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कितना फ़ायदेमंद है फरमेंटेड फूड, जाने यहाँ

Harrison
9 July 2023 1:52 PM GMT
कितना फ़ायदेमंद है फरमेंटेड फूड, जाने यहाँ
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खमीरीकृत खाना अथवा फरमेंटेड फूड सेहत के लिए बेहद अच्छे होते हैं। लेकिन फिर भी हम उनके बारे में भूल गए हैं और इन दिनों उन्हें बहुत ही कम खाते हैं। यह इस तथ्य के बावजूद है कि हमारे ट्रेडिशनल फूड में हमेशा उन पर बहुत जोर दिया जाता है और उन्हें नियमित रूप से आहार में शामिल किया जाता है। आपको याद होगा, लेकिन शुभ काम करने से पहले दही खिलाने का चलन काफी पुराना है। इसी तरह, घर के बने अचार के बिना कोई भी भोजन पूरा नहीं माना जाता था।

अब समय आ गया है कि इन ‘हमारे लिए अच्छे’ फूड आइटम्स को हमारे आहार में वापस लाया जाए क्योंकि दुनिया भर में हुए शोध अब यह साफ कर रहे हैं कि हमारे गट को गुड बैक्टीरिया के रेग्युलर इन्फ्यूजन की जरूरत होती है, जिससे आप हेल्दी और बीमारियों से मुक्त रह सकें। इसका सबसे आसान और व्यावहारिक तरीका फरमेंटेड फूड्स का सेवन करना है।

फरमेंटेड फूड आपके गट को हेल्दी बनाने के साथ-साथ उन पोषक तत्वों को अवशोषित करने में भी मदद करते हैं जिन्हें हम अन्य खाद्य पदार्थों के माध्यम से खा रहे हैं। यह काफी अच्छा भी है क्योंकि आयुर्वेद और अब मॉडर्न साइंस का भी मानना है कि लंबे और हेल्दी जीवन की कुंजी आंतों की हेल्थ में निहित है- अपनी आंतों को हेल्दी रखें। इससे आपका शरीर भी हेल्दी रहेगा। इसके अलावा वे पचाने में आसान होते हैं और इनमें कई तरह के माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स होते हैं। यह अपने टैंगी टेस्ट के कारण हमारे टेस्ट बड को स्पाइस अप करने में मदद करते हैं। ये हमारी इम्युनिटी के लिए भी अच्छे हैं। वास्तव में, ये एक तरह से इम्युनिटी बूस्टर के रूप में काम करते हैं।

देश भर में बहुत सारे पारंपरिक फरमेंटेड फूड अभी भी खाए जाते हैं, जैसे- उत्तर पूर्व में फरमेंटेड मूली की जड़ के टुकड़े, जिन्हें सिंकी कहते हैं। अरुणाचल प्रदेश में खाया जाने वाला गुंड्रुक सूप, फरेंमेंटेड राई (पेट दर्द और गैस की परेशानी को ठीक करता है) आदि। इसी तरह दुनिया भर के कल्चर्स में भी फरमेंटेड फूड्स का अपना भंडार है। बोनी क्लैबर (स्कॉटलैंड), फिल्मजोल्क (स्वीडन), विली (फिनलैंड), मत्सोनी (रूस और जॉर्जिया), डोनजैंग (कोरिया) और ब्लैंड, एक पारंपरिक स्कॉटिश पेय है, जबकि ये सभी अभी तक भारत में उपलब्ध नहीं हैं और क्षेत्र विशेष से संबंधित फरमेंटेड फूड दुर्भाग्य से लुप्त हो रहे हैं। ऐसे कई अन्य प्रोबायोटिक खाद्य वस्तुए हैं, जो आसानी से उपलब्ध हैं और इनका फायदा प्राप्त करने के लिए इन्हें अपनी डेली डाइट का हिस्सा बनाया जा सकता है।

दही सबसे आम फरमेंटेड फूड है। यह दूध है जिसे बैक्टीरिया के दो बहुत विशिष्ट स्ट्रेन के साथ कल्चर्ड किया गया है- स्ट्रेप्टोकोकस थर्मोफिलस और लैक्टोबैसिलस बुल्गारिकस। और इसे हमारे दैनिक मेन मील का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। चूंकि अधिकांश पैक्ड दही में पर्याप्त ‘एक्टिव और लाइव’ कल्चर (बैक्टीरिया के) नहीं हो सकते हैं, इसलिए लेबल को पहले ध्यान से पढ़ें या फिर आप खुद घर पर ही अपना दही जमाएं। छाछ में मौजूद लैक्टोज को बैक्टीरिया द्वारा लैक्टिक एसिड में परिवर्तित किया जाता है, इसलिए सामान्य दूध की तुलना में ‘लैक्टोज इनटॉलरेंस’ लोगों द्वारा बेहतर तरीके से पचाया जा सकता है। हम में से अधिकतर लोग इससे पहले से ही परिचित हैं।

सब्जियों और फलों को खमीर करके बनाए गए घर के बने अचार प्रोबायोटिक्स से भरे होते हैं। साउथ-इंडियन फूड्स के अधिकांश डिशेज प्रोबायोटिक्स के समृद्ध स्रोत हैं। इडली, डोसा, अप्पम, ढोकला, उत्तपम आदि सभी को चावल और दाल को खमीर करके बनाए जाते हैं, जिसमें अच्छे बैक्टीरिया होते हैं।

काली गाजर, सरसों के बीज, सी-सॉल्ट और पानी से बना एक ट्रेडिशनल ड्रिंक्स कांजी को एक सप्ताह के लिए खमीर किया जाता है। इस प्रकार यह गुड बैक्टीरिया से भरा होता है। वहीं कुल्लू, हिमाचल प्रदेश में छाछ और व्हीट से बना एक फरमेंट ड्रिंक है। केफिर को वसायुक्त दूध को खमीर करके बनाया जाता है और इसका स्वाद बहुत तीखा होता है। इसकी उत्पत्ति रूस में हुई थी।

मिसो एक नमकीन पेस्ट होता है, जिसे जापानी कुकिंग में इस्तेमाल किया जाता है। यह कोजी कल्चर, चावल या जौ, और सोयाबीन के साथ बनाया जाता है। यह कई जरूरी खनिजों जैसे पोटेशियम से भरा होता है और इसमें कई माइक्रो-आर्गेनिज्म होते हैं, जो व्यक्ति को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। अपने आहार में मिसो सूप शामिल करें।

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