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क्या आपका बच्चा छिपाने लगा हैं आपसे बातें, ये पेरेंटिंग टिप्स करेंगे आपकी मदद

SANTOSI TANDI
13 Aug 2023 7:41 AM GMT
क्या आपका बच्चा छिपाने लगा हैं आपसे बातें, ये पेरेंटिंग टिप्स करेंगे आपकी मदद
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ये पेरेंटिंग टिप्स करेंगे आपकी मदद
पेरेंट्स अपने बच्चों को छोटी सी उम्र ही में अच्छी आदतें सिखाना शुरू कर देते हैं और इनमें से एक है सच बोलना सिखाना। बचपन में बच्चे पैरेंट्स के सबसे ज्यादा क्लोज होते हैं। ऐसे में बच्चे माता-पिता से रोजमर्रा की हर छोटी बड़ी बात शेयर करते हैं मगर कई बार बढ़ती उम्र के साथ बच्चे पैरेंट्स से बातें छुपाना भी शुरू कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चों के झूठ बोलने की आदत के पीछे कहीं न कहीं पेरेंट्स का हाथ होता है। झूठ बोलना और बातें छिपाना दो ऐसी आदतें हैं, जो बच्चे घर के माहौल में ही सीखते हैं। ऐसे में आपको यह समझने की जरूरत हैं कि अपने और अपने बढ़ती उम्र के बच्चों के बीच में कभी भी इतनी दूरियां ना आने दें वो आपसे बातें छुपाने लगें क्योंकि यह कई बार उनके लिए बड़ी परेशानी बन सकता हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ ऐसे पेरेंटिंग टिप्स लेकर आए हैं जिनपर ध्यान देकर आप बच्चों के मन की सारी बातें जान सकते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...
सच बोलना सिखाएं
बच्चों को बचपन से ही सच बोलना सिखाएं। अगर बच्चा कभी आपके सामने झूछ बोलता है, तो उसे समझाएं कि ऐसा करना गलत है और खुद भी यह समझने का प्रयास करें कि बच्चे को आपके सामने झूठ क्यों बोलना पड़ा। उसकी परिस्थितियों को समझने के बाद उसे ये बात समझाएं कि हमेशा सच बोलना चाहिए। कई बार पैरेंट्स बच्चों के सामने दूसरों से झूठ बोलते हैं। ऐसे में बच्चे भी पैरेंट्स से ये बुरी आदत सीख लेते हैं। वहीं खुद से गलती होने पर बच्चे माता-पिता से झूठ बोलने लगते हैं, इसलिए बच्चों के आगे झूठ बोलने से बचें और बच्चों को भी हमेशा सच बोलने की शिक्षा दें।
बच्चे के साथ अच्छा रिश्ता बनाएं
किसी भी पेरेंट्स के लिए अपने बच्चे के साथ एक स्ट्रॉन्ग रिश्ता बनाना बेहद जरूरी है। अगर आपका और बच्चे का रिश्ता मजबूत नहीं है, तो बच्चा आपके साथ बात करने में कंफर्टेबल महसूस नहीं करेगा और आपसे बात छुपाने लगेगा। अगर आप बच्चे की यह आदत छुड़ाना चाहते हैं, तो आप बच्चे के साथ अच्छा रिश्ता बनाएं।
बच्चों के साथ पर्याप्त समय बिताएं
बच्चों का दोस्त बनने का सबसे आसान तरीका है उन्हें पर्याप्त समय देना। हालांकि, आजकल के ज्यादातर माता-पिता दोनों ही वर्किंग होते हैं, ऐसे में बच्चों को अकेले रहने की आदत पड़ जाती है। इसलिए पेरेंट्स को अपने व्यस्त कार्यक्रम से कुछ समय निकालकर बच्चों के साथ समय व्यतीत करना चाहिए। यदि आप उनके साथ समय नहीं बिता पा रही है, तो यह आपके बच्चों के मन में एक गलत अवधारणा बना सकता है। ऐसे में उनके साथ बैठे और उनसे बातचीत करने की कोशिश करें।
जबरदस्ती करने से बचें
कई बार पैरेंट्स बच्चों से जबरदस्ती हर बात जानने की कोशिश करते हैं, जिससे बच्चे और ज्यादा सतर्क हो जाते हैं और पैरेंट्स को किसी बात की भनक नहीं लगने देते हैं। ऐसे में बच्चे के पास बैठकर डेली रूटीन से जुड़े सवाल करें। इससे बच्चा आपसे कोई बात नहीं छुपाएगा।
बच्चों को लेकर ओवरप्रोटेक्टिव न रहें
बच्चों के ग्रोथ को लेकर जागृत रहना बहुत जरूरी है। साथ ही इस बात का ध्यान रखना भी की क्या वह एक सही दिशा में जा रहे हैं या नहीं। परंतु इन सब के बीच उनको लेकर ओवरप्रोटेक्टिव हो जाना भी गलत है। कभी-कभी बच्चों को निर्णय लेने की आजादी दें। वह गलतियां करेंगे और खुद ब खुद उन गलतियों से सीखेंगे। ऐसा करने से उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ता है। अन्यथा उन्हें आपकी बताई गई चीजों पर चलने की आदत हो जाएगी और आगे चलकर यही बातें उनके ग्रोथ पर भारी पड़ सकती है।
गुस्से को करें अवॉयड
कुछ पैरेंट्स का स्वभाव काफी गुस्सैल होता है। ऐसे में पैरेंट्स अक्सर बच्चों को बिना बात के डांटते और फटकारते रहते हैं। वहीं बच्चे भी माता-पिता के गुस्सा होने के डर से उनसे कोई बात नहीं बताते हैं, इसलिए अपने गुस्से को कंट्रोल करें, जिससे बच्चे आपसे फ्रैंक हो सकेंगे।
भरोसा दिलाएं कि आप साथ हैं
कई बार बच्चे सीक्रेट्स या बातें इसलिए छिपाते हैं क्योंकि उन्हें यह डर लगता है कि उनकी बात सामने आने पर आप उन्हें डाटेंगे या मारेंगे। ऐसे में आपको उन्हें हमेशा ये भरोसा दिलाते रहना चाहिए कि आप उनकी दोस्त की तरह हैं और आप हर परिस्थिति में उनके साथ खड़े हैं। ऐसा न करने पर बच्चा एक बार झूठ बोलेगा, तो धीरे-धीरे उसकी आदत बनती जाएगी।
एक अच्छी श्रोता बनें
एक अच्छे श्रोता बनने का मतलब यह है कि यदि आपका बच्चा किसी तरह की गलती कर दें, तो ऐसे में उन्हें डांटने और उनकी गलतियां बताने से पहले आखिर उन्होंने यह गलती कैसे और क्यों कर दी इस बात को शांति से सुनने और समझने की कोशिश करें। यदि मां-बाप केवल अपनी सुनाते हैं और बच्चों की बातों को बिल्कुल भी तबस्सुम नही देते ऐसे में बच्चे डर जाते हैं और आपसे कुछ भी बताने से पहले सौ बार सोचते हैं। इसलिए एक बेहतर श्रोता होना ही एक अच्छे दोस्त की निशानी है।
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