लाइफ स्टाइल

अगर आप अपने पार्टनर के मारने-पीटने पर भी नहीं उठा पाती हैं आवाज, कही आप भी बैटर्ड वुमन सिंड्रोम का शिकार

Manish Sahu
18 July 2023 11:42 AM GMT
अगर आप अपने पार्टनर के मारने-पीटने पर भी नहीं उठा पाती हैं आवाज, कही आप भी  बैटर्ड वुमन सिंड्रोम का शिकार
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लाइफस्टाइल: घरेलू हिंसा के बारे में हम सभी ने सुना है, हो सकता हैं कि हम में से कई महिलाओं ने इसका अनुभव भी किया होगा। एक अब्यूसिव पार्टनर के साथ रहना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में कई महिलाएं पार्टनर से शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित होने के बाद अलग होने की हिम्मत कर लेती हैं, लेकिन कई ऐसी भी महिलाएं हैं जो समाज के डर से, अपने बच्चों के लिए, या फिर अपने पैरों पर खड़ी न होने के का
रण ऐसे रिश्ते को निभाती हैं। कई ऐसी भी महिलाएं हैं जो एक अब्यूसिव रिश्ते से आसानी से निकल सकती हैं लेकिन इसके बाद भी वो उस रिश्ते को जबरदस्ती निभाती हैं? दरअसल ऐसी महिलाएं बैटर्ड वुमन सिंड्रोम का शिकार होती है। आइए जानते हैं क्या हैं ये सिंड्रोम, इसके लक्षण, और इलाज के बारे में? बैटर्ड वुमन सिंड्रोम क्या है? बैटर्ड वुमन सिंड्रोम को इंटिमेट पार्टनर वायलेंस सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है जो महिलाओं में इंटीमेट पार्टनर के हिंसक व्यवहार के कारण हो सकता है। यह सिंड्रोम किसी तरह की मेंटल इलनेस नहीं है, बल्कि अपने पार्टनर से रोजाना मिलने वाले फिजिकल और मेंटल वायलेंस के कारण होता है। अपने पार्टनर के वायलेंट बिहेव के कारण महिलाओं की मेंटल कंडीशन बहुत ज्यादा बदतर हो सकती है। इस सिंड्रोम का शिकार कोई तब होता है जब महिला अपने पार्टनर के द्वारा शारीरिक, इंटीमेट और मेंटल शोषण लगातार झेलती हैं। लेकिन गलत व्यवहार करने के बाद उनका पार्टनर अपनी गलती के लिए उनसे माफी मांग लेता है और दोबारा ऐसा न होने का वादा करता है।पत्नी करती हो कितना भी प्यार लेकिन उनकी इन 6 आदतों से पति हमेशा रहते हैं परेशान आपके दिमाग में ये चल रहा होगा कि आखिर इस
बात की पहचान कैसे की जाए कि कोई भी महिला बैटर्ड वुमन सिंड्रोम का शिकार है या नहीं? अगर आप एक इंटीमेंट पार्टनर के द्वारा फिजिकल, इमोशन या साइकोलॉजिकल मिसबिहेव का सामना कर रहे हैं तो आप बैटर्ड वुमन सिंड्रोम का शिकार हो सकती हैं। लेकिन आपको बता दें कि हर महिला का घरेलू हिंसा का अनुभव अलग होता है। बैटर्ड वुमन सिंड्रोम का शिकार महिलाएं ये चीजें कर सकती हैं इसके बाद भी आपको लगता है कि कुछ भी हो जाएं लेकिन आप अपने इस रिश्ते से बाहर नहीं निकल सकती हैं। आपको अपने अब्यूसिव रिश्ते को निभाना ही है। भले आपके हेल्थ के लिए येकितना ही हानिकारक क्यों न हो। 2. पार्टनर के मिसबिहेव के लिए आप खुद को दोषी मानने लगती है। पार्टनर का गुस्सा उनका मारना आपको अपने गलती पर मिली सजा लगने लगती है और आप इसके खिलाफ कुछ बोल नहीं पाती हैं। 3. आप अपने मेंटल हेल्थ और पार्टनर के मिसबिहेव के बारे में किसी से भी शेयर नहीं कर पाती है। आपको ऐसा लगने लगता है कि आपकी बातों को कोई नहीं समझेगा। 4. आप खुद में ही कमी ढ़ूढने
लगत हैं। आपके ऐसा लग सकता है कि आप में ही कोई कमी है, या फिर आप ही अच्छे नहीं हो, जिस कारण आपका पार्टनर आपके साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है। यह उन्हें उनके आत्मसम्मान और आत्म-मूल्य का पुनर्निर्माण करने और नेगेटिव विचार पैटर्न को बदलने पर काम करने में भी मदद कर सकता है। 2. ग्रूप सपोर्ट एक सपोर्टिंग ग्रूप में रहने से इस सिंड्रोम से पीड़ित महिलाएं खुद को अकेला महसूस नहींकरेंगी। इतना ही नहीं अपने अपने अनुभवों को दूसरों के साथ शेयर कर इस समस्या से निकलने का रस्ता भी खुद खोज लेंगी। ऐसा ग्रूप महिलाओं को आत्मसम्मान के साथ जीना और रहना सीखाने में भी मदद कर सकता है। 3. सेफ्टी प्लेनिंग आप किसी डॉक्टर की मदद से एक सेफ्टी प्लेनिंग तैयार कर सकती हैं। ऐसा करने से महिलाओं को भविष्य में किसी भी तरह से पार्टनर से मिलने वाले दुर्व्यवहार से खुद को बचाने में मदद कर सकती हैं। 4. दवा कई मामलों में महिलाओं की मेंटल कंडीशन बहुत ज्यादा बिगड़ सकती हैं। ऐसे में डॉक्टर उनके ड्रिपेशन, एंजयटी के लक्षणों को पहचान कर उनके लिए कुछ दवाएं का भी सुझाव दे सकते हैं।

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