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प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ 'सुश्रुत संहिता' में सर्वश्रेष्ठ फलों में शामिल है चकोतरा

Ritisha Jaiswal
17 Aug 2022 8:28 AM GMT
प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ सुश्रुत संहिता में सर्वश्रेष्ठ फलों में  शामिल है चकोतरा
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चकोतरा (Pomelo, Citron) एक शानदार फल है. इसकी जबर्दस्त खटास और हल्का मीठापन दिल की मांसपेशियों (Heart Muscles) को मजबूत रखता है

चकोतरा (Pomelo, Citron) एक शानदार फल है. इसकी जबर्दस्त खटास और हल्का मीठापन दिल की मांसपेशियों (Heart Muscles) को मजबूत रखता है और उसको अवरोधों से भी बचाता है. इसका सेवन शरीर को बेड कोलेस्ट्रॉल से दूर रखता है. यह शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है. अगर हम कहें कि दिल के लिए रामबाण है चकोतरा, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. यह भारत का नहीं है लेकिन उसके 'करीब' है. आयुर्वेद में इसके कई गुण दर्शाए गए हैं और बताया गया है कि शराबी को खिला दो तो उसका नशा काफूर हो जाएगा.

झाड़-फूंक में इस्तेमाल होती हैं इसकी पत्तियां
वनस्पतिशास्त्री चकोतरा को नींबू वंशी तो मानते हैँ लेकिन उनका कहना है कि यह फल अंगूर का पूर्वज है. उनका कहना है कि इन दोनों की जीन एकसमान हैं. भारत में यह अधिकतर पहाड़ी इलाकों में पैदा होता है ओर इसका समयकाल कम होता है. पुराने समय से ही लोगों को इसके गुणों की जानकारी मिल चुकी थी, इसलिए इसके पेड़ के फूलों, पत्तियों, छिलकों का भी विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग होता है. तब चीन के लोग विभिन्न अनुष्ठानों में इसका उपयोग करते थे, जबकि इसके सफेद फूलों से इत्र भी बनाया जाता है. भारत के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पत्तियों का प्रयोग झाड़-फूंक के लिए भी किया जाता है. विश्वास किया जाता है कि इससे बुरी आत्माएं दूर हो जाती हैं.
दो हजार साल से अधिक समय से उग रहा है
चकोतरा की उत्पत्ति की बात करें तो माना जाता है कि सबसे पहले इसका पेड़ और आहार के रूप में इसका प्रयोग मलेशिया और इंडोनेशिया द्वीपसमूह में हुआ. लेकिन इसका समयकाल चिन्हित नहीं है. अमेरिकी-भारतीय वनस्पति विज्ञानी सुषमा नैथानी का भी कहना है कि चकोतरा की उत्पत्ति का केंद्र सियाम-मलय-जावा है और यह भारत और चीन के सीमावर्ती क्षेत्र हैं. विशेष बात यह है कि इस फल के मूल उत्पत्ति केंद्रों में इसका समयकाल वर्णित नहीं है, जबकि भारत और चीन का इतिहास इसका समयकाल भी बताता है.
शराबी को खिला दो मिनटों में उसका नशा काफूर
भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ 'सुश्रुत संहिता' में भारत में सर्वश्रेष्ठ फलों में चकोतरा (मातुलुंग) भी शामिल किया गया है. इन फलों में अनार, खजूर, अंगूर आदि शामिल हैं. इस फल को पाककला में भी उपयोगी कहा गया है. अन्य आयुर्वेदिक ग्रंथ 'चरकसंहिता' में इसकी एक हैरान करने वाली विशेषता बताई गई है कि जिस व्यक्ति ने अत्यधिक मदिरा (शराब) का सेवन कर लिया है तो मातुलुंग को खिलाने से उसका नशा काफूर हो जाएगा. इसे वात-कफ को रोकने वाला, हिचकी, खांसी, उल्टी में लाभकारी भी बताया गया है. ग्रंथ में इसके छिलके व बीजों के गुणों की भी जानकारी दी गई है.
के फायदे भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी बताए गए हैं.
आधुनिक संदर्भ में चकोतरे का विश्लेषण किया जाए तो संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग (USDA) के अनुसार एक सामान्य चकोतरे में 231 कैलोरी, फाइबर 6.09 ग्राम, प्रोटीन 4.63 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 58.6 ग्राम, विटामिन सी 371 मिलीग्राम और पोटेशियम 1320 मिलीग्राम पाया जाता है.
बेड कोलेस्ट्रॉल भी दूर करता है इसका सेवन
फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार चकोतरे में इसके अलावा और भी विटामिन्स व मिनरल्स पाए जाते हैं, तभी तो यह दिल के लिए रामबाण है. इसकी जबर्दस्त खटास और हल्का मीठापन दिल की मांसपेशियों को मजबूत रखती है, उसको अवरोधों से भी बचाता है. इसका सेवन शरीर को बेड कोलेस्ट्रॉल से दूर रखता है. यह शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है. इसमें मौजूद फाइबर पाचन सिस्टम तो सुधारता ही है, साथ ही वजन घटाने में भी सहायक है. माना जाता है कि चकोतरे के एंटीऑक्सीडेंट गुण कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में भी मदद करता है.
यह शरीर का डायरिया से भी बचाव करता है. इसका नियमित लेकिन संतुलित सेवन चमत्कारिक रूप से शरीर की इन्युनिटी भी बूस्ट करता है. इसमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा एनीमिया के खिलाफ काम करती है. इसमें पाए गए रसायन यूरिन सिस्टम में इन्फेक्शन को भी रोकते हैं.
कुछ दवाएं ले रहें हो तो अतिरिक्त सावधानी बरतें
इसका अधिक सेवन परेशानी का कारण बन सकता है. दूसरे, अगर आपको कुछ बीमारियां है और आप इसके लिए दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो चकोतरे का सेवन ध्यानपूर्वक करें. इसके अंदर मौजूद तत्व दवाओं के असर को कम या खत्म कर सकते हैं. अगर एलर्जी की समस्या है तो इसे खाने से परहेज करें. इसका अधिक मात्रा में सेवन पेट में एसिड का स्तर खतरनाक लेवल तक बढ़ा सकता है.


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