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माइग्रेन की समस्या से हो परेशान, तो रोजाना करें ये 3 योगासन

Ritisha Jaiswal
1 May 2021 5:21 AM GMT
माइग्रेन की समस्या से हो परेशान, तो रोजाना करें ये 3 योगासन
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आजकल खराब दिनचर्या, अनुचित खानपान और तनाव के चलते माइग्रेन की समस्या सामान्य हो गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आजकल खराब दिनचर्या, अनुचित खानपान और तनाव के चलते माइग्रेन की समस्या सामान्य हो गई है। इस बीमारी में सिर में तेज़ दर्द होता है। यह दर्द कई घंटों तक रहता है। इस स्थिति में पीड़ित को मितली और उल्टी भी हो सकती है। माइग्रेन आभासी और वास्तविक दो प्रकार होते हैं। जबकि माइग्रेन होने के कई कारण हैं। इनमें मानसिक तनाव, नसों में खिंचाव, थकान, कब्ज, नशा, खून की कमी, सर्दी जुकाम प्रमुख हैं। इस बीमारी का इलाज संभव है, लेकिन लापरवाही बरतने पर यह खतरनाक साबित हो सकती है। जबकि योग विशेषज्ञ माइग्रेन को दूर करने के लिए सूर्य नमस्कार, योग मुद्रा, शशांकासन, पवनमुक्तासन, सर्वागासन, हलासन, मत्स्यासन करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी माइग्रेन की समस्या से परेशान हैं, तो रोजाना इन योगासन को रोजाना जरूर करें-

मत्स्यासन करें
मत्स्यासन दो शब्दों मत्स्य अर्थात मछली और आसन यानी मुद्रा से मिलकर बना है। आसान शब्दों में कहें तो मछली की मुद्रा में रहना मत्स्यासन कहलाता है। इस योग को करने से माइग्रेन में आराम मिलता है।
इसके लिए समतल जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद अपने दोनों पैरों को बैठने की मुद्रा में समेटकर अपनी जांघों पर रखे लें। अब धीरे-धीरे अपने धड़ को ऊपर की ओर उठाएं। इस मुद्रा में कुछ पल के लिए रुकें। इसके बाद पहली अवस्था में आ जाएं।
सेतु बंधासन करें
इस योग को करने से रक्त चाप नियंत्रित रहता है। जबकि माइग्रेन में भी आराम मिलता है। साथ ही तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है। इससे रक्त प्रवाह मस्तिष्क में सही से होने लगता है, जिससे माइग्रेन की समस्या दूर होती है।इसके लिए समतल ज़मीन पर दरी बिछा लें। अब उस पर पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद धीरे-धीरे अपने पैरों को ज़मीन पर टीकाकर कमर को ऊपर उठाएं और हाथों को ज़मीन पर टिका दें। ध्यान रहें कि इस मुद्रा में आपका आधा धड़ ज़मीन पर रहें। इस योग को रोजाना करें।
बालासन करें
इस योग को करने से संपूर्ण शरीर में रक्त का संचार होता है। मस्तिष्क में भी रक्त संचरण सही से होने लगता है, जिससे माइग्रेन में आराम मिलता है।
इसके लिए सबसे पहले किसी स्वच्छ वातावरण में दरी अथवा चटाई बिछा लें। अब सूर्य की ओर मुखकर अपने पैरों को मोड़कर वज्रासन मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद सांस लेते वक्त अपने
दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं। जबकि सांस छोड़ते समय आगे की तरफ झुकें। यह क्रम तब तक जारी रखें। जब तक आपकी हथेलियां ज़मीन को न छू जाएं। इसके बाद अपने सिर को ज़मीन पर टिका दें। इस मुद्रा में आने के बाद शरीर को अनवरत छोड़ दें और आराम महसूस करें। सांस लें और सांस छोड़ें। हालांकि, सांस आराम से लें। इसमें कोई जल्दबाजी न करें।


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