लाइफ स्टाइल

कैसे निपटें काम के तनाव से?

Kajal Dubey
14 May 2023 3:04 PM GMT
कैसे निपटें काम के तनाव से?
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केवल काम ही न करें, उसकी प्लैनिंग भी कर लें
यदि आपको लगता है कि आप काम के प्रेशर को झेल पाने में असमर्थ होते जा रहे हैं तो कुछ समय के लिए काम के बारे में सोचना बंद करके ख़ुद को समय दें. और उसके बाद सोचें कि आख़िर आप तय समय में काम निपटा पाने में नाकाम क्यों हो रहे हैं. अपने लक्ष्य, अपनी प्राथमिकताओं की एक बार फिर समीक्षा करें. हो सकता है कि आप ऐसे कामों को ज़रूरत से ज़्यादा समय दे रहे हों, ‌जो प्राथमिकता की दृष्टि से उतने महत्वपूर्ण न हों. आप रोज़ सुबह ऑफ़िस जाकर उस दिन का गोल सेट करें. इस काम में मुश्क़िल से 10 मिनट लगेंगे, पर आपके बाक़ी के 7 घंटे 50 मिनट ख़ुशहाल बीतेंगे.
प्लैनिंग के बाद उसपर टिके रहना भी है ज़रूरी
आपको यह पता है कि आज क्या-क्या करना है, पर क्या इतने से ही आप मैदान मार लेंगे? बिल्कुल नहीं. अक्सर देखा गया है कि लोग किसी काम को 30 मिनट में पूरा करने का लक्ष्य लेकर चलते हैं. उस 30 मिनट में पहले 15 मिनट टाइमपास करने में गंवा देते हैं. बाद के 15 मिनट पैनिक होकर वेस्ट कर देते हैं. फिर अगले 30 मिनट में वह काम करते हैं. ऐसा करके आप अगले टास्क को डिले कर रहे होते हैं. एक के बाद एक डिले आपका पूरा शेड्यूल ख़राब कर सकता है. अत: बेहतर यह होगा कि आप ख़ुद को केवल काम-काम-काम वाले शेड्यूल से न लाद लें. ईमेल, फ़ेसबुक, वॉट्सऐप आदि चेक करने के लिए भी ख़ुद को पर्याप्त समय दें. हां, आप इन गतिविधियों के लिए समय तय करें, यानी ऑफ़िस पहुंचते ही मेल चेक करना, दिन में लंच के बाद वॉट्सऐप अपडेट्स देखना और शाम की चाय के दौरान फ़ेसबुक.
ऑफ़िस में सकारात्मक माहौल बनाएं
ऑफ़िस में हम अकेले नहीं होते. हमारे दूसरे सहकर्मी भी साथ होते हैं. काम का तनाव केवल आपको नहीं होता, वे भी तनावग्रस्त होते हैं. अत: सबसे ज़रूरी है कि अपने सहकर्मियों से अच्छा संबंध बनाए रखें. एक-दूसरे का सहयोग करके, माहौल को ख़ुशनुमा बनाए रखकर आप न केवल स्ट्रेस फ्री बनेंगे, बल्कि आपकी प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी.
अपने मैनेजर्स, सुपरवाइजर्स यानी सीनियर्स के साथ संबंध अच्छे रखने के साथ-साथ टीम के जूनियर मेंबर्स के साथ भी अच्छा और दोस्ताना व्यवहार करें. इससे ऑफ़िस का माहौल सकारात्मक बनेगा. हंसी-ख़ुशी कब समय बीत जाएगा, आपके टास्क पूरे हो जाएंगे, पता ही नहीं चलेगा.
यह समझ लें कि यह सामान्य बात है
दुनिया का शायद ही कोई कार्यस्थल हो, जहां काम का दबाव न होता हो. अत: ख़ुद को मानसिक रूप से तैयार रखें. अचानक कोई काम आ जाने पर हड़बड़ाएं नहीं. कुछ लोग काम के तनाव में विचलित होकर अजीबोग़रीब ढंग से व्यवहार करने लगते हैं. इससे वे ख़ुद तो प्रभावित होते ही हैं, उनके सहकर्मी की बेवजह परेशान होते हैं. तनावभरे वे कुछ पल माहौल में नकारात्मकता घोल देते हैं. इसिलिए यह मानकर चलें कि ऑफ़िस है तो काम का प्रेशर होगा ही, पर उस प्रेशर में अपना मानसिक संतुलन खो देना आपको ही नहीं, दूसरों को भी स्ट्रेस दे सकता है.
ख़ुद को समय देना भी ज़रूरी है
आप एक अच्छे एम्प्लॉयी हैं, पर इसका यह मतलब नहीं है कि सप्ताह के सातों दिन, चौबीसों घंटे यानी 24x7 सिर्फ़ काम के बारे में ही सोचते रहेंगे. बेहतर तो यही होगा कि ऑफ़िस से निकलने के बाद बाहर की दुनिया पर ध्यान देना शुरू करें. दोस्तों से मिलें, परिवार वालों के साथ समय बिताएं. अपने किसी शौक़ को समय दें. योग, मेडिटेशन, जिमिंग जैसी शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से मानसिक और शारीरिक रूप से फ़िट रहने की कोशिश करें. वैसे यह देखा गया है कि जब हम फ़िट होते हैं तो स्टेस का शिकार होने की संभावना अपेक्षाकृत कम हो जाती है.
क्योंकि हम एक मटिरियलिस्टक दुनिया में रहते हैं और मैं एक मटिरियलिस्टक गर्ल हूं. मडोना वर्ष 1984 के इस हिट गाने से अपने ज़माने और अपनी पीढ़ी की बात कह रही थीं. लेकिन नए ज़माने की पीढ़ी ऐसा नहीं सोचती. यह पीढ़ी चीज़ें इकट्ठी करने के बजाय अनुभव इकट्ठा करने पर अपनी आमदानी ख़र्च करना पसंद करती है.
