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प्राणायाम कितने प्रकार के होते हैं, जानिए इसके तौर-तरीके और फायदे
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योग क्रिया सदियों पुरानी परंपरा है जो अब तक चली आ रही है। योग क्रिया में सबसे बड़ी भूमिका श्वासकी होती है। यौगिक क्रिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल श्वास का किया जाता है जिसके ना सिर्फ शारीरिक रुप से बल्कि मानसिक रुप से भी काफी लाभ हैं। प्राणायाम का सीधा-सीधा मतलब होता है अपनी सांसों पर नियंत्रण रखना, इसी कला को प्राणायाम कहते हैं। जानते हैं कितने तरह के प्राणायाम होते हैं , इनके क्या लाभ हैं और इसके करने के क्या तरीके हैं-
नाड़ी शोधनइसमें अपने पैरों को क्रॉस करके बैठना होता है, रीढ़ की हड्डी सीधी होती है। अंगूठे से अपने दायें नाक की छिद्र को दबाएं और बायें नाक से श्वास बाहर निकालें। इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं। अब इस पूरी प्रक्रिया को 10-15 मिनट तक बार-बार दोहराएं।
शीतली प्राणायामइस प्राणायाम से बॉडी को ठंडा रखने का प्रयास किया जाता है। पहले की ही तरह आसन में बैठ जाएं। अब से 6 बार गहरी सांस लें। अब अपने मुंह से ओ शेप बनाएं और जोर सांस अदर लें और नाकों से सांस बाहर निकालें। इसे भी 5-10 बार दोहराएं।
उज्जयी प्राणायामइसमें समुद्र की लहरों के जैसे सांसों से आवाज निकालना है। इससे काफी रिलैक्स मिलता है। उसी आसन में बैठे रहें अब जोर से सांस लें ताकि गले तक से आवाज आए। दूसरे चरण में अपने मुंह को बंद रखें और नाक से सांस बाहर छोड़ें। इसे कुल 10-15 बार करें।
कपालभाति प्राणायामइसमें भी आपको उसी आसन में बैठना है। सामान्य तरीके से 2-3 बार सांस लें। इसके बाद आपको जोर से सांस अंदर लेना है और उतने ही जोर से बार छोड़ना है। आपके सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया का असर यहां आपके पेट पर दिखना चाहिए। इस क्रिया को 20-30 बार करें।
दीर्गा प्राणायामइस क्रिया को लेटकर किया जाता है। तेज सांस लें ताकि आपका पेट फूले थोड़ी देर इसी मुद्रा में रहेंऔर फिर धीरे-धीरे सांस बाहर की ओर छोड़ें। दूसरी बार और तीसरी बार आपको और भी गहरी सांस अंदर लेनी है और ऐसे ही थोड़ी देर रोकर उसे बाहर छोड़ना है। इस क्रिया को 5-6 बार करें।
विलोम प्राणायामइसमें दो तरह की क्रिया की जाती है। पहले भाग में आपको सांस लेना है और उसे थोड़ी देर तक रोक कर रखना है और फिर दूसरे भाग में आपको सांस छोड़कर थोड़ी देर रुकना है। इसी प्रक्रिया को 5-6 बार दोहराते रहें।
अनुलोम प्राणायामये विलोम प्राणायाम के जैसा ही होता है। इसमें भी दोनों नाकों से बारी बारी से सांस लेना और छोड़ना होता है। एक से सांस लेते समय दूसरे नाक के छिद्र को पूरी तरह से बंद रखें इसी प्रक्रिया को दूसरी नाक से भी सांस लेने के दौरान अपनाएं।
भ्रामरी प्राणायामइस प्राणायाम में आपके आंख और कान दोनों बंद रहते हैं। आप अपने कानों को अपने अंगूठों सें बंद करें और अपनी अंगुलियों की मदद से अपनी आंखों को बंद करें। अब ओम का उच्चारण करते हुए एक गहरी सांस लें और छोड़ें। इस प्रक्रिया को 10-15 बार करें।
भस्त्रिका प्राणायामठंड के दिनों में शरीर को गर्म रखना है तो इस प्राणायाम को करने से लाभ मिलता है। पैर क्रॉस करके आसन ग्रहण करें और तेज गति सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें। कुछ राउंड के बाद इस प्रक्रिया को धीमा कर दें और ऐसे ही समाप्त करें।
शीतली प्राणायामअपने मुंह से सांस लेते रहें। इस दौरान अपनी जीभ को रोल किए रहें। अपनी ठुड्डी को आगे की तरफ किए रहें और कुछ सेकेंड के लिए अपनी सांसों को रोकें। अब नाक की मदद से सांस बाहर निकालें। इससे आपकी शरीर में ठंडक आती है।
मूर्छा प्राणायामयह थोड़ा मुश्किल प्राणायाम है क्योंकि इसमें बिना सांस लिए केवल सांस छोड़ना होता है। इससे आपके शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है और एक समय पर आप अचेत की मुद्रा में आ जाते हैं। अब नींद की मुद्रा में अपने आप सांस लेते हैं तो आपको चेतना आती है।
पलवनी प्राणायामयह प्राणायाम पानी के अंदर किया जाता है और इसे अनुभवी योगी ही कर सकता है। इसमें अपनी सांसों पर इतना नियंत्रण रखना होता है कि आप पानी के अंदर भी शांत मुद्रा में रह सकते हैं।