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इन जगहों पर सालों से नहीं मनाई गई होली, जानें इनके पीछे क्या है कारण

Khushboo Dhruw
26 March 2021 3:42 PM GMT
इन जगहों पर सालों से नहीं मनाई गई होली, जानें इनके पीछे क्या है कारण
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भारत में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां सालों से होली नहीं मनाई गई है

होली रंगों का त्योहार है और देशभर में ये त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. लोग इस दिन एक-दूसरे पर रंग डालते हैं, खाने के अलग-अलग व्यंजन भी बनाते हैं और इस त्योहार का आनंद लेते हैं. लेकिन भारत में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां सालों से होली नहीं मनाई गई है. आइए यहां जानते हैं इन जगहों के बारे में.

रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
रुद्रप्रयाग जिले के बहुत से गांवों में होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. इसमें क्विली, कुरझन जैसे गांव शामिल हैं. इन गांवों में लगभग 150 सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है. ऐसी मान्यता है कि इस क्षेत्र की प्रमुख देवी त्रिपुर सुंदरी को शोर नहीं पसंद है, इसलिए यहां के लोग होली के शोर से बचते हैं और होली के त्योहार को नहीं मनाते हैं.
रामसन (रामेश्वर) – गुजरात
गुजरात के बनासकांठा जिले के गांव रामसन (रामेश्वर) होली के समय काफी खाली नजर आता है. इस गांव में लगभग 200 साल से होली नहीं मनाई गई है. इस गांव का नाम पहले रामेश्वर था जो भगवान राम के नाम पर रखा गया है. होली न मनाने के पीछे कारण दिया जाता है कि इस जगह को संतों का अभिशाप लगा हुआ है. जो प्राचीन समय के एक राजा के दुर्व्यवहार के लिए दिया गया था.
दुर्गापुर – झारखंड
झारखंड में दुर्गापुर गांव के लोग होली नहीं मनाते हैं. बता दें कि इस गांव में लगभग 100 सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है. ऐसा कहा जाता है कि होली के त्योहार पर स्थानीय राजा के बेटे की मौत हो गई थी और होली के दिन ही राजा की भी मौत हो गई थी. मरने से पहले राजा ने यहां के लोगों को होली न मनाने के आदेश दिए थे, तब से अगर कोई होली मनाना चाहता है तो वो दूसरी जगह जाकर होली मनाता है.
तमिलनाडु
तमिलनाडु में रहने वाले ज्यादातर लोग होली नहीं मनाते हैं. होली पूर्णिमा के दिन आती है और तमिल लोग मासी मागम मनाकर इसे सम्मान देते हैं. ऐसा माना जाता है कि ये एक पवित्र दिन है . इस दौरान आकाशीय जीव और पूर्वज, पवित्र नदियों, तालाबों और पानी में डुबकी लगाने के लिए धरती पर उतरते हैं. हालांकि पुडुचेरी में होली के त्योहार के लिए काफी सारे जश्न आयोजित किए जाते हैं ताकि बाहर से आए लोग इस त्योहार का आनंद ले सकें.


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