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ज़्यादातर महिलाओं को फ़र्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) संबंधी अधिक जानकारी नहीं होती. उसमें भी बायोलॉजिकल क्लॉक, की जानकारी तो ना के बराबर होती है. ये सब कॉन्सेप्ट तब सुनने में आते हैं, जब कोई कपल बच्चा प्लैन करता है. वैसे लोगों को लगता है कि फ़र्टिलिटी का पूरा दारोमदार महिलाओं के कंधों पर होता है, लेकिन आपको बता दें कि फ़र्टिलिटी की समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकती है. हालांकि इसमें महिलाओं की उम्र कई मायनों में अधिक प्रभावी ढंग से काम करती है. फ़र्टिलिटी की समझ दोनों के लिए ज़रूरी है, क्योंकि यह गर्भाधारण, बच्चे के स्वास्थ्य और गर्भावस्था के दौरान सही विकल्पों को चुनने में मदद मिलती है.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में उम्र फ़र्टिलिटी को कैसे प्रभावित करती है?
अगर फ़र्टिलिटी के लिए उम्र को एक पैमाना माना जाए तो महिलाओं और पुरुषों पर यह अलग-अलग प्रभाव डालती है. महिलाओं का जन्म निश्चित अंडों की संख्या के साथ होता है, जो बढ़ती उम्र के साथ कम होते जाते हैं. एक उम्र पर आकर ये अंडे ख़त्म हो जाते हैं और उन्हें फिर से बनाया नहीं जा सकता है. लेकिन वहीं पुरुष की शरीर में पूरी उम्र वीर्य बनते रहता है. इस हिसाब से कहा जा सकता है कि महिलाओं की गर्भधारण करने की एक सीमित उम्र होती है, जबकि पुरुष अपने उम्र के छठें या सातवें दशक में भी बाप बन सकते हैं. तो आइए जानते हैं महिलाओं में फ़र्टिलिटी की सही उम्र क्या होती है...
उम्र के दूसरे दशक में फ़र्टिलिटी:
एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ यह उम्र महिलाओं द्वारा स्वस्थ बच्चा पैदा करने की बहुत ही उपयुक्त होती है. यह वही उम्र होती है जब महिलाएं अधिक फ़र्टाइल होती हैं. दूसरे दशक की शुरुआत और अंत में फ़र्टिलिटी में कोई अंतर नहीं आता है.
इस उम्र में गर्भधारण के कई लाभ भी हैं:
महिला के अंडों में आनुवांशिक असामान्यताएं होने की संभावना कम होती है, इसलिए इस उम्र में किसी भी आनुवंशिक डिसऑर्डर, जैसे कि डाउन्स सिंड्रोम, थैलेसीमिया इत्यादि वाले बच्चे पैदा होने का जोख़िम भी कम होता है.
गर्भपात का ख़तरा केवल 10% होता है.
जन्म के समय बच्चे का वज़न कम नहीं होता है. बच्चा पूरी तरह से विकसित होता है.
मां को भी गर्भकालीन डायबिटीज़ या हायपरटेंशन तथा इस तरह की अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का ख़तरा ना के बराबर होता है.
उम्र के इस फ़ेज़ में गर्भधारण के नुक़सान:
पहली बार में प्रेग्नेंसी कॉम्प्लिकेशन का ख़तरा ज़्यादा होता है.
अगर आपको पीसीओडी या गर्भाशय फ़ाइब्रॉएड या कोई दूसरी बीमारी है तो गर्भावस्था के दौरान मुश्क़िल होती है.
जब पुरुषों के प्रजनन क्षमता की बात आती है, तो उन्हें अधिक चिंता करने की ज़रूरत नहीं होती है, क्योंकि अगर किसी पुरुष में इनफ़र्टिलिटी का पता चलता है तो यह उनकी ख़राब लाइफ़स्टाइल के कारण हो सकता है. इसका कारण मोटापा, हाई-ब्लड प्रेशर, किसी भी सेक्शुअल ट्रांस्मिटेड इन्फेक़्शन और डायबिटीज़ होता है. अगर पुरुष अपनी लाइफ़स्टाइल में बदलाव करें तो उनमें इनफ़र्टिलिटी की समस्या को ठीक किया जा सकता है. पुरुषों में सेक्शुअल ट्रांस्मिटेड इन्फेक़्शन स्पर्म की गतिशीलता और एकाग्रता को प्रभावित करते हैं.
उम्र के तीसरे दशक में गर्भधारण
अगर कोई महिला अपनी उम्र के तीसरे दशक में गर्भवती होना चाहती है, तो हर महीने उसके गर्भवती होने की संभावना 15 से 20% के बीच होती है. इसके लिए भी उनमें कोई अंडरलाइंग कंडीशन (पहले सेे कोई गंभीर बीमारी) नहीं होनी चाहिए. एक अध्ययन के अनुसार उम्र के तीसरे दशक में महिलाओं को अपनी पहली कोशिश में गर्भधारण करने की संभावना 30% होती है. महिला जब 35 की उम्र में पहुंचती है तो अंडों की गुणवत्ता और मात्रा कम होने के कारण उसकी प्रजनन क्षमता घट जाती है. 35 की उम्र के बाद गर्भ धारण करने की संभावना स्वाभाविक रूप से भी बहुत कम हो जाती है. इस उम्र में जुड़वा या तिड़वा बच्चे होने की संभावना भी अधिक होती है.
उम्र के तीसरे दशक में गर्भधारण के नुक़सान:
सी-सेक्शन की दर बहुत ज़्यादा हो जाती है.
बच्चे में आनुवंशिक समस्या होने की संभावना अधिक होती है.
गर्भपात होने की संभावना भी बढ़ जाती है.
एक्टोपिक गर्भावस्था (एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में फ़र्टिलाइज़्ड एग गर्भाशय से नहीं जुड़ता है, बल्कि वह फ़ैलोपियन ट्यूब, एब्डोमिनल कैविटी या गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) से जाकर जुड़ जाता है. इसे एक्टोपिक गर्भावस्था भी कहा जाता है. बड़ी उम्र में गर्भधारण करने से इसका रिस्क बढ़ जाता है.
40 की उम्र के बाद गर्भधारण
40 के बाद की उम्र में गर्भवती होना कोई असंभव बात नहीं है. लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि 40 से 44 की उम्र के बीच हर ओवेलेटरी साइकिल के बाद गर्भधारण की दर 5% कम होती है. जबकि 45 की उम्र होने के बाद यह दर 1% हो जाती है. सेंटर फ़ॉर डिज़ीज कंट्रोल के अनुसार दुनिया भर में आधी महिलाएं, उम्र के चौथे दशक में प्रजनन संबंधी समस्याओं से पीड़ित होती हैं. गर्भधारण के ख़तरे वाले फ़ैक्टर वैसे ही बने रहते हैं, जैसे कि उम्र के तीसरे दशक में होते हैं. चूंकि उनमें रिस्क फ़ैक्टर शामिल होता है, इसलिए कोई गारंटी नहीं होती है कि जिससे यह कहा जा सके कि महिला गर्भवती हो सकती है. यहां तक कि एक पुरुष की भी फ़र्टिलिटी इस उम्र में कम हो जाती है, क्योंकि उनके भी स्पर्म्स की संख्या कम हो जाती है.
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Kajal Dubey
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