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कैसे बनाये होंगे इस शाकाहारी मीट को जानें ये क्यों है इतना खास

Tara Tandi
22 Dec 2020 10:30 AM GMT
कैसे बनाये होंगे इस शाकाहारी मीट को जानें ये क्यों है इतना खास
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देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी दिल्ली ने शाकाहारी मीट बनाया है,

जनता से रिश्ता बेवङेस्क| देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी दिल्ली ने शाकाहारी मीट बनाया है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है. लोग इस शाकाहारी मीट की खुशबू, टेस्ट, बनावट, रेसिपी, पर्यावरण पर इफेक्ट को लेकर चर्चा कर रहे हैं. आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर ये मीट कैसे बना होगा और क्या यह असली मीट की तरह होगा? आज हम आपको इसका जवाब देते हैं कि आखिर इस मीट का निर्माण कैसे होता है और शाकाहारी मीट में क्या-क्या डाला जाता है. जानते हैं शाकाहारी मीट से जुड़ी हर एक बात….

क्या होता है शाकाहारी मीट?

शाकाहारी मीट को प्लांट मीट भी कहा जाता है. प्लांट मीट को लेकर लंबे समय से रिसर्च चल रही है और विदेश में लंबे समय से इस पर शोध किया जा रहा है. अगर इस मीट की बात करें तो यह पौधों से तैयार किया जाता है, इसका मतलब ये नहीं है कि इसे सीधे पौधों से तैयार कर दिया जाता है. इसे बनाने के लिए पौधों या नैचुरल सोर्स से कुछ तत्व लिए जाते हैं और उन तत्वों के फीक्स मिश्रण से इसे तैयार किया जाता है. इसे बनाने के लिए खास तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है और इसमें टेक्सचर, फैट सोर्स, कलरिंग, फ्लेवर आदि पर खास ध्यान दिया जाता है.

कैसे बनता है प्लांट मीट?

इसमें प्रमुख तौर पर तीन चीजों का ध्यान रखा जाता है, जिसमें टेक्सचर, एपीरियंस, फ्लेवर शामिल है. अगर टेक्सचर की बात करें तो इसे सॉफ्ट रखा जाता है और टेक्सचर पर खास दिया जाता है. जिस तरह आम तौर पर मीट बाहर टाइट रहता है, लेकिन मुंह में जाते ही यह घुल जाता है. इसके लिए नारियल में पाए जाने वाले कुछ तत्वों से ऐसा किया जाता है, क्योंकि नारियल भी इसी तरह काम करता है. वहीं, रंग आदि के लिए आदि का इस्तेमाल किया जाता है, जो मीट को नैचुरल रंग देने में काम आते हैं. वहीं, फ्लेवर की बात करें तो इसमें कुछ नेचुरल और आर्टिफिशियल फ्लेवर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें भी खास ध्यान रखा जाता है. साथ ही नैचुरल प्रोटीन आदि का भी इस्तेमाल किया जाता है.

लैब ग्रोन मीट से होता है अलग?

अगर लैब ग्रोन मीट की बात करें तो यह भी एक तरह का मीट होता है, जो जानवरों की हत्या के बिना ही बनाया जाता है. हालांकि, ये प्लांट मीट से अलग है, क्योंकि इसे तैयार करने के लिए जानवरों की कुछ कोशिकाओं का इस्तेमाल किया जाता है. इन कोशिकाओं के माध्यम से लैब ग्रोन मीट को तैयार किया जाता है और उसमें भी प्रोटीन, स्वाद आदि का खास ध्यान रखा जाता है. हालांकि, प्लांट मीट पूरी तरह से शाकाहारी होता है और पौधों का ही इस्तेमाल किया जाता है.

कितने लाभदायक?

यह सामान्य मीट से ज्यादा लाभदायक माने जाते हैं, क्योंकि इनमें उन सभी तत्वों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जो शरीर के लिए नुकसान दायक होता है. इस विशेषज्ञों की खास देखरेख में बनाया जाता है, जिस वजह से इसमें हेल्थ का खास ध्यान रखा जाता है. साथ ही यह पर्यावरण के लिए सामान्य मीट की तुलना में काफी अच्छा होता है.

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