लाइफ स्टाइल

प्रेग्नेंसी के दौरान अगर ऐसा हो तो यह है ख़तरे का संकेत

Kajal Dubey
29 April 2023 2:50 PM GMT
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर ऐसा हो तो यह है ख़तरे का संकेत
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प्रेग्नेंसी का दौर वह दौर है, जब आप अपने वज़न बढ़ने या शरीर के किसी ख़ास हिस्से में एक्स्ट्रा फ़ैट जमा होने को लेकर बेफ़िक्र हो जाते हैं. यही कारण है कि ज़्यादातर महिलाएं अपनी ज़िंदगी के इस फ़ेज़ को ख़ूब एन्जॉय करती हैं. प्रेग्नेंसी जहां आपको कुछ आज़ादी देती है तो कुछ सावधानियां रखना भी बहुत ज़रूरी हो जाता है, क्योंकि भले ही आप बेहद ख़ुश हों, पर आपके शरीर में हर दिन बदलाव आते रहते हैं. पल-पल बदलते हार्मोन आपके मूड के साथ ही नहीं शरीर के साथ भी खेलने लगते हैं, अगर आपने शरीर की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया तो. यहां हम छह ऐसे ही वॉर्निंग साइन्स यानी ख़तरे के संकेतों के बारे में बता रहे हैं, जिनका ख़्याल रखना प्रेग्नेंसी के दौरान कम्पल्सरी है.
ख़तरे का संकेत नंबर 1: आपको अचानक ही बहुत तेज़ पेट दर्द होने लगे
प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिला थोड़ा-बहुत पेट दर्द महसूस करती ही है. ऐसा मसल्स के कॉन्ट्रैक्शन्स यानी खिंचाव के चलते होता है. लेकिन जब यह दर्द हल्के-फुल्के की कैटेगरी से बढ़कर असहनीय हो जाए तो समझिए कुछ न कुछ गड़बड़ है. गर्भावस्था में अचानक तेज़ गति से पेट दर्द होना यूटेरियन रैप्चर का संकेत हो सकता है. यह मेडिकल एमर्जेंसी है. इस तरह का दर्द मां और बच्चे दोनों के लिए घातक साबित हो सकता है इसलिए इसे इग्नोर बिल्कुल भी न करें.
ख़तरे का संकेत नंबर 2: आपको कई बार कॉन्ट्रैक्शन्स यानी मरोड़ अनुभव होते हों
जब आप प्रेग्नेंट होती हैं तब कभी-कभी कॉन्ट्रैक्शन यानी मरोड़ का अनुभव होना सामान्य है. आमतौर पर कॉन्ट्रैक्शन्स ड्यू डेट के आसपास आने शुरू होते हैं. यदि आपके कॉन्ट्रैक्शन्स काफ़ी पहले शुरू हो गए हों तो यह किसी तरह की गड़बड़ी का संकेत है. ख़ासकर यदि कॉन्ट्रैक्शन्स दर्द के साथ आते हों. दूसरी बात कॉन्ट्रैक्शन्स के ड्यूरेशन पर भी ध्यान दें. अगर आपको दिन में छह घंटे से अधिक समय तक कॉन्ट्रैक्शन्स हों तो यह प्रीटर्म लेबर का संकेत है.
ख़तरे का संकेत नंबर 3: अगर आपको हैवी ब्लीडिंग होती हो
गर्भावस्था के दौरान वेजाइना से थोड़ा ब्लड डिस्चार्ज होना नॉर्मल है. पर जब ब्लीडिंग बहुत हैवी हो, पीरियड की तरह तो यह घातक संकेत है. हैवी ब्लीडिंग जच्चा-बच्चा दोनों के लिए ख़तरे की घंटी की तरह है. आमतौर पर जिन महिलाओं का प्लेज़ेंटा एब्नॉर्मल कंडिशन में होता है उन्हें इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. अगर आपको कभी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़े तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
ख़तरे का संकेत नंबर 4: अगर आपका बच्चा हिलना-डुलना बंद कर दे
आपने अपनी प्रेग्नेंट सहेलियों से सुना ही होगा कि बच्चा लात मार रहा है या अंदर मूव कर रहा है. प्रेग्नेंट होने के हर महिला बच्चे के मूवमेंट को महसूस करने के लिए बेताब रहती है. बच्चे का मूवमेंट पहले 28 हफ़्तों तक अनियमित होता है यानी कभी बच्चा हिलता हुआ महसूस होता है तो कभी नहीं. लेकिन 28 हफ़्तों के बाद ज़्यादातर बच्चे ऐक्टिव हो जाती हैं और मांएं उनका हिलना-डुलना अच्छे से महसूस करती हैं. बच्चे के रेग्युलर मूवमेंट को महसूस करनेवाली मांओं को जब उसकी गतिविधियां कम होती महसूस होने लगे तो उन्हें बिना देर किए अपने गायनाकोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए. ऐसे केसेस को तुरंत मॉनिटरिंग पर रखा जाता है.
ख़तरे का संकेत नंबर 5: अगर आपको लगे कि वेजाइना के अंदर से कोई फ़्लूइड निकल रहा है
आप प्रेग्नेंट होती हैं तो बहुत सारी जगहों से, बहुत सारी जानकारियां हासिल करती हैं. आपको यह पता चलता है कि आपका बच्चा अमिनियोटिक फ़्लूइड में रहता है. यह फ़्लूइड यानी द्रव्य बच्चे की सेहत के लिए बहुत ही आवश्यक है. जब बेबी डिलिवर होनेवाला होता है, तब मां की थैली ओपन होती है और यह फ़्लूइड बाहर निकलता है. अगर ड्यू डेट से काफ़ी पहले यह फ़्लूइड बाहर आने लगे तो मां और बच्चे दोनों के लिए ख़तरे की बात है. जहां मां को ख़तरनाक इन्फ़ेक्शन्स होने का ख़तरा होता है, वहीं बच्चे का सामान्य ग्रोथ भी प्रभावित होता है. समय से पहले डिलिवरी हो सकती है, फ़्लूइड
ख़तरे का संकेत नंबर 6: अगर आपका ब्लड शुगर बहुत ज़्यादा या बहुत कम हो
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन्स का खेल भी चलता रहता है. कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान गेस्टैशनल डायबिटीज़ हो जाती है. उनका ब्लड शुगर लेवल कम और ज़्यादा होता रहता है. ब्लड शुगर की यह उठापटक प्रेग्नेंसी को ख़तरनाक बना देती है. यदि आपको पहले से डायबिटीज़ हो तो प्रेग्नेंसी और भी ट्रिकी हो जाती है. गेस्टैशनल डायबिटीज़ की पहचान करना बहुत ज़रूरी होता है और उसका इलाज करना भी उतना ही अहम है. अगर आपका ब्लड शुगर नॉर्मल रेंज से ज़्यादा ऊपर नीचे हो तो रेग्युलर शुगर चेकअप अनिवार्य है. अन्यथा मां और बच्चे की सेहत ख़तरे में पड़ जाती है.
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