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पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में कितना कमा लेती हैं महिला क्रिकेटर

SANTOSI TANDI
8 Sep 2023 7:20 AM GMT
पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में कितना कमा लेती हैं महिला क्रिकेटर
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कितना कमा लेती हैं महिला क्रिकेटर
पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में महिला क्रिकेटर कम कमाती हैं। इसका एक कारण यह है कि महिला क्रिकेट पुरुष क्रिकेट की तुलना में कम लोकप्रिय है। यह आमतौर पर टेस्ट, वनडे, और टी20 फॉर्मेट में खिलाड़ियों की आय को देखने में आता है। इसके अलावा, महिला क्रिकेटरों को पुरुष क्रिकेटरों की तुलना में कम प्रचार और विज्ञापन मिलता है। पुरुष क्रिकेटरों को विज्ञापन से कई तरीकों से लाभ होता है।
प्रयोजन (Sponsorship): पुरुष क्रिकेटरों को अक्सर प्रोडक्ट और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रायोजित किया जाता है। यह उन्हें अपने पर्सनालिटी और प्रसिद्धि का इस्तेमाल करके पैसा कमाने का एक तरीका मुहैया कराता है।
एथलीट प्रतिनिधित्व (athlete representation): पुरुष क्रिकेटरों को अक्सर एथलीट प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाता है। ये एजेंट खिलाड़ियों को विज्ञापन सौदों और अन्य व्यावसायिक अवसरों को खोजने में मदद करते हैं।
सोशल मीडिया (Social Media): पुरुष क्रिकेटर अपने सोशल मीडिया अकाउंट का उपयोग करके भी पैसा कमा सकते हैं। वे अपने अनुयायियों के साथ उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए सामग्री पोस्ट कर सकते हैं।
पुरुष क्रिकेटरों को विज्ञापन से मिलने वाले कुछ स्पेशल बेनिफिट्स, जिसका लाभ महिला खिलाड़ियों को नहीं मिल पाता हैं:
आर्थिक सुरक्षा (Financial security): विज्ञापन से पुरुष क्रिकेटरों को एक स्थिर आय उपलब्ध होती है। यह उन्हें अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करने और अपने करियर के लिए योजना बनाने में मदद करता है।
प्रसिद्धि और प्रभाव (Fame and influence): विज्ञापन पुरुष क्रिकेटरों की प्रसिद्धि और प्रभाव को बढ़ा सकता है। यह उन्हें अपने व्यक्तिगत ब्रांड को बढ़ावा देने और सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाने में मदद कर सकता है।
अवसर (Opportunity): विज्ञापन पुरुष क्रिकेटरों को नए अवसरों को खोलने में मदद कर सकता है। वे विज्ञापन सौदों के माध्यम से नए लोगों से मिल सकते हैं और नए व्यवसायों में उतर सकते हैं।
पुरुष क्रिकेटरों के लिए विज्ञापन एक महत्वपूर्ण आय स्रोत है। यह उन्हें अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करने, अपनी प्रसिद्धि और प्रभाव को बढ़ाने और नए अवसरों को खोलने में मदद करता है।
भारत में, महिला क्रिकेटरों की औसत कमाई पुरुष क्रिकेटरों की तुलना में लगभग एक-तिहाई या कहिए उससे भी नीचे है। 2022 में,भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने महिला क्रिकेटरों को पुरुष क्रिकेटरों के बराबर मैच फीस देने की घोषणा की थी। इससे महिला क्रिकेटरों की कमाई में काफी वृद्धि हुई है।
विश्व स्तर पर, महिला क्रिकेटरों की औसत कमाई पुरुष क्रिकेटरों की तुलना में लगभग आधी है। 2022 में, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने महिला क्रिकेटरों की कमाई बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए। इन कदमों में महिला विश्व कप के प्रयोजन से होने वाली आय में महिला क्रिकेटरों को हिस्सेदारी देने और महिला क्रिकेटरों के लिए अधिक व्यावसायिक अवसर पैदा करने के प्रयास शामिल हैं। यहां BCCI आंकड़े दिए गए हैं जो पुरुष खिलाड़ियों और महिला क्रिकेटरों की कमाई के अंतर को दर्शाते हैं।
