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भारत के इस गांव में सालों से नहीं हुआ होलिका दहन

Apurva Srivastav
4 March 2023 6:51 PM GMT
भारत के इस गांव में सालों से नहीं हुआ होलिका दहन
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गांव वालों ने चंदा इकट्ठा किया और चांदी की होलिका,
होली का त्योहार 8 मार्च को देशभर में मनाया जाएगा. हर कोई इसके लिए तैयार है और बस उस खास दिन का इंतजार कर रहा है. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होता है जिसमें लड़कियों के गट्ठर को जलाया जाता है. इसे बुराई पर अच्छाई की जीत की तरह देखा जाता है जिसकी धार्मिक कथाएं भी प्रचलित हैं. जहां देशभर में खुशी का माहौल होता है वहीं भारत में एक ऐसी भी जगह है जहां 70 सालों से होलिका दहन नहीं हुआ. वो जगह राजस्थान के भीलवाड़ा के पास हरनी में है. ये एक ऐसा गांव है जहां होलिका दहन नहीं होता और इसके पीछे की एक वजह शायद ही आपको पता हो तो चलिए इसके बारे में आपको बताते हैं.
भारत के इस गांव में नहीं होता होलिका दहन (Holika Dahan 2023 in Bhilwara)
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हरणी नाम के उस गांव में करीब 70 साल पहले होलिका दहन के दौरान आग लग गई थी. जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी जिसमें कई बच्चे भी थे. ये हादसा करीब 1 साल तक गांववालों के जहन में जिंदा रहा और वो लोग इससे काफी डर गए. इसके बाद ग्रामीणों ने ऐसा अनूठा फैसला लिया जो सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि पूरे देश में मिसाल बन गया. हर पर्यावरण प्रेमी इसकी प्रशंसा करता है कि इस परंपरा को गांव वाले निभाते हैं इसलिए ये गांव इतना स्वच्छ और रोग मुक्त है. भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब 5 किमी दूर हरणी गांव में 70 सालों से होलिका दहन ना करने की परंपरा निभाई जा रही है. अब आप सोचेंगे होलिका दहन की परंपरा कैसे निभाई जाती होगी तो इसका भी जवाब है.
होलिका दहन के दिन कामों को करने की मनाही है.
दरअसल, गांव वालों ने चंदा इकट्ठा किया और चांदी की होलिका, साथ में सोने का प्रह्लाद बनवाया. इसको होली के पर्व पर गांव में ही 5 सौ साल पुराने श्री हरणी श्याम मंदिर से शोभायात्रा के रूप में होलिका दहन की जगह पर लाते हैं. वहां सर्व समाज के लोग पूजा करते हैं और फिर उन मूर्तियों को मंदिर में रख दिया जाता है. ये परंपरा गांव वाले 70 सालों से निभा रहे हैं. गांव के कुछ लोगों का कहना है कि 70 साल पहले होली वाले दिन आग लगने से सभी ने आपसी सहमती से ये निर्णय लिया था.
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