लाइफ स्टाइल

बच्चों की आपस में तुलना करना कितना है सही?

Ritisha Jaiswal
27 Jun 2022 11:23 AM GMT
बच्चों की आपस में तुलना करना कितना है सही?
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हर माता-पिता का अपने बच्चों को ट्रीट करने, उन्हें पालने-पोसने, प्यार-दुलार देने का तरीका अलग-अलग हो सकता है.

हर माता-पिता का अपने बच्चों को ट्रीट करने, उन्हें पालने-पोसने, प्यार-दुलार देने का तरीका अलग-अलग हो सकता है. कुछ पैरेंट्स बच्चों की जिद, शरारतों से इतने परेशान हो जाते हैं कि कई बार वह बच्चों का आत्मविश्वास कमजोर कर देने वाली बातें बोल देते हैं, जिससे बच्चा काफी प्रभावित होता है. कई बार पैरेंट्स अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चे से करने लगते हैं. जब बच्चों की तुलना किसी दूसरे से की जाती है, तो उन्हें खराब लग सकता है. आप अपने बच्चे की खूबियां न गिनवा कर किसी अन्य बच्चे की तारीफों के पुल बांधने लगते हैं, तो यह बच्चे के मन-मस्तिष्क पर गलत प्रभाव डाल सकती है. इससे बच्चे और पैरेंट्स के बीच का आपसी बॉन्ड कमजोर पड़ने लगता है. ऐसे में निराश होने पर भी बच्चे की तुलना किसी अन्य से नहीं करनी चाहिए. ऐसी ही बहुत सी गलतियां माता-पिता जाने-अनजाने में कर देते हैं, जिनसे बचना चाहिए.

गलतियां जिन्हें करने से बचना चाहिए
जब माता-पिता हर बात में बच्चे की तुलना दूसरे बच्चे से या घर में ही कि उसके किसी है या ध्यान से करते हैं तो इसका बच्चे के स्वभाव और मानसिक स्थिति पर नेगेटिव असर पड़ता है. बच्चा हर समय एक दबाव या प्रेशर फील करने लगता है और इस वजह से उसके काम पर भी असर होता है. पेरेंटिंग डॉट फर्स्टक्राई डॉट कॉम के मुताबिक, इस तरह के नकारात्मक व्यवहार की वजह से बच्चा डिप्रेशन में जा सकता है.
-हर समय तुलना करने की वजह से बच्चे का स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है.
-बच्चा उग्र स्वभाव का हो सकता है.
-बच्चे के मन में माता-पिता और उस बच्चे के खिलाफ नकारात्मक भावनाएं पनपने लगती हैं.
-अगर बच्चे को उसके किए गए काम की प्रशंसा नहीं मिलती, तो भी बच्चे का मनोबल कमजोर पड़ता है.
-बच्चे की बात को बार-बार इग्नोर किया जाता है और उसको अपना पक्ष रखने नहीं दिया जाता, तो इससे भी बच्चे के मन में हीन भावना घर करने लगती है.
-बच्चे को किसी भी हाल में एक-दूसरे से कंपेयर करना काफी गलत है. यह उसके मनोबल को चकना चूर कर सकता है.
–बच्चे से हर समय अच्छा करने की अपेक्षा रखना और उस पर ज्यादा दबाव बनाए रखना.
-उन पर भरी-भरकम नियमों को लाद देना, जिस कारण बच्चा खुद को काफी प्रेशर में महसूस करता है.
-बच्चे की छोटी-छोटी उपलब्धियों को सेलिब्रेट न करना, दूसरों के साथ शेयर न करना.
-बच्चे को हर समय नकारा जैसा महसूस करवाने वाली बातें करते रहना.
-पैरेंट्स को ऐसी बातें करने से बचना चाहिए, ये गलत पैरेंटिंग का तरीका है.
-आपको अपने बच्चे के लिए रोल मॉडल बनना चाहिए, ताकि वह भी अपने मां-पापा की तरह ही कुछ प्राप्त करने की कोशिश कर सके.


Ritisha Jaiswal

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