भारतीय महिला और पुरुष क्रिकेट टीम के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट 2021-22:
महिला टीम:
ग्रेड ए 50 लाख रुपए
ग्रेड बी 30 लाख रुपए
ग्रेड सी 10 लाख रुपए
पुरुष टीम:
ग्रेड ए+ 7 करोड़ रुपए
ग्रेड ए 5 करोड़ रुपए
ग्रेड बी 3 करोड़ रुपए
ग्रेड सी 1 करोड़ रुपए
भारतीय महिला और पुरुष क्रिकेट टीम के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट 2022-23:
महिला टीम:
ग्रेड ए 50 लाख रुपए
ग्रेड बी 30 लाख रुपए
पुरुष टीम:
ग्रेड ए+ 7 करोड़ रुपए
ग्रेड ए 5 करोड़ रुपए
यानी यहां 16 गुना से भी ज्यादा फासला है। महिला क्रिकेटरों की कमाई में वृद्धि के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों से महिला क्रिकेटरों को अधिक समान अवसर और मुआवजा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
भारत में महिला क्रिकेटर की लोकप्रियता कम होने के ये कारण हो सकते हैं:
इससे आर्थिक स्थिती पर पड़ता है प्रभाव, महिला क्रिकेटरों को फेडरेशन भी कम पैकेज देता है साथ ही विज्ञापन न मिलने से पुरुष की तुलना में आर्थिक तौर पर काफी अंतर है।
पुरुष प्रधान समाज (Male dominated society): भारत एक पुरुष प्रधान समाज है। इस समाज में पुरुषों को प्राथमिकता दी जाती है और महिलाओं को अक्सर दूसरा दर्जा दिया जाता है। यह महिलाओं के खेलों को भी प्रभावित करता है। महिला क्रिकेट को पुरुष क्रिकेट की तुलना में कम महत्व दिया जाता है।
कम प्रचार और विज्ञापन (Less publicity and advertising): महिला क्रिकेट को पुरुष क्रिकेट की तुलना में कम प्रचार और विज्ञापन मिलता है। इसका मतलब है कि लोग महिला क्रिकेट के बारे में कम जानते हैं और महिला क्रिकेटरों के बारे में कम सुनते हैं।
कम सुविधाएं और संसाधन (Less facilities and resources): महिला क्रिकेटरों को पुरुष क्रिकेटरों की तुलना में कम सुविधाएं और संसाधन मिलते हैं। इसका मतलब है कि महिला क्रिकेटरों को अपने खेल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
लिंगवाद (sexism): महिला क्रिकेटरों को अक्सर लिंगवाद का सामना करना पड़ता है। उन्हें पुरुष क्रिकेटरों की तुलना में कम योग्य माना जाता है और उनके प्रदर्शन को कम आंका जाता है।
इन कारणों से, भारत में महिला क्रिकेटर की लोकप्रियता कम है। हालांकि, हाल के वर्षों में, महिला क्रिकेट के लोकप्रियता में वृद्धि हुई है। महिला क्रिकेटरों को अधिक प्रचार और विज्ञापन मिल रहा है और उन्हें पुरुष क्रिकेटरों के बराबर सुविधाएं और संसाधन मिल रहे हैं। इन प्रयासों से महिला क्रिकेट के लोकप्रियता में और वृद्धि होने की उम्मीद है।
यहां कुछ उदाहरण हैं, जो भारत में महिला क्रिकेट की लोकप्रियता के स्तर को दर्शाते हैं:
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 2017 में महिला क्रिकेट विश्व कप में उप विजेता का पद हासिल किया।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 2022 में महिला एशिया कप जीता।
भारतीय महिला क्रिकेटर हरमनप्रीत कौर को 2022 में आईसीसी द्वारा वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर चुना गया। इनकी सम्पत्ति भी दूसरी खिलाड़ियों से ज्यादा है।
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