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जनता से रिश्ता बेबडेस्क | अक्सर महिलाएं शौक या मामूली आदत मानते हुए घर पर या फिर ऑफिस में बैठे-बैठे या कुछ लिखते समय उंगलियां चटकाती है । भले ही उंगुलियों के चटकने के बाद हाथों को काफी आराम मिलता है, लेकिन क्या आप जानती हैं कि आपका ये शौक आपको गंभीर बीमारी का शिकार बना सकता है। इस आदत कोई किसी को सिखाता भी नहीं है। तो ऐसे में सवाल उठता है कि ये आदत कैसे पड़ती है? दरअसल उंगलियों को चटकाने से जोड़ों के आस-पास की मसल्स और हाथों को आराम मिलता है। इसलिए ज्यादातर महिलाएं लिखते-पढ़ते या ऑफिस व अन्य जगह में बैठे-बैठे ही उंगलियां चटकाने लगती हैं, क्योंकि ऐसा करने से उन्हें आराम मिल जाता है।
ध्यान देने वाली बात ये है की उंगलिया चटकने से ये सभी नुक्सान हो सकते है जैसे की उंगलियों को चटकाने से हडि्डयों बुरा प्रभाव पड़ता है। हाथ, पैर की उंगलियां चटकाने से काम करने की क्षमता कमजोर होती है। इसलिए उंगलियां चटकाने की आदत को छोड़ना होगा। उंगलियों के जोड़ और घुटने के जोड़ों में सिनोवियल फ्लूइड लिक्विड पाया जाता है। यह लिक्विड हड्डियों को जोड़ने में मददगार है। यह लिक्विड हमारी हडि्डयों के जोड़ों में ग्रीस का काम करता है। यह लिक्विड हडि्डयों को एक दूसरे से रगड़ खाने से रोकता है।
उस लिक्विड में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड नई जगह बनाती जिससे हड्डियों मे बुलबुले बन जाते हैं। जब उंगलियों को चटकाते हैं तो वही बुलबुले फूटते हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि उंगलियों के बार-बार चटकाने से सिनोवियल फ्लूइड लिक्विड कम होने लगता है। सिनोवियल फ्लूइड लिक्विड के ख़त्म होने से अर्थराइटिस हो सकता है और जोड़ों को बार-बार खींचने से हडि्डयों की पकड़ भी कम हो सकती है। इसलिए उंगलियां चटकाने से बचे।उंगलियां चटकाने से हाथ में सॉफ्ट टिश्यूज में सूजन आ सकती है। लंबे समय से उंगलियां चटकाने का बुरा असर पड़ सकता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी ने इस पर रिसर्च करके बताया है कि इस तरह से उंगलियों को चटकाने से हड्डियां कमजोर होती हैं।
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