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लाइफ स्टाइल
दफ्तर में सहकर्मी से हो जाए मनमुटाव तो गलती से भी न करें ये काम
Apurva Srivastav
20 Jun 2023 3:27 PM GMT
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वैचारिक मतभेद या बेहतर करने और एक-दूसरे से आगे निकलने की चाहत में कई बार ऑफिस में सहकर्मियों के बीच मनमुटाव हो जाता है। दिन का ज्यादातर समय ऑफिस में बीतता है। उनमें से कई सहकर्मियों के बीच दोस्ती और आपसी समझ का रिश्ता विकसित करते हैं। वहीं कई ऐसे साथी भी होते हैं, जिनसे मनमुटाव हो सकता है।उनके साथ ऑफिस में साथ काम करना, किसी बात पर चर्चा करना मुश्किल हो जाता है। कई बार आप दोनों के विवाद का फायदा दूसरे सहकर्मी भी उठा लेते हैं और मनमुटाव बढ़ जाता है। इससे नकारात्मकता बढ़ती है और व्यावसायिक संबंध भी प्रभावित होते हैं।
यदि दफ्तर में किसी सहकर्मी से आपके भी वैचारिक मतभेद हैं या किसी कारणवश आप दोनों के बीच विवाद हो गया है तो कोशिश करें कि मनमुटाव को बढ़ने न दें। कुछ गलतियों से बचें ताकि ऑफिस में दो सहकर्मियों के बीच का विवाद नकारात्मकता न फैलाए। यहां आपको कुछ ऐसी गलतियों से बचने की सलाह दी जा रही है जो आपको किसी सहकर्मी से विवाद के बाद कभी नहीं करनी चाहिए।
किसी सहकर्मी से विवाद होने की स्थिति में स्वयं ही निपटें। हर बात पर बॉस से शिकायत न करें। अगर काम को लेकर मनमुटाव है तो मिलकर उसका समाधान निकालें। यदि यह संभव न हो तो किसी वरिष्ठ की मदद ली जा सकती है, लेकिन दोनों सहयोगी मिलकर निर्णय लें। पार्टनर के बारे में अकेले में शिकायत करने से बचें। इससे आप दोनों का रिश्ता और भी गंभीर हो जाता है और वह भी शिकायत करने लगता है।काम को लेकर अगर सहकर्मी से तनाव बढ़ता है तो उससे सीधे बात करें। सहकर्मी को बताएं कि आप किस बात से असहमत हैं। यह जानने की कोशिश करें कि आपके सहकर्मी के साथ क्या समस्या है, ताकि आप दोनों मिलकर दोनों के बीच की समस्या को कम कर सकें।
किसी भी विवाद की सबसे बड़ी वजह होती है दो लोगों के बीच किसी तीसरे शख्स की एंट्री। जब किसी सहकर्मी से विवाद होता है तो आप दूसरे सहयोगी से उसकी चर्चा करते हैं। वह तीसरा व्यक्ति आपका सहकर्मी भी है और उनका साथी भी। इससे ऑफिस गॉसिप बढ़ती है और विवाद कम होने के बजाय बढ़ने लगता है। कभी-कभी तीसरा सहयोगी भी आपके विवाद का फायदा उठाने की कोशिश कर सकता है।सहकर्मी से मनमुटाव होने पर भी पेशेवर रवैया बनाए रखें। जरूरत पड़ने पर किसी सहकर्मी की मदद करने से पीछे न हटें। अपनी नाराजगी और गुस्से में नैतिकता को न भूलें। ध्यान रखें कि क्रोध में गलत शब्दों, निजी टिप्पणियों से बचें।
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