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करवा ले ये 10 टेस्ट, बीमारियों से रहेंगे दूर

suraj
20 May 2023 11:58 AM GMT
करवा ले ये 10 टेस्ट, बीमारियों से रहेंगे दूर
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ई दिल्ली: हम सभी अपने परिवार और दोस्तों की सेहत को लेकर चिंतित रहते हैं। लेकिन जब बात खुद के स्वास्थ्य की आती है, तो हम सबसे ज्यादा लापरवाही यहीं बरतते हैं खासतौर से महिलाओं में ये ज्यादा देखने को मिलता है। जैसे काम और निजी जीवन के बीच एक संतुलन बनाना जरूरी है, वैसे ही दूसरे रिश्तों के साथ खुद को प्राथमिकता देना भी आवश्यक है।
खुद के देखभाल की शुरुआत सेहत पर ध्यान देने से होती है। इसके लिए जरूरी है कि आप अपना रूटीन चेकअप करवाएं और जरूरत पड़े तो कुछ जरूरी टेस्ट भी करवाएं, जिससे आपके शरीर के अंद्रूनी परिस्थिती का अंदाजा लगाया जा सके। हम आपको ऐसे ही 10 टेस्ट्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें आपको करवाना चाहिए ताकि समय रहते संभावित परेशानियों से बचा जा सके।
हाइपरटेंशन (हाई बीपी)
भागदौड़ भरी जिंदगी में पुरुष हो या महिला समय-समय पर बीपी की जांच करवाना सभी के लिए आवश्यक है। इसे नजरअंदाज करने से व्यक्ति हाइपरटेंशन की चपेट में आ सकता है। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं (खासतौर से 35 की उम्र) नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाती रहें। 120/80 को नॉर्मल ब्लड प्रेशर माना जाता है।
डायबिटीज
डायबिटीज महिलाओं में ऐसे हेल्थ कॉम्प्लिकेशन्स पैदा कर सकता है, जिसका असर लंबे समय तक अलग-अलग फेज़ में नजर आता है। खासतौर से प्रेग्नेंसी, पोस्टपार्टम, स्तनपान और मेनोपॉज के दौरान। डायबिटीज को डायग्नोस करने के लिए ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं, जैसे कि फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज (FPG) टेस्ट, ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (OGTT) और ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c) टेस्ट करवा सकते हैं।
थायरॉयड
थायरॉयड की जांच महिलाओं के लिए काफी जरूरी है। हालांकि, अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। थायरॉयड ग्लैंड के फंक्शन्स की समय रहते जांच की जाती है, जो स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकते हैं। कभी-कभी अचानक वजन बढ़ना या वजन कम होना थायरॉयड के भी संकेत हो सकते हैं। इसे सुनिश्चित करने के लिए कुछ टेस्ट्स करवाने जरूरी हैं, जिनमें TSH (थायरॉयड -स्टिमुलेटिंग हार्मोन) टेस्ट या T4 (थायरोक्सिन) टेस्ट या फिर थायरॉयड प्रोफ़ाइल का संपूर्ण जांच करवाना शामिल है।
कोलेस्ट्रॉल
समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल टेस्ट करवाते रहने से आपके शरीर में अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का अंदाजा लगता रहता है। हाई कोलेस्ट्रॉल होने से एक उम्र में दिल की समस्याओं और यहां तक कि स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है क्योंकि ये ब्लड वेसेल्स में जमा हो जात है। ऐसे में 30 की उम्र पार करने के बाद सामान्य कोलेस्ट्रॉल वाले व्यक्ति को भी हर 5 साल में एक बार इसकी नियमित जांच करवाते रहना चाहिए। वहीं जिन लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल या उसका खतरा अधिक होता है उन्हें हर 6 महीने में नियमित जांच करानी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल टेस्ट के लिए आपको 12 घंटे तक खाली पेट रहने की जरूरत होती है।
विटामिन डी
