- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- कैसा होता है फ़िश...
सुंदर कमरे में गर्मा-गर्म हर्बल टी पीते हुए फ़िश पेडिक्योर कराने के अपने रोमांचक अनुभव को हमारे साथ बांट रही हैं नीति जयचंदर.
ट्रीटमेंट के पहले
फ़िश पेडिक्योर कराने से पहले मैं बहुत डरी हुई थी. अपने पैरों पर ढेर सारी मछलियों की कल्पना करके ही मुझे घबराहट हो रही थी. किसी भी तरह फ़िश पेडिक्योर कराने के लिए ख़ुद को राज़ी करके मैं स्पा पहुंची. स्पा के अंदर घुसते ही वहां का ख़ूबसूरत माहौल देखकर मेरा डर थोड़ा कम हुआ. मछलियों से भरे हुए पूल में पैर डालने पर पूल की सुनहरी रेत और नीले पानी को देखकर थोड़ी ख़ुशी हुई. जब मेरे पैर पूरी तरह साफ़ हो गए तो मुझे पैरों को फ़िश टैंक में डालने को कहा गया.
इससे पहले कि मुझे डरने के लिए समय मिलता, मछलियों ने मेरे पैर पर धावा बोल दिया, लेकिन उस दौरान मैंने जो अनुभव किया, वो बहुत अच्छा और रोमांचक था. मैं आराम महसूस कर रही थी. इस थेरैपी के लिए वाइल्ड गारा रूफ़ास नामक मछलियों का इस्तेमाल किया जाता है. इन्हें डॉक्टर फ़िश के नाम से भी जाना जाता है. ये प्रमुख रूप से तुर्की में पाई जाती हैं. ये मछलियां पैरों की मृत कोशिकाओं को खा जाती हैं, जिससे पैरों पर स्वस्थ त्वचा की परत रह जाती हैं. ट्रीटमेंट के पहले मैं इस बात को लेकर भी चिंतित थी कि टैंक में कई लोगों ने अपने पैर डाले होंगे, लेकिन मेरी आशंका को दूर करते हुए स्पावालों ने मुझे बताया कि उच्च आधुनिक तकनीक की मदद से फ़िश टैंक को पूरी तरह संक्रमण मुक्त रखा जाता है. यूवी-ऐक्टिवेटेड कार्बन, क्ले, माइक्रोफ़ाइबर लेयर्स, फ़िल्ट्रेशन स्पन्जेस, वॉटर स्कीमर्स और थर्मोस्टैट की मदद से पानी को हर 10 मिनट पर साफ़ किया जाता है. इसके अलावा टैंक में रोज़ाना ताज़ा पानी भरा जाता है.
इस अनुभव को शब्दों में बयां कर पाना मुश्क़िल है. भीड़भाड़ से दूर शांत वातावरण में प्रकृति के एकदम पास होने का एहसास अद्भुत था. स्पा में इंसानों की जगह मछलियों से पेडिक्योर का अनुभव रोमांचित करनेवाला था. मुझे लग रहा था कि मैं अपनी निजी दुनिया में पहुंच गई हूं. जहां तक मेरे पैरों का सवाल है, तो ये पहले से ज़्यादा साफ़ और चिकने हो गए थे.