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Health: जरूरत से ज्यादा पानी पीना शरीर को करता है बीमार

Raj Preet
15 Jun 2024 2:27 PM GMT
Health: जरूरत से ज्यादा पानी पीना शरीर को करता है बीमार
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Lifestyle: गर्मी में हम सबसे ज्यादा पेय पदार्थ और पानी युक्त फलों का सेवन करते हैं। consume water-rich fruits शरीर के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना अच्छी बात है लेकिन यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि किस प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन कब करना है। पानी पीने से शरीर का जल संतुलन बना रहता है और टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद मिलती है। बहुत ज्यादा पानी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन, सूजन और बेचैनी हो सकती है। जरूरत से ज्यादा पानी पीने से खून की मात्रा बढ़ जाती है और किड़नी पर ज्यादा पानी को फ़िल्टर करने का दबाव भी बढ़ जाता है। इससे दिल पर अधिक बोझ पड़ सकता है और पेट में जलन बढ़ सकती है। जरूरत से ज्यादा पानी पीने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बिगड़ सकता है और खून में सोडियम के लेवल को कम कर सकता है, जिससे हाइपोनेट्रेमिया नाम की स्थिति पैदा हो सकती है। हाइपोनेट्रेमिया के लक्षणों में- जी मिचलाना, सिरदर्द होना, दुर्बलता, चिड़चिड़ापन, मांसपेशियों में ऐंठन आदि शामिल हैं।
एक दिन में कितना पानी पीना काफी है?
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन ने पानी पीने से जुड़े दिशानिर्देश स्थापित किए हैं। एक हेल्दी व्यक्ति को रोजाना लगभग 9 से 13 कप पानी पीना चाहिए।
ऐसे में सही तरह से इनका सेवन करना अति आवश्यक है। कुछ सावधानियां बरतकर न सिर्फ़ आप हाइड्रेटेड रह सकते हैं बल्कि पूरी गर्मियों में अपनी सेहत को बेहतर भी बनाए रख सकते हैं।
हाइड्रेशन या बीमारी
किसी भी चीज़ की अति नुक़सानदेह होती है इसलिए बहुत ज़्यादा पानी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना भी हमारे शरीर को नुक़सान पहुंचा सकता है। बहुत ज़्यादा पानी का सेवन करने से इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित हो सकते हैं, जिससे गंभीर मामलों में मांसपेशियों में ऐंठन, कमज़ोरी और दौरे भी पड़ सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मांसपेशियों और तंत्रिका कार्यों को ठीक से नियंत्रित करने के लिए हमारे शरीर को सोडियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन की
आवश्यकता होती है।
पर ज़्यादा पानी का सेवन करने से इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित होने की संभावना बढ़ जाती है।
जल का ज़्यादा सेवन करने से बेचैनी हो सकती है क्योंकि पानी के अधिक सेवन से पाचन तंत्र पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे गैस और सूजन हो सकती है। बार-बार लघुशंका आ सकती है, जो नींद को भी बाधित कर सकती है। इससे डीहाइड्रेशन भी हो सकता है। पानी की अधिकता से शरीर ओवरहाइड्रेटेड हो जाता है जिसके कारण किडनी पर दबाव पड़ने लगता है।
सेवन कब और कैसे
अब जब हमने बहुत ज़्यादा पानी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन के संभावित नुक़सान के बारे में जान लिया है, तो आइए इनको खाने के सही समय के बारे में जानें।
खीरा
इसमें कम कैलोरी होती है और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। हालांकि सोने से पहले खीरा खाने से नींद में बाधा आ सकती है क्योंकि इसे खाने से रात में बार-बार लघुशंका आ सकती है। दोपहर के खाने में दिन के दौरान इसे नाश्ते के रूप में या सलाद के रूप में खाना सबसे बेहतर है।
नारियल पानी
इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं। भोजन के साथ नारियल पानी का सेवन करने से सूजन और बेचैनी हो सकती है, क्योंकि यह पाचन में बाधा पैदा कर सकता है। नारियल पानी को खाली पेट पीना सबसे अच्छा माना जाता है।
तरबूज़
यह गर्मियों में खाया जाने वाला एक लोकप्रिय फल है। यह विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होता है। इसमें पानी की मात्रा भी ज़्यादा होती है। इसे खाने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है। हालांकि, खाना खाने के बाद तरबूज़ का सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि यह अन्य खाद्य पदार्थों के साथ मिलने पर आंत में किण्वन पैदा कर सकता है। तरबूज़ का सेवन खाली पेट या स्नैक के रूप में करना सबसे अच्छा होता है। रात में इसे कतई न खाएं।
ज्यादा पानी पीने के 4 साइड इफेक्ट्स
हाइपोनेट्रेमिया
ज्यादा पानी पीने की वजह से बॉडी में सोडियम का लेवल कम हो सकता है। इस स्थिति को ही हाइपोनेट्रेमिया कहा जाता है। दिल और किडनी से जुड़ी परेशानी वाले लोगों को हाइपोनेट्रेमिया का खतरा ज्यादा होता है।
मांसपेशियों में ऐंठन
बीएमजे में पब्लिश एक स्टडी में कहा गया है कि ज्यादा पानी पीने से खून में सोडियम और बाकी इलेक्ट्रोलाइट्स पतला हो जाता है, जिसकी वजह से शरीर में सोडियम का लेवल कम हो जाता है। शरीर में सोडियम का लेवल कम होने के कारण मांसपेशियों में ऐंठन जैसी शारीरिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
बार-बार पेशाब आना
ज्यादा पानी पीने से ज्यादा पेशाब आता है, क्योंकि जब आप ज्यादा पानी पीते हैं तो किडनी को लगातार काम करना पड़ता है। इसके अलावा, अध्ययनों से मालूम चलता है कि बार-बार पेशाब आना किडनी पर ज्यादा दबाव का कारण बनता है।
दस्त
ओवरहाइड्रेशन से हाइपोकैलिमिया या बॉडी में पोटेशियम के लेवल में कमी आती है। इसकी वजह से दस्त और काफी लंबे समय तक पसीना आता है। क्लीवलैंड क्लिनिक की वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाइपोकैलिमिया अक्सर सीधे डाइजेशन सिस्टम को प्रभावित करता है। यही वजह है कि उल्टी और दस्त जैसी पेरशानियां पैदा होती हैं।
ज्यादा पानी से दिमाग में सूजन
एक शोध में पाया गया है कि शरीर में ज्यादा मात्रा में पानी हो जाने पर सोडियम का लेवल तेजी से कम होने लगता है। सोडियम का स्तर घटने से मस्तिष्क में सूजन आ सकती है, जो कि एक खतरनाक स्टेज है। शोध में पाया गया है कि ज्यादा पानी पीने के कारण शरीर में असामान्य रूप से सोडियम कम होने लगता है इसलिए हाइपोट्रिमिया का खतरा बढ़ जाता है। सोडियम एक तरह का इलेक्ट्रोलाइट है, जो हमारे शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रित करता है।
किडनी पर भी बुरा प्रभाव
जरूरत से ज्यादा पानी पीने से ओवरहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। ओवरहाइड्रेशन का असर सीधा किडनी पर पड़ता है। दरअसल किडनियां ही हमारे शरीर में पानी को फिल्टर करने का काम करती हैं। अगर आप रोजाना ज्यादा मात्रा में पानी पीते हैं, तो किडनियों पर काम का बोझ ज्यादा पड़ता है, जिससे लंबे समय में किडनी फेल होने का भी खतरा हो सकता है।
पानी पीने से ऐसे बढ़ता है वजन
हमारा वजन तब बढ़ता है, जब शरीर में फैट जमा होता है। जमे हुए फैट सेल्स में पानी की मात्रा भी होती है। ऐसे में अगर आप जरूरत से ज्यादा पानी पीते हैं, तो किडनी पूरे पानी को शरीर से बाहर निकालने में सक्षम नहीं होती है। बचा हुआ पानी शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस बिगाड़ता है। इससे पानी शरीर में जमा हो जाता है और आपका वजन बढ़ जाता है। 24 घंटे में ही यह जमा हुआ पानी शरीर से निकल जाता है। हालांकि अगर आपको रोज ज्यादा पानी पीने की आदत है, तो मोटापे की समस्या हो सकती है।
इसलिए लगती है ज्यादा प्यास
