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आयुर्वेद में शहद को 'मधु' कहा जाता है. इसका उपयोग आंतरिक और बाहरी दोनों अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है. आयुर्वेद शहद के एक और खास गुण के बारे में बताता है. शहद को 'योगवाही' कहा जाता है. जिस पदार्थ में गहरे से गहरे उत्तकों को भेदने का गुण होता है, उसे योगवही कहते हैं. जब शहद का उपयोग अन्य हर्बल जड़ी बूटियों के साथ किया जाता है तो यह शहद का औषधीय गुण और बढ़ जाता है. आयुर्वेदिक ऋषि चरक ने 500 साल पहले लिखा था कि 'शहद के अनुचित सेवन से होने वाली अमा से ज्यादा तकलीफदेह कुछ भी नहीं है.'
आयुर्वेदिक चिकित्सा में अमा या शरीर में बिना पचे पदार्थ को लगभग सभी बीमारियों का मूल कारण माना जाता है. शहद को गर्म करने से पाचन प्रक्रिया को सपोर्ट करने वाले एंजाइम नष्ट हो जाते हैं, इसलिए सेवन करने पर शरीर में अमा (टॉक्सिन) पैदा होता है.
आयुर्वेद में, शहद के फायदे:-
-शहद आंखों और आंखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छा होता है.
-यह प्यास बुझाता है.
-कफ को कम करता है.
-यह मूत्र पथ के विकार, ब्रोन्कियल अस्थमा, खांसी, दस्त और मतली-उल्टी में बहुत उपयोगी है.
-यह एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है.
-यह दिल के लिए अच्छा है, त्वचा में सुधार करता है और कामोत्तेजक है.
-गहरे घाव को जल्दी भरने में मदद करता है.
-स्वस्थ दानेदार ऊतक के विकास की शुरुआत करता है.
मधुमक्खी के छत्ते से नया एकत्र किया गया शहद शरीर के वजन को बढ़ाता है और एक हल्का रेचक है. शहद जो संग्रहीत है और पुराना है वसा के चयापचय में मदद करता है और कफ को खत्म करता है.
शहद के प्रयोग में सावधानियां:
-शहद को गर्म खाद्य पदार्थों या पानी के साथ नहीं मिलाना चाहिए.
-जब आप गर्म वातावरण में काम कर रहे हों तो शहद का सेवन नहीं करना चाहिए.
-शहद को कभी भी घी के साथ या गर्म, मसालेदार भोजन के साथ नहीं मिलाना चाहिए.
इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा तरीका:
-एक गिलास नॉर्मल तापमान के पानी के साथ 1 चम्मच ले, मोटापे के लिए.
-1 चम्मच पीएफ हल्दी और 1 काली मिर्च के साथ 1 चम्मच शहद, खांसी, सर्दी, साइनसाइटिस, प्रतिरक्षा के लिए.
Tara Tandi
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