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Winter blues से कैसे पाएं छुटकारा, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर्स

Gulabi
25 Jan 2021 1:50 PM GMT
Winter blues से कैसे पाएं छुटकारा, जानें क्या कहते हैं डॉक्टर्स
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जिंदगी में कभी-कभी सब उदास हो सकते हैं, लेकिन सर्द मौसम में उदास होने की अलग बात है क्योंकि यह मौसमी उदासी है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जिंदगी में कभी-कभी सब उदास हो सकते हैं, लेकिन सर्द मौसम में उदास होने की अलग बात है क्योंकि यह मौसमी उदासी है. साल का वह वक्त है जब अंधेरा और धूसर आसमान होने लगता है और धूप जैसे बीती सी एक याद हो जाती है. सर्दियां ठंड का प्रकोप और संक्रमणों की अधिकता लेकर आती है. यह मौसम आपके मूड खराब होने की वजह भी बन सकता है यानी आप विंटर ब्लूज (Winter Blues) का शिकार हो सकते हैं. इससे जूझने के लिए हमें ख़ुद को तैयार करना पड़ता है. तो इस सर्दी ऐसा क्या करें कि मूड खुशगवार भी बना रहें और धूप सी गर्मजोशी भी महसूस हों. इसके लिए अधिक कुछ नहीं करना बस अपने रूटीन में थोड़ा सा बदलाव लाना है. इससे निजात पाने के लिए मोटे तौर पर कुछ तरीके बेहद कारगर साबित होते हैं. तो डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल क्लीनिक साइकोलॉजी (Clinical Psychology) डिपार्टमेंट की एचओडी (HOD) डॉ. रुशी के बताएं ऐसे ही तरीकों को अपनाएं और विंटर ब्लूज को दूर भगाएं.


क्या बला है विंटर ब्लूजः
सर्दियों में लाइफ स्लो (Slow) हो जाती है. इस दौरान ज्यादातर लोगों में डिप्रेशन (Depression) होना सामान्य बात है. कभी-कभी एंग्जाइटी (Anxiety) और डिप्रेशन की फिलिंग (Feeling) एक साथ होती हैं. एनर्जी लेवल (Energy Level) कम हो जाता है. यह मिजाज़ से संबंधित मौसमीय भावात्मक डिफेक्ट (Defect) है. जो हर साल एक ही समय पर होने वाले अवसाद से पहचाना जाता है. यह तब होता है जब साल के कुछ निश्चित समय पर सूर्य का प्रकाश कम होता है. ठंड की वजह से कम एक्टिविटी (Activity)होती है. हम कम काम करते हैं और इस वजह से भी डिप्रेशन होता है. इसके लक्षण थकान, अवसाद, निराशा, और समाज से कटना है.

मेंटल हेल्थ पर दें ध्यानः
विंटर (Winter) में हमें फिजिकल हेल्थ के अलावा मेंटल हेल्थ का खास ध्यान रखने की जरूरत है. क्योंकि इस दौरान कई लोगों की मेंटल हेल्थ पर प्रभाव पड़ता है. छोटे सर्द दिन और हड्डियों को जमा देने वाली लंबी रातें हमारे शरीर सर्कैडियन घड़ी (Body Clock) का रिदम गड़बड़ा देती हैं. इस घड़ी के मुताबिक़ दिन और रात में शरीर के काम करने का तरीका अलग-अलग होता है. इससे बचने के लिए खुद को एक्टिव (Active) रखें. एक्सरसाइज करने से खुशी के हॉर्मोंस (Hormones ) रिलीज होते हैं. हम अच्छा महसूस और एक्टिव महसूस करते हैं.

अच्छा खाएं-पीएंः

इस मौसम में आप जो खा रहे हैं उस पर एक नजर रखना जरूरी है. चीनी और वसा से भरे उत्पादों से दूर रहें. भले ही इन्हें खाने से तुरंत आपको अच्छा लगे, लेकिन जल्द ही आप थकान महसूस करने लगते हैं. इसलिए बेहतर मूड के लिए न्यूट्रीशनल (Nutritional) और बैलेंस डाइट लें. इस मौसम में भी अधिक से अधिक पानी पीने को तवज्जो दें. धूप में रहने की कोशिश करें. सूरज की रोशनी में विटामिन डी मिलता है. अध्ययनों में देखा गया है कि विटामिन डी की कमी से अवसाद होता है. इसके लिए ऑफिस के बाहर लंच लें या एक छोटा ब्रेक लेकर बाहर टहलें. खिड़की के पास काम या पढ़ाई भी कर सकते हैं.

