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हिंदू धर्म के अनुसार सिर्फ विवाहित महिलाएं ही अपने पैर में बिछियां पहनती हैं,
हमारे समाज में शादी के बाद महिलाएं अपने पैरों की उंगलियों में बिछिया पहनती है। इसे आमतौर पर सुहागनों के सजने-संवरने या श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है, जिसे पैरों में बीच की 3 उंगलियों या 1 उंगली में खास तौर पर पहना जाता है।
हिंदू धर्म के अनुसार सिर्फ विवाहित महिलाएं ही अपने पैर में बिछियां पहनती हैं, क्योंकि इसे सुहाग की निशानी माना जाता है, इसके साथ ही सुहागिनों के लिए अन्य नियमों में मंगलसूत्र पहनना तथा नियमित मांग भरना, हाथों में चूडि़यां तथा पैरों में पायल पहनना ये सभी चीजें सुहागिनों के लिए जरूरी बताई गई हैं। जिसके बिना हर तीज-त्योहार का पूजन तथा व्रत-उपवास अधूरासा माना जाता हैं, लेकिन इसके अलावा भी बिछिया पहनने के कई और महत्व भी हैं।
धार्मिक तथा ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार सुहागिनों को हमेशा चांदी की बिछिया ही पहननी चाहिए, क्योंकि एक तो यह सुहाग की निशानी है और दूसरी यह चंद्र से जुड़ी होने के कारण मन को शांति देती है, क्योंकि ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह माना जाता है, अत: शरीर पर चांदी धारण करने से शरीर का तापमान नियंत्रण में रहता है तथा ग्रह बाधा दूर होती है।
अत: यदि आप भी शादीशुदा हैं और जानना चाहती है कि क्यों आपको बिछिया पहनाई जाती है, तो ये जानकारी आपके लिए है। आइए जानते हैं-Benefits of wearing toe ring
बिछिया पहनने के खास फायदे-
- बिछिया मछली की आकार की हो तो सबसे असरदार मानी जाती है। मछली का आकार मतलब बीच में गोलाकार और आगे-पीछे कुछ नोकदार सी।
- बिछिया पहनने से थाइराइड की संभावना कम हो जाती है।
- पैरों में हमेशा चांदी की बिछिया पहनें। सोने की बिछिया शारीरिक गर्मी का संतुलन खराब करके रोग उत्पन्न कर सकती है।
- बिछिया एक खास नस पर प्रेशर बनाती है जोकि गर्भाशय में समुचित रक्तसंचार प्रवहित करती है। इस प्रकार बिछिया औरतों की गर्भधारण क्षमता को स्वस्थ रखती है।
- दोनों पैरों में बिछिया पहनने से महिलाओं का हार्मोनल सिस्टम सही रूप से कार्य करता है।
- बिछिया एक्यूप्रेशर उपचार पद्धति पर कार्य करती है जिससे शरीर के निचले अंगों के तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां सबल रहती हैं।
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