सुनैना माधवन, 27 वर्षीया, मेडिकल इंटर्न कहती हैं,“हमारे अभिभावक बहुत सोच-समझकर भविष्य के लिए पैसे बचाते थे. इससे पहले की वे इसका लाभ उठा पाते ज़िंदगी बहुत आगे निकल चुकी थी. हमने आज में निवेश करना चुना है. हम सोशल मीडिया से जुड़े हैं और हमें मज़ेदार चीज़ों जैसे जस्टिन बीबर के कॉन्सर्ट के लिए जाना या यात्रा करना पसंद है.”
सुरजीत बोस, पूर्व बैंकर, स्तुपा आईटी के एमडी के पास सुनैना और उनकी तरह की सोच वालों के लिए अच्छी ख़बर है. “आज की पीढ़ी अनुभवों को पाने के लिए खुलकर ख़र्च कर सकती है, बशर्ते इसके लिए सही योजना बनाए. इसके लिए सबसे पहला क़दम होगा कि अपने फ़ंड्स को तीन मुख्य कैटेगरीज़ में बांट लें.” सुरजीत की सलाह है कि रोज़मर्रा के ख़र्चे (जिसमें ईएमआई भी शामिल है) को 65-75 प्रतिशत तक रखना चाहिए, अनुभवों के लिए 10-15 प्रतिशत पैसे रखें और रिटायरमेंट के लिए 20 प्रतिशत. इन लक्ष्यों को पाने के लिए इन आसान टिप्स का अनुसरण करें.
65% वाले हिस्से के ख़र्च को कम करें
पुरानी घड़ियों या इलेक्ट्रॉनिक्स को बेचें और उससे मिलनेवाले पैसों को अनुभवों के लिए बनाए गए सेविंग्स अकाउंट में डालें. रोज़मर्रा के ख़र्चों में कटौती करें. उदाहरण के लिए जिम की मेम्बरशिप लेने के बजाय पार्क में दौड़ लगाएं या साइकिलिंग करें. जब दोस्तों के साथ बाहर जाने का प्लैन हो तो पहले घर पर ही ड्रिकिंग सेशन रखें या बाहर हैप्पी आवर्स में ही पिएं, इससे काफ़ी बचत होगी. यहां तक कि एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल भी बिजली के बिल को कम कर सकता है. माहिका गिल, जो कि चेन्नई, स्पोर्ट्स मार्केटिंोग में काम करती हैं, माउंट एवरेस्ट के ट्रेक करने के लिए पैसे बचा रही हैं. “मैंने घर पर ही एक समय का खाना बनाने की शुरुआत की और प्रीपेड कैब्स के बजाय शेयर्ड ऑटोज़ का इस्तेमाल शुरू कर दिया.” इस तरह से उन्होंने अपनी बचत योजना शुरू की.
20% को बचाएं
जब आप रिटायरमेंट और आपातकालीन स्थितियों के लिए पैसे अलग रखते हैं तो आपको दो बातों का ख़्याल रखना होता है. पहली तो महंगाई, जो आपकी बचत के मूल्य को घटा देगी. इसलिए आपको हर साल अपनी बचत में तक़रीबन 4 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करनी होगी. कोई ज़मीन ख़रीदें, फ़ाइनैंशियल डिपोज़िट्स या फ़ायदेमंद स्टॉक्स में निवेश करें. क्रेडिट कार्ड्स और कर्ज़ की ईएमआईज़ को जल्द से जल्द ख़त्म करें, क्योंकि यह आपकी लॉन्ग-टर्म सेविंग्स को ख़राब करता है और एक तरह का तनाव भी लगातार बना रहता है. पूर्व यूएसए प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने भी स्वीकारा था कि उन्होंने अपनी शादी के शुरुआती आठ साल अपने और अपनी पत्नी के स्टूडेंट लोन्स का भुगतान करने में बिता दिए, जिसने उनकी लॉन्ग-टर्म सेविंग्स पर बुरा असर डाला.
15% का पूरा इस्तेमाल करें
सुरजीत का मानना है कि आपको अपने अनुभवों के लिए पैसे ज़्यादा से ज़्यादा ब्याज देनेवाले अकाउंट में रखने चाहिए. “हर दिन इसकी जांच करें, क्योंकि यह अवचेतन रूप से आप पर ज़्यादा बचत करने के लिए दबाव बनाएगा. इस अकाउंट के लिए कोई कार्ड न लें, ताकि आप इसे ख़र्च न कर दें,” कहते हैं सुरजीत. यदि आप महीनेभर के लिए यूरोप जाने की योजना बना रहे हैं. फिर चाहे आप कितने ही कंजूस घुम्मकड़ क्यों न हों, समझदारी इसी में है कि आप वहां के लिए ज़्यादा पैसे रखें. उन्नती आर, कंसल्टेंट और पूर्व बैंकर, कहती हैं,“यदि आपको बड़ा हॉलिडे चाहिए तो बेहतरीन खाने या स्पा आउटिंग्स जैसी चीज़ों पर कटौती करें.” होटल और एयरलाइन साइट्स आपकी ब्राउज़िंग पर नज़र बनाए रखने के लिए कुकीज़ की मदद लेते हैं और आप जितनी ज़्यादा बार उनकी साइट्स पर जाते हैं, उतनी ज़्यादा बार उनकी क़ीमतें वे बढ़ाते हैं. अतः किसी भी साइट पर दोबारा विज़िट करने से पहले कुकीज़ डिलीट करें.
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