सोशलाइज रहेंः
इस दौरान गर्म बिस्तर में बैठकर गर्म कॉफी के घूंट लेने की जगह घर से बाहर निकलें और दोस्तों से मिलें. सोशलाइज (Socialize) होना यानी मेलजोल बढ़ाना खुद को उत्साही और खुश रखने के बेहद कारगर तरीकों में से एक है. तब भी जब आप अस्वस्थ हैं और आपका बाहर निकलने का मन नहीं है, तो आप दोस्तों और परिवार को घर बुला सकते हैं. जिनसे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हैं उन लोगों के साथ अपनी परेशानी बांटना भी अहम है. आइसोलेशन (Isolation) में रहने से बचें.

टेक ए ब्रेकः
यह भी जरूरी है कि छोटे-छोटे ब्रेक हर रोज अपने लिए निकालिए. भले ही आधा घंटा ही क्यों न हो. इस वक्त अपनी हॉबीज (Hobbies) को दें. फिर चाहें वो सिंगिग का शौक हो या डांसिंग का. जो भी आप करना चाहते हैं करें. हम अपने पुराने शौक छोड़ देते हैं बस मैकेनिकल (Mechanical) लाइफ हो जाती है इसे मेंटेन करते हुए हॉबीज को भी साथ लेकर चलें. वह करें जिसमें आप अच्छे हैं. अच्छा फील करते हैं वो काम जरूर करें. इससे आपकी सेल्फ एस्टीम (Self Esteem) को बढ़ावा मिलेगा.
सोशल मीडिया पर टाइम सीमित करेंः
सोशल मीडिया पर वक्त बिताने के लिए शेड्यूल बनाएं. इस दौरान हम बहुत प्रोडेक्टिव (Productive) काम नहीं करते और हमें लगता है कि हमारा पूरा दिन बेकार चला गया. हमने कुछ भी कंस्ट्रेक्टिव (Constructive) नहीं किया. इसकी जगह पालतू जानवर या अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने को तवज्जो दें. अक्सर ऐसा नहीं कर पाने से पैरेंट्स को जिम्मेदारी सही से न निभाने की गिल्ट (Guilt) फीलिंग आती है. इससे भी डिप्रेशन होता है.

ग्रेटीट्यूड एक्सरसाइज अपनाएंः
किसी से भी खुद की तुलना करने से बचें. फीलिंग ऑफ ग्रेटीट्यूड (Gratitude) का होना भी जरूरी है. रोज सुबह और रात में सोने से पहले आपके साथ जो अच्छी चीजें हुई उन्हें पांच मिनट याद करें. कुछ अच्छा न भी हुआ तो ये सोचकर खुश हों कि आप अभी सांस ले रहें हैं, सही सलामत है. इस ग्रेटीट्यूड एक्सरसाइज से खुशी मिलती है.
छोटे लक्ष्य बनाएंः
जरूरी नहीं लक्ष्य बड़े हो. छोटे ही सही मगर लक्ष्य बनाएं ये आपकी जिंदगी को मकसद देते हैं. बगैर मकसद की जिंदगी फ्रस्ट्रेशन (Frustration) और डिप्रेशन बढ़ा देती है.

रीडिंग को दें वक्तः
कुछ वक्त रीडिंग (Reading) को दें. स्पेशली अच्छी नींद के लिए अच्छा पढ़ें, जो पसंद हो वह पढ़ें. इससे तनाव और डिप्रेशन से निजात मिलती है. ये छोटी –छोटी बातें काम की है.

प्रोफेशनल्स की मदद लेंः
सब करने के बाद भी आप बेहतर महसूस नहीं कर रहे हैं. बहुत निराशा हो, नेगेटिव विचार आएं तो किसी प्रोफेशनल (Professional) की मदद लेने में कोई बुराई नहीं है.अपनी भावनाओं को केवल सर्दियों के ब्लूज का लेबल लगा कर न झटकें.


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