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दुनिया में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच फिलहाल ऐसे कोई साक्ष्य नहीं हैं जिससे स्वस्थ बच्चों और किशोरों को कोरोना की बूस्टर खुराक की जरूरत हो।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच फिलहाल ऐसे कोई साक्ष्य नहीं हैं जिससे स्वस्थ बच्चों और किशोरों को कोरोना की बूस्टर खुराक की जरूरत हो।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने यह दावा किया कि तेजी से बढ़ रहे कोरोना के ओमीक्रोन स्वरूप के खिलाफ समय के साथ टीके की प्रतिरक्षा में कुछ कमी जरूर आई है। लेकिन यह पता लगाने के लिए और अधिक शोध किए जाने की जरूरत है कि बूस्टर खुराक की आवश्यकता किसे है। अभी स्वस्थ बच्चों या स्वस्थ किशोरों को बूस्टर खुराक जरूरी ही है, इसके कोई साक्ष्य नहीं है।
स्वामीनाथन ने कहा कि इस सप्ताह के अंत में एजेंसी के सलाहकार समूह की बैठक होगी। इसमें चर्चा की जाएगी की कैसे देशों को अपनी आबादी को बूस्टर खुराक देने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बूस्टर का उद्देश्य सबसे कमजोर, गंभीर और उच्च जोखिम वाले मरीजों को सुरक्षा देना है।
डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य आपात स्थिति कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल रयान ने कहा कि एजेंसी को अभी भी यह पता नहीं चला है कि लोगों को अंतत: कितनी बार या कितनी खुराक की आवश्यकता होगी। मुझे लगता है कि लोगों को डर है कि बूस्टर हर दो या तीन महीने में लगने वाली है और सभी को यह लेना होगा।
भारत में किशोरों की स्थिति
भारत में किशोरों 15 से 17 वर्ष के किशोरों को अभी पहली खुराक ही दी जा रही है। अभी 50 फीसदी किशोरों ने डोज ली है। इसके बाद दूसरी खुराक दी जाएगी। बूस्टर देने पर अभी फैसला नहीं हुआ है। देश में अभी सिर्फ स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं और बुजुर्गों को ही बूस्टर खुराक दी जा रही है।
कहां-कहां बच्चों को बूस्टर
● इजरायल ने 12 साल से ऊपर के बच्चों को बूस्टर खुराक दी जा रही
● अमेरिका ने 12 से 15 वर्ष के बच्चों को तीसरी डोज देने का निर्णय
● जर्मनी ने पिछले हफ्ते 12 से 17 वर्ष के बच्चों को बूस्टर खुराक जरूरी किया
● हंगरी में भी इस उम्र वर्ग के लोगों के लिए बूस्टर देने का निर्णय
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