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क्या आपको बात-बात पर गुस्सा आता है, क्या आप एक पल में खुश और दूसरे ही पल में निराश हो जाते हैं, क्या बार-बार आपका मूड बदलता रहता है, क्या आपको भी लगता है कि आप डिप्रेशन में है..अगर हां तो आपको संभलने की जरूरत है क्योंकि ये डिस्थीमिया डिसऑर्डर (Dysthymic Disorder) के साइन हैं. डिस्थीमिया को परसिस्टेंस डिप्रेसिव डिसऑर्डर भी कहते हैं. इसका शिकार होने पर आप किसी भी काम को ज्यादा देर तक एंजॉय नहीं कर पाते हैं. इसकी वजह से लोगों से मिलना-जुलना कम कर देते हैं और ज्यादातर अकेले रहना ही पसंद करते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा तो डिप्रेशन में भी होता है, फिर इसे डिस्थीमिया क्यों कहते हैं. आइए जानते हैं डिस्थीमिया के बारें में वो हर बात जो जानना जरूरी है...
डिस्थीमिया क्या है
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, डिस्थीमिया एक तरह का मूड डिसऑर्डर है. यह एक तरह का माइल्ड डिप्रेशन है और डिप्रेसिव डिसऑर्डर की तरह इसके भी कोई गंभीर लक्षण नजर नहीं आते हैं. यही कारण है कि इसे परसिस्टेंस डिप्रेसिव डिसऑर्डर(PDD) भी कहते हैं. लंबे समय तक चलने वाली इस समस्या की चपेट में आने के बाद कोई भी व्यक्ति डिप्रेस्ड या लो मूड यानी उखड़ा-उखड़ा रहता है.
डिस्थीमिया के लक्षण
यह मूड डिस्टर्बेंस की ऐसी समस्या है, जो काफी समय तक रह सकती है. यह डिप्रेशन की तरह ही होता है लेकिन उससे ज्यादा गंभीर होता है. ज्यादातर समय मूड ऑफर रहना, निराशा, थकान, लो एनर्जी, ध्यान का न लगना, निर्णय लेने में मुश्किल होना, गुस्सा आना, भूख या वजन में बदलाव, नींद न आना और किसी चीज में मन न लगना, इसके लक्षण हैं.
डिस्थीमिया का कारण
डिस्थीमिया का मुख्य कारण क्या है, इसको लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता है. एक्सपर्ट का भी यही मानना है. हालांकि कुछ रिसर्च में बताया गया है कि यह जेनेटिक, एनवायरमेंटल और बायलॉजिकल फैक्टर की वजह से हो सकता है. किसी तरह की मानसिक बीमारी या डिप्रेशन या मानसिक बीमारी की कोई फैमिली हिस्ट्री ट्रॉमा, अब्यूज़, कोई स्ट्रेसफुल इवेंट, ब्रेन केमिस्ट्री इंबैलेंस, पुरानी बीमारी या शारीरिक दर्द और नशीली चीजों के सेवन से भी डिस्थीमिया होने का जोखिम रहता है. यह किसी भी उम्र में हो सकता है.
डिस्थीमिया का इलाज
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, यह एक क्रॉनिक कंडीशन है, लेकिन अगर समय रहते इसके लक्षणों की पहचान हो जाए तो सही इंटरवेंशन की मदद से इसका इलाज हो सकता है. हालांकि, यह ठीक ही हो जाएगी, इसकी गारंटी भी नहीं है. फिर भी कुछ बातों का ध्यान रखकर इससे बाहर निकला जा सकता है...
डॉक्टर की सलाह
दवा और साइकोलॉजिस्ट की मदद
लाइफस्टाइल में बदलाव कर
रोजाना एक्सरसाइज, सही डाइट
अच्छे थेरेपिस्ट की मदद ले सकते हैं
किसी के डिप्रेशन का मजाक न बनाएं, उससे बात करें.
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Apurva Srivastav
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