शरीर के सभी अंगों की तरह हड्डियों का हेल्दी रहना भी बेहद जरूरी है, जिसके लिए शरीर में विटामिन D का भरपूर मात्रा में होना जरूरी है। विटामिन डी इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ-साथ डायबिटीज, हार्ट डिजीज और कुछ तरह के कैंसर जैसी बीमारियों से सुरक्षा करने में मदद कर सकता है। इसलिए शरीर में विटामिन डी के लेवल की जांच करवाते रहना बेहद जरूरी है। महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ ही विटामिन डी कमी होने लगती है, जिससे शरीर में दर्द हो सकता है, बार-बार फ्रैक्चर होने का खतरा रहता है और हड्डियों की डेंसिटी कम होने लगती है। इसलिए समय-समय पर इसकी जांच कराने की सलाह दी जाती है।
पैप स्मीयर
समय रहते सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास नियमित रूप से जांच करवाते रहना चाहिए। इसमें पैप स्मीयर टेस्ट शामिल है। महिलाएं एचपीवी (HPV) वैक्सीन लगवाकर इस जानलेवा बीमारी के खतरे से बच सकती हैं। ये वैक्सीन 14 साल से कम उम्र की लड़कियों को दो खुराक में दी जाती है। इस अलावा जिन महिलाओं को ये वैक्सीन लग चुकी है और वो 21 साल से अधिक उम्र की हैं या जो 3 साल से कम समय से यौन रूप से सक्रिय हैं, उन्हें अभी भी पैप स्मीयर टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है।
मैमोग्राम
स्तन कैंसर भारत में कैंसर से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है, जिसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है। डॉक्टर्स भी हर महिला को इसकी नियमित स्क्रीनिंग से गुजरने की सलाह देते हैं। 40 या उससे अधिक उम्र वालों को हर साल मैमोग्राम जांच कराना चाहिए। शक होने पर आप एक्स्पर्ट्स से मिलने की सलाह दी जाती है, जिससे वो गांठ, दर्द या डिस्चार्ज जैसी परेशानी की पहचान करके समय रहते इसका इलाज कर सकते हैं।
एलर्जी
पुरुषों और महिलाओं दोनों में एलर्जी को डायग्नोस करने के लिए एलर्जेन-स्पेसिफिक आईजीई (Allergen-Specific IEG) टेस्ट कराना बेहद जरूरी है। लेकिन यह उन महिलाओं खासतौर से महत्व रखता है, जो प्रेग्नेंट हैं या गर्भ धारण करने की योजना बना रही हैं। एलर्जी का मां और बढ़ रहे भ्रूण दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। वहीं कुछ एलर्जी की दवाएं गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित नहीं होते। इसके अलावा अगर कोई महिला स्तनपान करा रही है, तो उसके लिए भी यह टेस्ट कराना बेहद जरूरी हो जाता है। इससे उसे उन फूड आइटम्स से बचने में मदद मिल सकती है, जो उन्हें या उनके बच्चे में एलर्जी पैदा कर सकता है।
बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट
अक्सर महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या देखने को मिलती है, जिसमें हड्डियां नाजुक और कमजोर हो जाती हैं। मेनोपज के बाद एस्ट्रोजन लेवल कम होने लगता है, जिसके कारण यह स्थिति और बिगड़ जाती है। यही वजह है कि इस दौरान हड्डियों की देखभाल करना और भी जरूरी हो जाता है। जो महिलाएं मेनोपॉज की स्थिती से गुजर रही हैं या फैक्चर झेल रही हैं, उन्हें अपने हड्डियों के डेंसिटी की पहचान करने के लिए DEXA नाम के टेस्ट से गुजरने की सलाह दी जाती है। हालांकि, कुछ महिलाएं इससे अनजान होती हैं, जिसके कारण उनमें बोन डेंसिटी कम हो जाती है। इसलिए विशेषज्ञ 35 साल और उससे ऊपर के उम्र की महिला को हर पांच साल में इस टेस्ट को कराने की सलाह देते हैं।
कंपलीट ब्लड काउंट
यह एक महत्वपूर्ण ब्लड टेस्ट है जिससे कई तरह की हेल्थ ईशूज की पहचान करने में मदद मिल सकती है। इससे संक्रमण, एनीमिया और ब्लड डिस्ऑर्डर जैसी परेशानियों का पता लगाया जा सकता है। इसके साथ ही, सीबीसी टेस्ट के जरिए रिप्रोडक्टिव हेल्थ की भी जांच की जा सकती है क्योंकि ये पीरियड्स के दौरान होने वाली हेवी ब्लीडिंग और कमजोर इम्यूनिटी के कारण का भी पता लगा सकता है। इससे महिलाएं प्रेग्नेंसी और पोर्स्टपार्टम के दौरान इंफेक्शन की चपेट में आने से बच सकती हैं।
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