- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- यहाँ खेली जाती है...
x
काशी के महाशमशान में रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadahi 2023) के दिन मसानी होली मनाई जाती है
हिंदू धर्म में होली का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं. होली भारत के बड़े त्योहारों में आता है जब स्कूल, कॉलेज, दफ्तर सबकुछ बंद होते हैं और लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ होली मनाते हैं. भारत में जिस दिन होली खेलते हैं उस दिन रंगों से लोग इस त्योहार को सेलिब्रेट करते हैं लेकिन भारत के अलग-अलग हिस्सों में फूल, लाठी, पानी, दूध, हांडी फोड़कर जैसी चीजों के साथ होली मनाते हैं. लेकिन बनारस में मसान होली असल होली के करीब 4 दिन पहले मनाई जाती है. इसमें साधु-संत और बाकी लोग चिता की राख के साथ होली खेलते हैं. ये सुनने में डराने वाला है लेकिन इस परंपरा को सदियों से लोग निभा रहे हैं. चलिए आपको मसान होली का इतिहास (History of Masan Holi of Kashi) बताते हैं.
काशी में क्यों खेली जाती है ‘चिता की राख’ से होली?
काशी के महाशमशान में रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadahi 2023) के दिन मसानी होली मनाई जाती है. इसमें चिता की राख से होली खेलने की परपंरा है, और ये त्योहार शमशाम पर खुशी के साथ मनाते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां कभी चिता की आग ठंडी नहीं होती है क्योंकि अंतिम संस्कार के लिए शवों की लाइन लगी रहती है. लोग अपने परिजनों की मृत्यु का शोक यहां मनाते हैं और पूजा करवाते हैं जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले. मगर होली के करीब 3-4 दिन पहले रंगभरी एकादशी पर मसान होली मनाई जाती है. मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ रंगभरी एकादशी पर अपने भक्तों के साथ होली खेलने आते हैं. मणिकर्णिका घाट पर बाबा अपने गणों के साथ चिता भस्म की होली भी खेलते हैं.
वाराणसी में मनाते हैं मसान होली.
ऐसी भी मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ खुद इस घाट पर विराजमान रहते हैं और भूत, प्रेत, पिशाच जैसी बुरी शक्तियों को इंसानों के बीच जाने से रोकते हैं. मसान होली की शुरुआत हरिश्चंद्र घाट पर महाशमशान नाथ की आरती से होती है. इसका आयोजन डोम राजा का परिवार करता है और यहां मसाननाथ की मूर्ति पर पहले गुलाल उसके बाद चिता भस्म लगाने के साथ होली की शुरुआत होती है.
मसान होली का इतिहास
पौराणिक कथा के अनुसार, चिता की राख से होली खेलने की परंपरा 350 साल पुरानी है. इसकी कहानी जो सबसे ज्यादा प्रचलित है कि जब भगवान विश्वनाथ पार्वती जी का गौना कराने काशी पहुंचे थे तब उन्होंने अपने गणों के साथ होली खेलती थी. लेकिन वे शमशान पर बसने वाले भूत, प्रेत, पिशाच और अघोरियों के साथ होली नहीं खेल पाए जिससे ये सभी बाबा विश्वनाथ से रूठ गए थे. उनकी खुशी के लिए बाबा विश्वनाथ ने उनसे वादा किया वो हर साल रंगभरी एकादशी के दिन उन सभी के साथ चिता की भस्म से होली खेलने आएंगे. लोगों में ऐसी मान्यता है कि चिता की राख से होली खेलने महादेव आते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देकर जाते हैं.
Tagsकहाँ खेली जाती है ‘चिता की राख’ से होलीमसान होली का इतिहासमसान होलीमसान होली क्या हैWhere is played by 'Chita Ki Rakh' HoliMasaan Holi HoliMasaan HoliMasan Holiवास्तु दोषवास्तु दोष के उपायवास्तु दोष निवारण के उपायवास्तु शास्त्रवास्तु शास्त्र का ज्ञानवास्तु के नियमवास्तु टिप्सकुछ महत्वपूर्ण वास्तु नियमसनातन धर्महिंदू धर्मभारतीय ज्योतिष शास्त्रज्योतिष शास्त्रVastu DoshaVastu Dosha RemediesVastu ShastraKnowledge of Vastu ShastraRules of VastuVastu TipsSome Important Vastu RulesSanatan DharmaHinduismIndian AstrologyJyotish Shastraजनता से रिश्ताजनता से रिश्ता न्यूज़लेटेस्ट न्यूज़न्यूज़ वेबडेस्कआज की बड़ी खबरRelationship with publicrelationship with public newslatest newsnews webdesktoday's big news
Apurva Srivastav
Next Story