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दुनिया के किसी भी पैरेंट्स से पूछें कि पैरेंटिंग का सबसे चैलेंजिंग पार्ट क्या है? 90% का जवाब होगा बच्चों को खाना खिलाना. खाना ख़त्म कराने के लिए उनके नखरे झेलना वाक़ई आसान काम नहीं है. तो अगर आप भी उन्हीं दुखियाए पैरेंट्स में शामिल हैं, जिनके बच्चे खाना खिलाने में उनके छक्के छुड़ा देते हैं तो हो सकता है, यहां बताई जा रही टिप्स से आपको कुछ मदद मिले. यहां बताए गए तरीक़ों को आज़माकर आप बच्चे को खाने से प्यार करना सिखा सकते हैं. आपने इतना कुछ ट्राय किया ही है ना, तो इन्हें भी एक बार आज़माकर देखें, शायद आपका काम बन जाए.
अड़ियलपना छोड़िए, नए प्रयोग कीजिए
यह तो हमने शुरू में ही कह दिया कि बच्चे खाने के मामले में बेहद अड़ियल होते हैं. पर आपने कभी सोचा इस अड़ियल पने का मूल कहां है? कहीं न कहीं हमारे अड़ियल पने से ही वे अड़ियल बनते हैं. जैसे वे खाने से मना कर देते हैं, उसी तरह हम भी खाने के साथ नए एक्सपेरिमेंट्स करने से झिझकते हैं. तो सबसे पहले आपको अपनी यह झिझक परे रखकर खाने के साथ नए प्रयोग करना शुरू करना होगा. उन्हीं इन्ग्रीडिएंट्स से नई चीज़ें तैयार करें. इस बात की संभावना बहुत ज़्यादा है कि वे खाएंगे. वैसे भी आपका फ़ोकस पोषक तत्वों को उनके शरीर में पहुंचाना होना चाहिए, न कि किस शेप की चीज़ उन्हें खिलानी है.
हां, एक और बात जो आपको ध्यान में रखनी है, वह है नए व्यंजन धीरे-धीरे उनके खानपान में शामिल करने हैं. एक ही दिन में आप उन्हें पोषक तत्वों से लोड नहीं कर सकते हैं. टेस्ट डेवलप होने में थोड़ा समय लगता है. उन्हें समय देना, आपका काम है. वैसे भी पैरेंटिंग का सबसे बड़ा सबक है धैर्य.
बच्चों को रसोई में लाइए, कुकिंग को मज़ेदार बनाइए
बच्चे जब खाने से जुड़ाव महसूस करते हैं, तब अपने आप खाने लगते हैं. आप भी अपने बच्चे को रसोई में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें. भोजन बनाते समय उनकी मदद लें, ताकि वे इस बात से अवगत रहें कि खाना पकाने में कितना प्रयास और समय लगता है. उनसे पूछें कि खाने में क्या बनाना पसंद है. उनके पसंद की चीज़ें बनाएं. उस दौरान वे भी किचन में आपकी मदद के लिए मौजूद रहेंगे तो खाने से उनका सहज जुड़ाव हो जाएगा. अगर वे कुछ सुझाव दें तो उनकी बात को मानें और अपनी रेसिपी में उसके अनुसार बदलाव भी लाएं. कोई कारण नहीं रह जाता कि वे खाने से प्यार क्यों नहीं करेंगे.
रसोई में क्या पकनेवाला है, उसका पहले से ही साप्ताहिक शेड्यूल बना लें. वह शेड्यूल बच्चों के साथ मिलकर ही बनाएं. जब उन्हें शेड्यूल बनाना होगा तो वे वह सभी चीज़ें बनाने कहेंगे, जो उन्हें पसंद होंगी. आप उन सभी चीज़ों को सेहतमंद पोषक तत्वों के तड़के के साथ तैयार करें. यानी बच्चे तो ख़ुश होंगे ही, आपको भी उन्हें अच्छा खिलाने की तसल्ली रहेगी.
जंक फ़ूड से सुरक्षित दूरी बनाने में पहल आप करें
पैरेंट्स की शिकायत होती है कि हमारा बच्चा तो घर का खाना खाता ही नहीं. उसे बाहर की चटर-पटर चीज़ें ही भाती हैं. यहां सोचनेवाली बात यह है कि उसे बाहर की चटर-पटर चीज़ों से परिचित किसने करवाया? आपने ही ना! जब पैरेंट्स जंक फ़ूड खाते हैं, तब ज़ाहिर है, बच्चे भी खाएंगे. तो अगर आप चाहते हैं कि बच्चा जंक फ़ूड से दूर रहे तो सबसे पहले आप अपने खानपान में बदलाव करें और जंक फ़ूड से सुरक्षित दूरी बनाएं. यहां आप दोहरा मापदंड नहीं अपना सकते कि आप खाएं और बच्चा नहीं.
हां, आप यह ज़रूर कर सकते हैं कि सप्ताह में एक दिन चीट डे रख सकते हैं. इससे उनकी क्रेविंग शांत रहेगी. अगर आपको उन्हें बाहर नहीं खाने देना है तो घर पर ही सप्ताह में एक दिन चटपटी चीज़ें बनाएं. घर पर बना जंक फ़ूड बाहर की तुलना में तो हज़ार गुना सेहतमंद होगा.
कुकिंग में छोटे-मोटे बदलाव, जिनका सेहत पर होगा बड़ा प्रभाव
हम जब बच्चों को सेहतमंद खिलाना शुरू करते हैं, तब हमारे मन के किसी न किसी कोने में यह गिल्ट रह जाती है कि बेचारे को स्वादिष्ट चीज़ें खाने नहीं मिल रही हैं. इस बात को दिमाग़ से पूरी तरह निकाल दें. जो सेहतमंद है, वह स्वादिष्ट नहीं हो सकता, यह बहुत बड़ा मिथक है. आप अपनी कुकिंग स्टाइल में छोटे-मोटे बदलाव लाकर इस गिल्ट से उबर सकते हैं, जैसे-अगर आपको फ्रेंच फ्राइज़ बनानी हो तो उन्हें तलने के बजाय नारियल तेल में सेंक लें. प्लेन दही बोरिंग लग रहा हो तो उसमें कुछ ताज़े फल मिक्स करके बच्चे को खाने के लिए दें. पनीर ब्रेड रोल्स, ओटमील पैनकेक्स और राइस उपमा न केवल सेहतमंद बल्कि बेहद स्वादिष्ट विकल्प हैं. वेजेटेबल सलाद के ऊपर सलाद ड्रेसिंग डालकर उसे इंट्रेस्टिंग बनाया जा सकता है. बच्चों को फलों के अलावा सूखे मेवे भी खिलाना शुरू करें. इस तरह आप स्वाद और सेहत में एक गिल्ट फ्री रिलेशन बना सकते हैं.
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