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त्वचा संक्रमण होने से ह्रदय रोग का खतरा

Bhumika Sahu
27 Dec 2021 7:29 AM GMT
त्वचा संक्रमण होने से ह्रदय रोग का खतरा
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अगर आपके त्वचा में किसी प्रकार का संक्रमण हो रहा है तो संभल जाइए। एक अध्ययन में पाया गया है कि इससे वातज्वर (गठिया या जोड़ संबंधी बुखार) हो सकता है और वातज्वर गंभीर ह्रदय रोग का अहम कारक होता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर आपके त्वचा में किसी प्रकार का संक्रमण हो रहा है तो संभल जाइए। एक अध्ययन में पाया गया है कि इससे वातज्वर (गठिया या जोड़ संबंधी बुखार) हो सकता है और वातज्वर गंभीर ह्रदय रोग का अहम कारक होता है।

अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि त्वचा संक्रमण वातज्वर का एक महत्वपूर्ण कारक है। यह अध्ययन 'बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल' में प्रकाशित हुआ है। तीव्र वातज्वर गंभीर हृदय रोग का एक महत्वपूर्ण कारण है। विशेष रूप से न्यूजीलैंड मूल के माओरी और प्रशांत क्षेत्र के बच्चों और युवाओं के अलावा निम्न और मध्यम आय वाले देशों के बच्चों और युवाओं के लिए यह खतरनाक है।
ओटागो विश्वविद्यालय, वेलिंगटन में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रोफेसर माइकल बेकर ने समझाया कि 'लंबे समय से माना जाता है कि वातज्वर समूह ए स्ट्रेप्टोकोकस (जीएएस) फेरींगिटिस की जटिलता है, जिसे आमतौर पर 'गला का संक्रमण' नाम से जाना जाता है। हालांकि, नए शोध से संकेत मिलता है कि स्ट्रेप्टोकोकस त्वचा संक्रमण भी बीमारी का कारण हो सकता है। प्रोफेसर बेकर ने कहा, 'यह अध्ययन तीव्र वातज्वर के कारणों को समझने में मील का पत्थर है।'
उन्होंने बताया कि, 'दुनिया के इस तरह के पहले अध्ययन में इस बात की पुष्टि हुई है कि जीएएस त्वचा संक्रमण के बाद वातज्वर का जोखिम उसी तरह से बढ़ता है जैसे गले में खराश के बाद होता है। क्योंकि तीव्र वातज्वर एक असामान्य बीमारी है और कुछ देशों में व्यापक रूप से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जुड़ा हुआ है।' हालांकि वातज्वर के बारे में अब तक न तो कोई अध्ययन हुआ है और न ही इससे होनेवाले संक्रमण के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध है।
उच्च आयवर्ग वाले देशों में न्यूजीलैंड ऐसा देश है, जहां इस तरह के बुखार होने की दर सबसे अधिक है। इसके ऑकलैंड क्षेत्र में इस अध्ययन के आठ साल की अवधि में लगभग गले और त्वचा के संक्रमण के लगभग 19 लाख मामलों के आंकड़ों का उपयोग किया गया जो वातज्वर के मामलों की पहचान करने के लिए अस्पताल में भर्ती मरीजों के आंकड़ों से जुड़ा था। साथ ही यह पहचानने के लिए आंकड़े इकट्ठा किए गए कि क्या एंटीबायोटिक्स से मामलों को दूर किया जा सका। अध्ययन में पाया गया कि इन मामलों में 08 से 90 दिनों की अवधि में वातज्वर का जोखिम पांच गुना बढ़ गया।
शोध पर काम करने वाली डॉ. जूली बेनेट ने कहा कि अध्ययन दल अब इन निष्कर्षों पर शोध करने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा, 'हम यह देखने के लिए गहन त्वचा संक्रमण उपचार के परीक्षण की योजना बना रहे हैं कि क्या यह वातज्वर के जोखिम को कम कर सकता है।' अध्ययन से यह भी पता चला है कि बच्चों को गले में संक्रमण के दौरान दी जानेवाली नियमित एंटीबायोटिक दवाएं वातज्वर के जोखिम को कम नहीं कर सकता है।
डॉ बेनेट ने कहा, 'यह एक चिंताजनक शोध निष्कर्ष है। इससे पता चलता है कि हमें इन संक्रमणों के इलाज के लिए वर्तमान में निर्धारित एंटीबायोटिक दवाओं की तुलना में अधिक प्रभावी तरीके खोजने की जरूरत है।


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