लाइफ स्टाइल

हिमाचल में हनीमून

Kajal Dubey
3 May 2023 6:18 PM GMT
हिमाचल में हनीमून
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कुहासे से ढंकी पगडंडियां, माहौल को रोमैंटिक बनाते चीड़ के सुगंधित जंगल, ख़ूबसूरत पहाड़, लकड़ी के छोटे-छोटे आरामदायक घर और लॉज... ये उन अनेक कारणों में से कुछ ही हैं, जो शिमला सहित हिमाचल प्रदेश के दूसरे क़स्बों को नवविवाहित जोड़ों और रोमैंस की तलाश करनेवालों की पसंदीदा सैरगाह बनाते हैं. हिमाचल की इसी अनूठी ख़ूबसूरती से रूबरू हुए जेरू और गुस्तास्प ईरानी.
“हम दोनों ऊंचे देवदार के वृक्षों की चरमराहट और हवा में बहकते चीड़ के पेड़ों के बीच थे. चिड़ियों की मधुर आवाज़ और रंभाती हुई गायें, टनटनाती हुई मंदिरों की घंटियां... हरी घाटियां, हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएं, ये सभी जैसे हमारे स्वागत को तत्पर थे. हम एक पहाड़ी के ऊपरी हिस्से पर बैठे थे और वहां से शिमला और उसके आसपास के अन्य पहाड़ी क़स्बों, जैसे-नालदेहरा, छाराबरा, मशोबरा और चैल की मोहक ख़ूबसूरती को निहार रहे थे. तभी पहाड़ों के मौसम की ख़ासियत का प्रदर्शन करते हुए कुहासे की एक पतली पर्त अचानक बादल के एक झुंड में बदल गई. समय हो गया था शिमला वॉटर कैचमेंट सैंक्चुअरी में लौटने का. हाथों में हाथ डाले कुहासे के पर्दे को चीरते हुए हम चहलक़दमी कर रहे थे. पगडंडी के दोनों ओर जंगली स्ट्रॉबेरीज़ उगी हुई थीं. सैंक्चुअरी में स्थित अपने रिज़ॉर्ट के रास्ते में हम चीड़ के पेड़ों की ख़ुशबू को महसूस कर सकते थे. इस तरह हम रास्ते की सुंदरता का आनंद लेते हुए औपनिवेशिक शैली में बने छाराबरा के वाइल्डफ़्लॉवर हॉल रिज़ॉर्ट पहुंचे. इस अनुभव से हमें इस बात का अंदाज़ा हो गया था कि हिमाचल दशकों से एक लोकप्रिय हनीमून डेस्टिनेशन के रूप में क्यों जाना जाता रहा है.”
शिमला में प्यार का आशियाना
“धूल भरे मैदानों से 2515 मीटर ऊंचाई पर बना वाइल्डफ़्लावर हॉल प्रेमी जोड़ों के पसंदीदा आशियानों में एक है. दरअस्ल, शिमला के आसपास की पहाड़ियों में प्रेमी जोड़ों के लिए कई सपनीले रैन बसेरे हैं, जैसे-नालदेहरा स्थित शैले नालदेहरा, जिसे ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन ख़ूब पसंद करते थे और चैल स्थित महाराजा पटियाला का महल.”
मशोबरा में पिकनिक
“एक सुहानी सुबह हमने मशोबरा के पास पहाड़ी की चोटी पर बने दि पीक में पिकनिक ब्रेकफ़ास्ट का निर्णय लिया. औपनिवेशिक काल के इस बंगले का निर्माण सन 1863 में किया गया था. हम लोगों ने वहां ठंडी हवा के झोंकों के बीच साइकलिंग का आनंद उठाया. हम जैसे-जैसे सेब के बगीचों में खोते जा रहे थे, खेतों की मेड़ और दूर तक पसरी हुई हरियाली की चादर दूर होती जा रही थी. पहाड़ों की ऊंची-नीची ढलान पर बसे शिमला को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी और ही दुनिया में आ गए हैं. हम दोनों ने अपने ठंडे हाथों को एक-दूसरे के हाथों से रगड़ा और ख़ुद को सूरज की सुनहली किरणों के हवाले कर दिया.”
रोमांचक चहलक़दमी
“अगली सुबह हम चिंडी घाटी की यात्रा पर गए. चाबा स्थित एक पुराने ब्रिटिश पावर हाउस के पास रुकने से पहले हम सतलज नदी की धारा के साथ-साथ चल रहे थे. यह पुराना पावर हाउस अब भी शिमला को बिजली की आपूर्ति करता है. उसके बाद आगे चलते हुए हम रूबरू हुए जंगल के प्रवेश द्वार पर बने एक हनुमान मंदिर से. जैसे-जैसे हम जंगल में आगे बढ़े, सड़क पहाड़ों में जाकर खो गई. ऐसे में हमारा पिकनिक लंच संभव नहीं दिख रहा था. अदृश्य चिड़ियों द्वारा बीच-बीच में की जा रही आपसी गुफ़्तगू यह याद दिला रही थी कि इस दुनिया में हम अकेले नहीं हैं. उसके बाद हम महुनाग मंदिर देखने के लिए गए. कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत के पात्र कर्ण को समर्पित विश्व का एकमात्र मंदिर है. इस तरह हमारा यह दिन भी सार्थक रहा.”
