले कोलेस्ट्रॉल बढ़ना शुरू होता है। एक बार जब कोलेस्ट्रॉल खून की नलियों में जमा होने लगता है तो बीपी बढ़ना शुरू हो जाता है। इसी के साथ शुगर की समस्या भी दस्तक दे सकती है। इसलिए लिवर को दुरुस्त जरूर रखना चाहिए।
प्रोटीन हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। प्रोटीन हमारे शरीर का बिल्डिंग ब्लॉक्स (जिससे शरीर मूल रूप से बना है) कहलाता है। कई बार हमारा शरीर इतना प्रोटीन पैदा नहीं कर पाता कि उसकी जरूरत पूरी हो। ऐसे में लिवर ही वह प्रोटीन बनाता है। लिवर विटामिन का भंडारण भी करता है। A,D,E,K ये फैट में घुलने और पचने वाले विटामिन हैं। लिवर में 5 फीसदी से कम फैट रहना भी जरूरी है ताकि इन विटामिनों को शरीर सही तरीके से अवशोषित कर सके। इसके लिए जरूरी है कि हम हर दिन एक चम्मच शुद्ध देसी घी का सेवन करें। लिवर आयरन और कॉपर को भी स्टोर करता है और इसे शरीर को जज्ब करने में मदद करता है। एक और खास बात यह कि विटामिन D को ऐक्टिव फॉर्म में लाने के लिए भी इसकी जरूरत होती है ताकि शरीर कैल्शियम को भी जज्ब कर सके।
कितनी तरह के हेपेटाइटिस वायरस: A, B, C, D और E
ऐसे फैलते हैं हेपेटाइटिस A और E, यह है बचाव
हेपेटाइटिस A- यह ज्यादातर छोटे बच्चों को होता है।
ऐसे फैलता है: संक्रमित पानी और खाने आदि से।
इसके लक्षण: भूख न लगना, कमजोरी, दस्त, पेट में तकलीफ, गहरे पीले रंग का यूरिन, बुखार और पीलिया।
क्या हैं उपाय: इसकी वैक्सीन बहुत कारगर है। अमूमन बचपन में लग जाती है। वैसे यह बहुत नुकसान नहीं पहुंचाता। दवा से, आराम करने और सही खानपान से अमूमन 3 से 5 हफ्तों में ठीक भी हो जाता है। जब इन्फेक्शन 15 साल की उम्र के बाद हो, तब ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है।
हेपेटाइटिस E- अमूमन बड़ों में होता है। ज्यादा खतरनाक नहीं होता। इसकी वजह से एक्यूट हेपेटाइटिस होता है। करीब 0.5 फीसदी मामलों में यह खतरनाक होता है।
ऐसे फैलता है: संक्रमित पानी और खाने आदि से।
इसके लक्षण: भूख न लगना, हल्का या तेज फीवर, पेट में दर्द, उल्टी, पीलिया आदि।
ये हैं उपाय: इन्फेक्शन के बाद इसका इलाज हो सकता है। इसका इन्फेक्शन भी अपने आप खत्म हो जाता है, लेकिन इस दौरान परहेज, सही खानपान और दवा की जरूरत पड़ती है।
ऐसे रोक सकते हैं हेपेटाइटिस B और C को फैलने से
इन दोनों के होने का तरीका लगभग एक जैसा है, इसलिए इन दोनों को एक समझ सकते हैं। इनके फैलने का सबसे बड़ा जरिया है बॉडी फ्लूड।
संक्रमित शख्स के साथ सेक्शुअल रिलेशन बनाने से भी।
संक्रमित खून चढ़ाने से
संक्रमित मां से उसके होने वाले बच्चे में
संक्रमित का टूथब्रश या रेजर यूज करने से
इस्तेमाल की गई सिरिंज या डेंटल टूल्स से
लंबे समय तक बहुत ज्यादा शराब पीने से।
ऐसे नहीं फैलता है यह वायरस
कई लोग यह मान लेते हैं कि हेपेटाइटिस B या C के मरीज से बात करने से भी यह बीमारी फैल सकती है जबकि ऐसा नहीं है। किसी से बात करने से या यहां तक साथ रहने से और साथ खाने से भी नहीं फैलता। हां, यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर ऐसे मरीज के साथ रह रहे हैं तो वैक्सीन के तीनों डोज जरूर लगवा लें।
Hep. B वैक्सीन है सभी के लिए जरूरी
हेपेटाइटिस B वैक्सीन असरदार है। यह 95 फीसदी से भी ज्यादा सफल है। साल 2011 से यह पूरे देश में मिलती है। यह बीमार शख्स में लिवर कैंसर होने से रोकती है। दुनिया में 80 फीसदी से ज्यादा लिवर कैंसर के मामले हेपेटाइटिस B की वजह से ही होते हैं। ऐसे में 3 डोज की वैक्सीनेशन से इस खतरनाक बीमारी से भी छुटकारा मिल सकता है।
वैक्सीन लगाने की जरूरत सबसे ज्यादा किसे है:
सभी नवजात को लगवाना जरूरी, अगर किसी को लगनी छूट गई हो तो उसे बाद में जरूर लगवा देनी चाहिए।
मेडिकल फील्ड और भीड़ में काम करने वाले लोगों को
जिनकी किडनी खराब हो और डायलिसिस होता हो
जिन्हें बार-बार अपना खून बदलवाना पड़ता हो। ब्लड कैंसर जैसे मामलों में ऐसा करना पड़ता है।
प्रेगनेंसी के दौरान जरूर लगवानी चाहिए। दरअसल, हेपेटाइटिस B वायरस मां से उनके होने वाले बच्चे तक ट्रांसफर हो जाता है।
ड्रग्स लेने वालों या जिन्होंने पहले ड्रग्स ली हो
शरीर पर टैटू बनवाने वालों को
असुरक्षित सेक्स किया हो तो
जिनकी फैमिली में किसी को हेपेटाइटिस B पहले या अभी हुआ हो।
शुगर के मरीज और फैटी लिवर के मरीज क्योंकि इनका लिवर पूरी तरह स्वस्थ नहीं होता।
अगर किसी को यह वैक्सीन पहले लग चुकी है तो उसे नहीं लगवानी चाहिए।
हेपेटाइटिस D: अगर किसी को हेपेटाइटिस B है तो उसे Hepatitis D infection भी हो सकता है। यह सीधे इन्फेक्शन नहीं फैलाता। इसलिए इसकी चर्चा भी ज्यादा नहीं होती और हेपेटाइटिस B वैक्सीन से ही हेपेटाइटिस D के इन्फेक्शन से भी बचाव हो जाता है।
हेपेटाइटिस C का है ऐसे होता है इलाज
वैसे तो हेपेटाइटिस B की तुलना में इसका इन्फेक्शन रेट कम है, लेकिन नुकसान पहुंचाने में यह वायरस भी पीछे नहीं।
इसके लिए फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं है।
अगर सही समय पर पता चल जाए तो इसका इलाज मुमकिन है।
इसे दवा से ठीक किया जा सकता है। सही दवा, सही पोषण और आराम करने से मरीज ठीक हो जाता है।
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