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कोविड महामारी के दौरान दुनिया भर में हुए रिसर्च ये कहते हैं कि जहां कोविड होने का खतरा औरतों को ज्यादा है, वहीं कोविड से मरने की संभावना पुरुषों में ज्यादा है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोविड महामारी के दौरान दुनिया भर में हुए रिसर्च ये कहते हैं कि जहां कोविड होने का खतरा औरतों को ज्यादा है, वहीं कोविड से मरने की संभावना पुरुषों में ज्यादा है. कोविड से हुई मौतों के आंकड़े कहते हैं कि जहां ज्यादा संख्या में महिलाएं कोविड का शिकार हुईं, वहीं मरने वालों में पुरुषों का प्रतिशत ज्यादा था.
मेडिकल साइंस की मानें तो मोटे तौर पर स्त्री और पुरुष के जीवन की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है. जो फर्क दिखता भी है, वो सामाजिक कारणों से ज्यादा है. प्रकृति की संरचना में बुनियादी फर्क के अलावा कोई फर्क नहीं है. फिर भी कुछ बीमारियां और उससे जुड़े खतरे ऐसे हैं, जिनसे महिलाओं के प्रभावित होने का रिस्क ज्यादा होता है.
कुछ बीमारियां ऐसी भी होती हैं, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकती हैं. लेकिन दोनों की भिन्न जैविक संरचना और सामाजिक स्थिति के कारण उन पर पड़ने वाला प्रभाव बहुत भिन्न होता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को विशेष रूप से और ज्यादा प्रभावित करने वाली बीमारियां कुछ इस प्रकार हैं –
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है, जैसेकि स्किन डिजीजेज, मल्टीपल स्क्लेरोसिस आदि. ऑटो इम्यून बीमारियां वो होती हैं, जिसमें आपका इम्यून सिस्टम आपके ही खिलाफ काम करने लगता है. मेडिकल साइंस के सर्वे के मुताबिक आज दुनिया में ऑटो इम्यून बीमारियों के शिकार हर चार लोगों में से तीन महिलाएं हैं.
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में डिप्रेशन, एंग्जायटी और अवसाद की संभावना अधिक होती है. डिप्रेशन का हर दूसरा मरीज कोई महिला होती है. पोस्ट पार्टम या प्रसव के उपरांत डिप्रेशन की शिकार भी महिलाएं ही होती हैं. इस वजह से भी महिलाओं में डिप्रेशन का आंकड़ा पुरुषों के मुकाबले कहीं ज्यादा है.
शराब हर किसी के लिए नुकसानदायक है, लेकिन महिलाओं के शरीर पर पुरुषों के मुकाबले उसका ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. सिगरेट, शराब महिलाओं में कैंसर की संभावना को पुरुषों के मुकाबले 14 गुना बढ़ा देता है.
हार्ट अटैक औरत या मर्द किसी को भी हो सकता है, लेकिन पूरी दुनिया में हार्ट अटैक के मामले में महिलाओं का मौरटैलिटी रेट मर्दों से 26 गुना ज्यादा है. यानि यदि किसी महिला को दिल का दौरा पड़ जाए तो उसके बचने की संभावना पुरुष के मुकाबले बहुत कम होती है.
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