गांव के सादे जीवन का आनंद
“अगले दिन हम शिमला से लगभग 22 किलोमीटर दूर बसे नालदेहरा के लिए निकले. यह एक छोटा-सा मोहक क़स्बा है, जहां भारत का दूसरा सबसे पुराना गोल्फ़ कोर्स है. इस गोल्फ़ कोर्स का निर्माण वायसराय लॉर्ड कर्जन ने कराया था. हमने जंगल के अंदर एक अनजानी पगडंडी से अपनी यात्रा शुरू की. अपनी बांहें फैलाए देवदार हमारा स्वागत कर रहे थे और अपने घोड़ों तथा खच्चरों के झुंडों को हांक रहे स्थानीय लोग इस यात्रा में हमारा साथ दे रहे थे. आज नालदेहरा प्रकृति की सुंदरता का लुत्फ़ उठाने के लिए बेताब रहनेवाले यात्रियों की एक पसंदीदा सैरगाह बन गया है. इसका काफ़ी कुछ श्रेय चीड़ के जंगलों के बीच बने लग्ज़री रिज़ॉर्ट चार्लेट्स नालदेहरा को भी जाता है. यह जगह रोमैंस के लिए उपयुक्त है.
उसके बाद हमने एक स्थानीय गांव का भ्रमण किया. हम यह जानकर बेहद रोमांचित हुए कि जीवन इतना सरल और सहज भी हो सकता है! उस गांव में हमने ग्रामीण भारत की असली झलक देखी. घर सामान्य पर साफ़-सुथरे थे. गांव की महिलाएं मिल-जुलकर काम कर रही थीं. जानवर मज़े से अस्तबलों में चारा खा रहे थे.”
राजसी वैभव
“हमारा अंतिम ठिकाना था चैल, जो कभी पटियाला के शासक महाराजा भूपेन्दर सिंह का निवास हुआ करता था. अंग्रेज़ों ने उन्हें अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला से निर्वासित कर दिया गया था. अंग्रेज़ों के घमंड को चुनौती देते हुए उन्होंने अपनी नई राजधानी का निर्माण चैल में किया. चैल शिमला की तुलना में ऊंची पहाड़ी पर बसा है, जिसके चलते यह घाटी से आसानी से दिखता है. महाराजा क्रिकेट के बड़े शौक़ीन थे, उन्होंने एक पहाड़ी की चोटी को समतल कराकर क्रिकेट मैदान का निर्माण कराया था. चीड़ और देवदार के पेड़ों से घिरा यह मैदान, दुनिया में सबसे ऊंचाई पर बना क्रिकेट मैदान है. पहाड़ी के ऊपर बने महल को हिमाचल टूरिज़्म ने रिज़ॉर्ट में तब्दील कर दिया है.
उस शाम को हम महल के लॉन पर बैठकर नीचे डूबते सूरज की रौशनी में नहा रहे जंगलों को देख रहे थे. हम सोच रहे थे कि अगले ही दिन हम इस जन्ïनत को छोड़कर जानेवाले हैं इसलिए इस पल को भरपूर जी लेना चाहिए.”
हिमाचल में ज़रूर करें
1. घोड़ों की सवारी, ट्रेकिंग, साइकलिंग और सतलज में वॉटर राफ़्टिंग करने के अलावा छाराबरा में स्ट्रॉबेरी के खेतों से गुज़रनेवाली पगडंडियों की यात्रा पर जाना न भूलें.
2. शिमला की सड़कों पर चहलक़दमी करते हुए अंग्रेज़ों की इस ग्रीष्मकालीन राजधानी के सौंदर्य को निहारें.
3. नालदेहरा में गोल्फ़ खेलें. वहां के स्थानीय लोग आपको इस खेल के कई अनूठे गुर सिखाएंगे.
4. चैल में महाराजा पटियाला के भव्य महल की झलक देख आएं.
कैसे जाएं
शिमला एयरपोर्ट मुख्य शहर से लगभग 22 किलोमीटर दूर जबारहट्टी में स्थित है.
पश्चिम एक्सप्रेस से मुंबई से कालका और दिल्ली से कालका आने-जाने की सुविधा है. कालका से आगे नैरो गेज रेल्वे (यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज घोषित) से जाया जाता है. हिमालयन क्वीन और कालका शिमला एक्सप्रेस से आने-जाने की भी सुविधा है.
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