लाइफ स्टाइल

अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस का इतिहास और महत्त्व

Apurva Srivastav
29 May 2024 5:47 AM GMT
अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस का इतिहास और महत्त्व
x
लाइफस्टाइल : एवरेस्ट दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है। इसकी ऊंचाई 8848 मीटर है। हिलेरी और शेरपा 29 मई 1953 के दिन एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने में सफल हुए थे। उन्हीं की याद में हर साल 29 मई के दिन अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस मनाया जाता है। इसका एक अन्य उद्देश्य नेपाल पर्यटन को बढ़ावा देना भी है। अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस पर्वतारोहियों को सम्मानित करने के लिए नेपाल द्वारा मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। एवरेस्ट की चोटी नेपाल और चीन (तिब्बत) की सीमा पर स्थित है।
अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस का इतिहास
वर्ष 1953 में मतलब 71 साल पहले आज यानी 29 मई के दिन ही दिन न्यूज़ीलैंड के पर्वतारोही एडमंड हिलेरी ने नेपाल के तेनजिंग शेरपा के साथ माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की थी, जिसमें वो सफल भी रहे थे। साल 2008 में एडमंड हिलेरी की मृत्यु के बाद उन्हें सम्मान देने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस (International Everest Day in Hindi) मनाया जाता है। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई का ये सिलसिला आज भी जारी है।
माउंट एवरेस्ट के नामकरण की कहानी
माउंट एवरेस्ट का नाम जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया है, जो 1830 से 1843 तक भारत के सरकारी सर्वेक्षण के डायरेक्टर थे। हिमालय पर्वत को मापने वाले वह पहले व्यक्ति थे।
अंतरराष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस का महत्व
अंतरराष्ट्रीय माउंट एवरेस्ट दिवस सिर्फ एडमंड हिलेरी और तेनजिंग शेरपा के विजय को ही सेलिब्रेट करने का दिन नहीं है, बल्कि ये पहाड़ पर चढ़ने के खतरों को बताने और उन लोगों को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है जिन्होंने इस सफर के दौरान अपनी जान गंवा दी। यह दिवस पर्वतारोहियों को एवरेस्ट चोटी फतह करने के लिए प्रेरित करता है।
माउंट एवरेस्ट पर जाने वाले पहले भारतीय महिला व पुरुष
सन 1965 में भारतीय सेना के कैप्टन अवतार सिंह चीमा माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाले भारतीय पुरुष हैं। वहीं बछेंद्री पाल ने इस चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला।
Next Story