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सर्दियां आ गई हैं, ख़ासकर उत्तर भारत में रिकॉर्ड तोड़ ठंड पड़ रही है. जैसा कि आशंका थी, ठंड बढ़ते ही नीचे पहुंचे चुके कोरोना ने दोबारा अपनी हलचल तेज़ कर दी है. लॉकडाउन तक जहां हवा भी काफ़ी साफ़ थी, गाड़ियों के फिर से सड़क पर आते ही ज़हरीली हो गई है. जहां हर वर्ष सर्दियों में रेस्पिरेटरी सिस्टम से संबंधित बीमारियां जानलेवा साबित होती थीं, इस साल कोरोना वायरस ने अपने इसे और भी ख़तरनाक बना दिया है. कितना ख़तरनाक है प्रदूषण और कोरोना वायरस का कॉम्बिनेशन? और किस तरह इनसे बचा जा सकता है, बता रहे हैं डॉ सौरभ अरोड़ा, जिन्होंने एरब्रो फ़ार्मास्यूटिकल्स के लिए स्नेक30 ईज़ाद किया है.
समस्या बड़ी है, समाधान छोटा-सा है
श्वसन प्रणाली की बीमारियों और कोरोना के ख़तरे से हम सभी परिचित हैं. आप कहेंगे समस्या की जानकारी देने से भला क्या होगा, हमें समाधान चाहिए. समाधान के रूप में मास्क का इस्तेमाल तो हम सभी कर ही रहे हैं, पर इससे पूरी तरह हम सुरक्षित तो नहीं हो जाते. हमें अपने शरीर को सुरक्षित बनाना है तो उसे अंदर से मज़बूत बनाना होगा. और यह होगा अपनी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर. इस काम में मदद करने के लिए हमारे भारतीय मसाले बड़े काम के साबित होते हैं. अपने अद्भुत औषधीय गुणों के लिए मशहूर मसालों में एक है हल्दी. त्वचा देखभाल और घावों की हीलिंग में हल्दी की भूमिका से हम सभी परिचित हैं ही. कई ब्यूटी प्रॉडक्ट्स और दवाइयों में हल्दी को ऐक्टिव इंग्रीडिएंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है. हमारी कई रेसिपीज़ भी तो हल्दी के बिना अधूरी ही रहती हैं.
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में भी हल्दी आपकी मदद कर सकती है, क्योंकि कोरोना वायरस का सबसे अधिक प्रभाव हमारे फेफड़ों पर पड़ता है, वहीं हल्दी में मौजूद करक्युमिन अपने ऐंटी-इन्फ़्लेमेटरी गुणों से फेफड़ों को मज़बूत बनाता है, उन्हें इन्फ़ेक्शन्स से दूर रखता है. हल्दी के सेवन से इम्यूनिटी बढ़ती है, हमारे फेफड़े क्रोनिक (पुरानी) और एक्यूट (नई) बीमारियों से बचे रहते हैं. इतना ही नहीं हमारे हार्ट के हेल्थ को भी हल्दी से बूस्ट मिलता है. कई अध्ययन यह साबित कर चुके हैं कि हल्दी शरीर को कई तरह के इन्फ़ेक्शन्स से बचाने में कारगर है.
क्यों सर्दियों में ज़रूरी हो जाता है करक्युमिन का सेवन?
हल्दी के प्रमुख घटक करक्युमिन के फ़ायदों पर अब तक दुनियाभर में कई शोध हो चुके हैं, जिनमें यह साबित हो चुका है कि यह एक जादुई घटक है. मसलन लंग कैंसर के ट्यूमर की वृद्धि को धीमा करने में करक्युमिन बेहद प्रभावशाली साबित हुआ है. इतना ही नहीं, यह डायबिटीज़ और आर्थराइटिस के मरीज़ों के लिए भी लाभदायक साबित होता है. एक्यूट रेस्पिरेटरी और पल्मोनरी इंजरीज़ और अस्थमा में भी करम्युमिन से काफ़ी राहत मिलती है.
हल्दी की सबसे अच्छी बातों में एक यह भी है कि इसका सेवन बच्चे-बड़े सभी कर सकते हैं, यानी इसके लिए कोई एज ग्रुप का बंधन नहीं है. आपको याद ही होगा कि चोट लगने या शरीर में दर्द होने पर हमें हल्दी वाला दूध पीने को दिया जाता रहा है. मौजूदा स्थिति को देखते हुए हमें इन्फ़ेक्शन से बचने के इस पारंपरिक और सस्ते-सुलभ तरीक़े की और लौटना चाहिए.
प्रदूषण के साइड इफ़ेक्ट्स और कोराना वायरस के ख़तरे दोनों ही स्थितियों में आपके फेफड़ों पर हमला हो सकता है, ऐसे में आपको अपने फेफड़ों को तैयार रखना चाहिए. तो इन सर्दियों में बाहर जाते समय मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करें, सेनेटाइज़ेशन के महत्व को समझें और सबसे ज़रूरी ख़ुद को अंदर से मज़बूत बनाएं. इस महामारी ने हम सभी की ज़िंदगी को कुछ समय के लिए थाम कर, हमें दोबारा नैचुरल और ट्रेडिशनल चीज़ों की ओर मोड़ा है. किचन में सबसे अधिक इस्तेमाल होनेवाले मसालों में एक हल्दी के महत्व को समझाया है. तो इन ठंडियों में अपनी सेहत का ज़िम्मा हल्दी के हाथों में सौंपकर आप कुछ निश्चिंत तो हो ही सकते हैं. बेशक, हल्दी कोरोना वायरस की दवाई तो नहीं है, पर उससे बचने का, ख़ुद को अंदर से मज़बूत बनाने का एक सुरक्षित और सुलभ विकल्प तो है ही.
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Kajal Dubey
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