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लड़कियों को शादी से पहले ये 4 बातें नहीं सोचनी चाहिए, जानें वजह

Kunti Dhruw
30 Aug 2021 1:57 PM GMT
लड़कियों को शादी से पहले ये 4 बातें नहीं सोचनी चाहिए, जानें वजह
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शादी को व्यक्ति की नई जिंदगी कहा जाता है।

शादी को व्यक्ति की नई जिंदगी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह इसके जरिए खुद का परिवार बनाता है और पीढ़ी को आगे बढ़ाता है। इस नए कदम को रखते हुए उसके मन में कई तरह की भावनाएं आती हैं। खासतौर से महिलाएं मिक्स्ड इमोशन्स फील करती हैं, क्योंकि एक ओर जहां वह अपनी गृहस्थी बसाने जा रही होती है, तो दूसरी ओर उनका अपना घर पीछे छूटने वाला होता है। ऐसा होना बेहद स्वाभाविक है। हालांकि, कुछ विचार ऐसे होते हैं, जो किसी भी लड़की को अपने दिमाग में नहीं लाना चाहिए, नहीं तो इसका असर उसकी शादीशुदा जिंदगी पर पड़ता है।

शादी का दिन परफेक्ट होना चाहिए
शादी का दिन हर दुल्हन परफेक्ट ही चाहती है, लेकिन इसे बहुत ज्यादा दिल से न लगाकर रखें। वेडिंग जैसे मौके पर कुछ न कुछ ऐसा होता ही है, जो प्लान से अलग होता है। ऐसे में उस दौरान अगर आप टू मच परफेक्शन के चक्कर में इन चीजों को लेकर अपसेट हो जाएंगी तो अपने स्पेशल डे को इंजॉय ही नही कर सकेंगीं। इसकी जगह बस ये सोचें कि सबकुछ अच्छे से और शांति से हो जाए और आप अपनी नई जिंदगी को खुशी से शुरू कर पाएं।
क्या वो नाराज होंगे?
ये सोचना कि आप हर एक व्यक्ति को खुश कर पाएं वो भी शादी जैसे मौके पर ये लगभग नामुमकिन सा है। कोई न कोई मेहमान ऐसा होता ही है, जो असंतुष्ट रहता है। ऐसे में वेडिंग डे के लिए दूसरों की खुशी को लेकर प्लान्स बनाने से बेहतर है कि आप अपनी हैपीनेस पर ध्यान दें। अपना ख्याल रखें और खुद से जुड़ी चीजों पर ही फोकस करें। बाकी रिश्तेदारों आदि की चिंता अपने परिवार पर छोड़ दें।
ससुराल में पता चलेगा
अक्सर लड़कियों को शादी से पहले अन्य महिलाएं डराने वाले अंदाज में टीज करती हैं और 'मायके में तो चल गया, अब ससुराल में नहीं चलेगा' जैसी बातें करती हैं। इस तरह की चीज उनके लिए मजाक होती हैं, तो वहीं होने वाली दुल्हन के दिल में ये अजीब सा डर पैदा कर देती हैं। इस डर को अपने विचारों पर हावी न होने दें। इसकी जगह पॉजिटिव सोचें और हैपी वाइब्स को आने दें।
सास ऐसी मिली तो
लड़कियों के लिए शादी का सबसे बड़ा डर होने वाली सास होती है। इस रिश्ते को हमेशा से ही नेगेटिव लाइट में ही पेश किया जाता है। हालांकि, आप ऐसा न करें। पहले से कोई धारणा न बनाएं। इसकी जगह ये सोचें कि आप कैसे उन्हें अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाते हुए वैसी केयर दे सकती हैं, जैसी आप अपने पैरंट्स को देती हैं।
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