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- नवजात शिशु को संक्रमण...
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | नवजात में इम्यून सिस्टम नहीं होता है, अगर थोड़ा बहुत है भी तो वो मां के जरिए होता है. सामान्यतः इम्यून सिस्टम डेवलप होने में 9 महीने का समय लगता है. इसलिए बच्चे में बीमारी से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है और वे थोड़ी सी लापरवाही बरतने पर संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं.
नवजात में संक्रमण त्वचा, कान, नाक, आंख और मुंह कहीं से भी हो सकता है. गंदे हाथ से स्पर्श, गंदे कपड़े, तेल या पाउडर का इस्तेमाल भी उनमें संक्रमण की वजह बन सकता है. ऐसे में उनके स्वास्थ्य को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है.
इन लक्षणों से करें पहचान
सामान्यतः संक्रमण की स्थिति में बच्चा सुस्त हो जाता है और बीमार सा नजर आने लगता है. कई बार पेट फूल जाता है, पेट में दर्द की वजह से रोता है, उल्टी और दस्त की समस्या भी हो सकती है. इसके अलावा सांस की गति में भी फर्क आ सकता है. इस तरह के कोई भी लक्षण दिखने पर देर किए बगैर विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए ताकि समस्या गंभीर रूप न ले.
बचाव के लिए करें ये उपाय
1. बच्चे को दूध पिलाने, कपड़े बदलने और गोद में उठाने से पहले हमेशा हाथ धोएं. हाथ धोते समय नाखूनों की भी अच्छी तरह से सफाई करें.
2. आभूषणों में भी कीटाणुओं के पनपने का खतरा रहता है, इसलिए हाथ धोते समय खासतौर पर मेटल की चूड़ियां, अंगूठी वगैरह उतार देना चाहिए. संभव हो तो जब तक बच्चा छोटा है, तब तक मेटल की चीजों को पहनने से परहेज करें.
3. आप स्वयं अपने कपड़ों और शरीर की स्वच्छता का ध्यान रखें ताकि संक्रमण आप तक न पहुंचे. कई बार मां को समस्या होने पर भी वो बच्चे को हो जाती है. आपकी स्वयं की सुरक्षा से नवजात शिशु को भी सुरक्षा मिलेगी.
4. छींकने से पहले हमेशा नाक और मुंह को कपड़े से ढक कर छींकें. अपने पास हमेशा हैंड सैनिटाइजर या एंटीसेप्टिक वाइप्स रखें. ताकि यदि आप हाथ धोने में असमर्थ हों, तब भी हाथ साफ रहें.
5. यदि चोट लग जाए तो जख्म को साफ रखें. साफ पट्टी बांधें. खुले जख्म से बच्चे संक्रमण का खतरा हो सकता है.
6. बच्चे को जिस जगह भी लेटाएं, वहां स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें. जन्म के समय से लेकर बच्चे के हर टीके को समय से लगवाएं.