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High Cholesterol Signs: ये है कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने के कारण और प्रमुख लक्षण

Tulsi Rao
23 Nov 2021 5:21 AM GMT
High Cholesterol Signs: ये है कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने के कारण और प्रमुख लक्षण
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कोलेस्ट्रॉल लेवल बहुत ज्यादा होने से हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं। लेकिन कई बार बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल आपके पैरों की आर्टरीज में जमा हो जाता है, जो कई परेशानियां की वजह बन सकता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जीवनशैली की खराब आदतें कई स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं को जन्म देती हैं। इनमें से एक है हाई कोलेस्ट्रॉल। वैसे कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाए, तो हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर जैसी बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है, लेकिन क्या आपको पता है कि बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल आपके पैरों की आर्टरीज में जमा हो जाता है, जो कई परेशानियों का कारण बनता है।

इसके लक्षण आपको बहुत जल्दी नजर नहीं आते, बल्कि इनका अहसास तब होता है, जब कोलेस्ट्रॉल लेवल जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि हाई कोलेस्ट्रॉल होने से आर्टरीज ब्लॉक हो जाती हैं।इससे व्यक्ति को दिल का दौरा तक पड़ सकता है। ऐसा तब होता है जब हार्ट सेल्स को जरूरी ऑक्सीजन से वंचित रखा जाए। तो आइए आज हम आपको पैरों में जमा होने वाले कोलेस्ट्रॉल और इसके लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं।
​हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बनता है कोलेस्ट्रॉल
विशेषज्ञों के अनुसार, कोलेस्ट्रॉल एक लिपिड है, जिसकी हमारे शरीर को सही ढंग से काम करने के लिए जरूरत होती है। यह एक फैट जैसा पदार्थ है, जो ब्लड आर्टरीज के जरिए शरीर में घूमता रहता है। पानी में नहीं घुलने के कारण कोलेस्ट्रॉल को लिपोप्रोटीन नामक एक कण के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाया जाता है, जिसकी सतह पर एक प्रकार का प्रोटीन होता है।
जब कोलेस्ट्रॉल हाई फैट और कम प्रोटीन सामग्री वाले लिपोप्रोटीन के साथ मिलकर एलडीएल बनाता है, तो यह शरीर के लिए हानिकारक होता है। यह समस्या आमतौर पर तब पैदा होती है, जब आपका आहार अनहेल्दी फैटी फूड से भरपूर हो। एलडीएल यानि लिपोप्रोटीन आर्टरीज में निर्माण शुरू कर देता है, जो समय के साथ दिल का दौरा और स्ट्रोक का कारण बनता है।
पैरों में हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण कैसे दिखाई दे सकते हैं
कोलेस्ट्रॉल के बारे में सबसे खतरनाक बात ये है कि स्थिति तब तक कोई लक्षण नहीं दिखाती , जब तक की ये खतरनाक स्तर तक न पहुंच जाए और आपके जीवन को प्रभावित करना शुरू न कर दे। इसका निदान और रोकथाम करने का एकमात्र तरीका है नियमित रूप से खून की जांच कराना। जब खून में कोलेस्ट्रॉल का लेवल खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता है, तो यह आपके पैरों के एचलीस टेंडन को प्रभावित करने लगता है। हम यहां आपको कुछ लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए।
​त्वचा और नाखून के रंग में बदलाव
पैरों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने की वजह से ऑक्सीजन युक्त ब्लड की आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाती । जिससे पैरों के नाखून और त्वचा का रंग बदलने लगता है। इस स्थिति में त्वचा अक्सर पीली और नसें नीली या बैंगनी रंग की दिखाई देने लगती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्लड ले जाने वाले पोषक तत्वों और ऑक्सीजन के प्रवाह में कमी के कारण सेल्स को सही पोषण नहीं मिल पाता। इससे त्वचा टाइट हो जाती है और पैर के नाखून मोटे होने के अलावा इनका विकास भी धीमा पड़ जाता है।
​पैरों में दर्द
जब आपके पैरों की आर्टरीज ब्लॉक हो जाती हैं, तो पैरों के निचले हिस्से में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त ब्लड नहीं पहुंच पाता। इससे पैरों में भारीपन और थकान महसूस होती है। हाई कोलेस्टॉल से पीडि़त अधिकांश लोग निचले अंगों में जलन और दर्द की शिकायत करते हैं। पैर के किसी भी हिस्से जैसे जांघों और पिंडलियों में दर्द का अनुभव हो सकता है। ऐसे में थोड़ी सी भी दूर चलने में लोगों को तकलीफ होती है।
​पैर में ऐंठन
सोते समय पैर में ऐंठन, कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने का सामान्य लक्षण है। यह निचले अंगों की आर्टरीज को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है। यह ऐंठन ज्यादातर एड़ी, तर्जनी और पैर की एडिय़ों में महसूस होती है। खासतौर से रात में सोते समय हालत और भी खराब हो जाती है। पैरों को बिस्तर से टिकाना इससे राहत पाने का एक बेहतर विकल्प है।
​तलवों का ठंडा होना
हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल के कारण आपके पैरों के नाखून का रंग ही नहीं बदलता बल्कि पैर के हिस्से के तापमान में भी बदलाव आ सकता है। ऐसे में हो सकता है आपके पैर हरदम ठंडे रहने लगें। यहां तक की गर्मियों में भी अगर आप इन्हें छूएं, तो आपको ये ठंडे ही लगेंगे। ज्यादातर लोगों के अंगूठे को देखकर जमे हुए कोलेस्ट्रॉल का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। जब भी आपको ऐसा लगे, तो इस स्थिति को नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर कभी भी आपको यहां बताए गए लक्षणों का अनुभव हो, तो अनदेखा ना करें, बल्कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


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