आमतौर पर ज्यादा सोडियम और कम पोटैशियम के सेवन से बहुत ज्यादा प्यास लगती है। नमक सोडियम से बना होता है इसलिए ज्यादा नमक खाने वालों को ज्यादा प्यास लगती है। नमक कोशिकाओं (सेल्स) से पानी को बाहर निकालता है। ऐसे में अगर आप ज्यादा नमक खाते हैं, तो आपकी कोशिकाएं मस्तिष्क को जल्दी-जल्दी प्यास लगने का संकेत भेजने लगती हैं।
छूते भी नहीं पर यूं बर्बाद कर रहे हम अरबों लीटर पानी
पानी का इस्तेमाल सिर्फ खाने-पकाने और नहाने-धोने में ही नहीं होता है। इसका इस्तेमाल गेहूं, चावल, दाल यानी फसलों के उत्पादन और कपड़ा तैयार करने की प्रक्रिया में भी होता है। इसका मतलब है कि भले ही हम सीधे तौर पर पानी का इस्तेमाल करें या नहीं लेकिन रोजाना पानी की एक बड़ी मात्रा खर्च होती है। जिस पानी का हम सीधे तौर पर इस्तेमाल नहीं करते हैं अंग्रेजी में उसके लिए वर्चुअल वॉटर टर्म का इस्तेमाल होता है। हिंदी में हम इसके लिए आभासी जल का इस्तेमाल कर सकते हैं। वॉटरऐड नाम की एक गैरलाभकारी संस्था के सर्वे में पानी को लेकर एक सर्वे किया गया है। इस सर्वे में सबसे बड़ी बात यह सामने आई कि भले ही हम सीधे तौर पर बहुत कम पानी का इस्तेमाल करते हों लेकिन उसका कई गुना ज्यादा आभासी जल का इस्तेमाल होता है। आइए क्या कहता है यह सर्वे जानते हैं...
—दुनिया के भूमिगत जल का 24 फीसदी अकेले भारत इस्तेमाल करता है। यानी भारत दुनिया में भूमिगत जल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। साल 2000 से 2010 के बीच भारत में भूमिगत जल के घटने की दर 23 फीसदी बढ़ गई है।
—वैसे तो कई विकसित देशों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति पानी का इस्तेमाल बहुत कम है। लेकिन बड़ी आबादी वाले उन देशों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति रोजाना पानी का इस्तेमाल काफी है जहां बड़ी आबादी जल संकट का सामना करती हैं। भारत में एक व्यक्ति औसत रूप से 3000 लीटर पानी का इस्तेमाल करता है। इस 3,000 लीटर में आभासी जल की बड़ी मात्रा शामिल है। भारत में शहरों और गांव में रहने वाले लोगों के लिए रोजाना इस्तेमाल होने वाले पानी की मात्रा निर्धारित की गई है। शहरों के लिए 150 लीटर और गांवों के लिए 55 लीटर रोजाना। इस तरह हम देखें तो भारत का हर व्यक्ति शहर के लिए निर्धारित प्रति व्यक्ति रोजाना जल इस्तेमाल के मुकाबले में 20 गुना ज्यादा और गांवों के लिए निर्धारित मात्रा के मुकाबले करीब 50 गुना ज्यादा पानी इस्तेमाल करता है।
—आभासी जल का इस्तेमाल किस पैमाने पर होता है, उसका अंदाजा इस उदाहरण से लगा सकते हैं। अगर चार सदस्यों वाले एक परिवार में रोजाना 1 किलोग्राम चावल का इस्तेमाल होता है तो वहां करीब 84,600 लीटर पानी की खपत होती है। भारत की दो मूल फसलें चावल और गेहूं में सर्वाधिक पानी का इस्तेमाल होता है। अगर चावल और गेहूं की जगह मक्का, बाजरा, चारे आदि का उत्पादन ले ले तो पानी की खपत एक तिहाई कम हो जाएगी।
—साल 2014-15 में भारत ने 37.2 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया। चावल की इतनी मात्रा के उत्पादन में करीब 10 हजार अरब लीटर पानी का इस्तेमाल होता है। इसा मतलब है कि भारत ने परोक्ष रूप से 10 हजार अरब लीटर पानी का निर्यात कर दिया। दुनिया भर के पानी इस्तेमाल का 22 फीसदी पानी निर्यात के लिए उगाई जाने वाली फसलों में खपत होता है।
—इंग्लैंड में प्रति व्यक्ति रोजाना 3,400 लीटर पानी की जरूरत होती है। इस 3,400 लीटर में सीधे इस्तेमाल के लिए खपत होने वाले जल और आभासी जल, दोनों की मात्रा शामिल है। लेकिन इंग्लैंड के पास इसके आधे से भी कम जल है। इसका मतलब है कि इंग्लैंड अपने यहां इस्तेमाल होने वाले आभासी जल की 75 फीसदी मात्रा आयात करता है। यह गेहूं, चावल आदि के आयात के रूप में होता है। ग्राफ की मदद से इसको और स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।
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