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अगर आप पेट के बल लेटकर चलाते हैं लैपटॉप, तो हो सकती है ये प्रॉब्लम

Tara Tandi
10 Oct 2022 1:02 PM GMT
अगर आप पेट के बल लेटकर चलाते हैं लैपटॉप, तो हो सकती है ये प्रॉब्लम
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न्यूज़ क्रेडिट: navyugsandesh

लेपटॉप हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा हो चुका है, इसके बिना हम अपनी डेली लाइफ के काम नहीं कर पाते. लैपटॉप को इस्तेमाल करना का सही तरीका ये है

लेपटॉप हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा हो चुका है, इसके बिना हम अपनी डेली लाइफ के काम नहीं कर पाते. लैपटॉप को इस्तेमाल करना का सही तरीका ये है कि आप इसे एक सही ऊंचाई वाले टेबल पर रखें और कुर्सी पर सही पोजीशन में बैठ कर इसे चलाएं. लेकिन पिछले कुछ सालों में वर्क फ्रॉम होम कल्चर काफी ज्यादा बढ़ गया है, और घर से काम करने की वजह से कंफर्ट जोन भी ज्यादा हो गया है, इसलिए कई कर्मचारी बिस्तर पर पेट के बल लेट कर काम करने से गुरेज नहीं करते, लेकिन ऐसा करना सेहत के लिए काफी परेशानियों को जन्म दे सकता है. आइए जानते हैं.

गर्दन में दर्द
अगर आप काफी देर तक पेट के बल लेटकर लैपटॉप यूज करते हैं तो इससे गर्दन की पोजीशन सही नहीं रहती जिससे गर्दन दर्द बढ़ सकता है. घंटो इस स्थिति में रहने की वजह से पीठ में तेज दर्द उठने की भी आशंका होती है, क्योंकि रीढ़ की हड्डी पर काफी ज्यादा प्रेशर पड़ता है. अगर कई सालों से आप ऐसा कर रहे हैं तो सर्वाइकल पेन (Cervical Pain) के शिकार हो सकते है. इसलिए जानबूझ कर गर्दन और स्पाइन पर दवाब न बढ़ाएं.
स्पाइनल कॉर्ड की दिक्कत
जैसा की हमने बताया कि पेट के बल लेटकर घंटो लैपटॉप चलाने के कारण रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है. इसकी वजह से पीठ के मसल में खिंचाव आने लगता है और हड्डी का दर्द बढ़ जाता है. स्पाइनल कॉर्ड को कुछ हो जाए तो हम अपाहिज हो सकते हैं, इसलिए इसकी देखभाल करना हमारी ही जिम्मेदारी है.
डाइजेशन प्रॉब्लम
अगर पेट के बल लेटकर लैपटॉप पर लंबे वक्त तक काम करेंगे तो इसका असर हमारे डाइजेशन पर पड़ना तय है, क्योंकि ऐसी पोजीशन हमारे मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर डालती है. ये कब्ज और गैस की वजह बन सकता है, यहां तक की आपकी भूख पर भी बुरा असर पड़ने की आशंका रहेगी.
आंखों पर बुरा असर
पेट के बल लेटने और फिर लैपटॉप यूज करने से हमारी आंखे भी प्रभावित होती है. इससे आंखों और इस इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के बीच सही दूरी मेंटेन नहीं हो पाती और फिर स्क्रीन की लाइट हमारी आइज को इफेक्ट करने लगती है. लॉन्ग रन में आंखों की रोशनी कम होने का खतरा पैदा हो जाएगा.

न्यूज़ क्रेडिट: navyugsandesh

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