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Ganesh Chaturthi : ये पांच कारणों की वजह से भगवान गणेश को प्रिय हैं मोदक, जानें
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गणेश जी की पूजा हो और प्रसाद में मोदक न हो, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। दरअसल, भगवान गणेश को मोदक बहुत प्रिय हैं। ये बात तो सभी जानते हैं। गणपति जी को भले ही छप्पन व्यंजन का भोग लगा दिया जाए लेकिन बिना मोदक के वह प्रसन्न नहीं होते हैं। यही वजह है कि गणेश जी की पूजा में मोदक का भोग अर्पित किया जाता है। गणपति उत्सव के दो दिन बचे हैं और लोग तैयारियों में जुट गए हैं। बप्पा को प्रसन्न करने और उनके पसंदीदा व्यंजन का भोग चढ़ाने के लिए लोग मोदक बनाने की अलग अलग रेसिपी खंगाल रहे हैं। लेकिन क्या आपको ये पता है कि आखिर गणेश जी को मोदक इतना प्रिय क्यों है? गणपति उत्सव या गणेश पूजा में मोदक का भोग क्यों लगाया जाता है? इसके पीछे खास वजह है, तो आइए जानते हैं कि गणेश जी को मोदक इतना प्रिय क्यों है।
गणेश जी को इन पांच वजह से पसंद है मोदक
पहली वजह: प्रचलित कथा के मुताबिक, एक बार भगवान शिव सो रहे थे और गणेश जी द्वार पर पहरा दे रहे थे। तभी परशुराम वहां पहुंचे तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर रोक दिया। परशुराम क्रोधित हो गए और गणेश जी से युद्ध करने लगे। युद्ध में परशुराम ने शिव जी द्वारा दिए गए परशु से गणेश जी पर प्रहार कर दिया। जिससे गणेश जी का एक दांत टूट गया। दांत टूटने से गणेश जी को खाने चबाने में परेशानी होने लगी तो उनके लिए मोदक तैयार करवाए गए। मोदक मुलायम होते हैं और इसे चबाना नहीं पड़ता है। इसलिए गणेश जी ने पेट भर कर मोदक खाए। तभी से मोदक गणपति का प्रिय व्यंजन बन गया।
दूसरी वजह: एक कथा गणेश जी और माता अनुसुइया से जुड़ी हुई है। एक बार गणपति जी माता पार्वती और भगवान शिव के साथ अनुसुइया के घर गए थे। माता अनुसुइया ने सोचा कि पहले गणेश जी को भोजन करा दिया जाए। वह गणेश जी को खाना खिलाती ही जा रहीं थीं पर गणपति की भूख खत्म ही नहीं हो रही थी। अनुसुइया ने सोचा कि कुछ मीठा खिला देती हूं तो शायद गणपति का पेट भर जाए। माता अनुसुइया ने गणेश जी को मोदक का एक टुकड़ा खिला दिया, जिसे खाते ही गणेश जी का पेट भर गया और उन्होंने जोर से डकार ली। इसके बाद भगवान शिव ने जोर-जोर से 21 बार डकार ली। तब से मोदक गणपति का प्रिय व्यंजन कहा जाने लगा।
तीसरी वजह: मान्यता है कि गणेश जी को अगर 21 मोदक चढ़ाएं जाते हैं तो उनके साथ साथ बाकी के सभी देवी- देवताओं का पेट भी भर जाता है। इसी वजह से गणपति को भोग में मोदक अर्पित किया जाता है। ताकि उनके साथ ही अन्य सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त हो सके।
चौथी वजह: शब्दों पर गौर करें तो मोद का अर्थ खुशी या हर्ष होता है। गणेश जी हमेशा खुश रहते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर उनके जीवन में भी खुशी लाते हैं। इसीलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। भक्त भी भगवान गणेश को खुश करने के लिए मोदक, जिसका अर्थ खुशी होता है, का भोग लगाते हैं।
पांचवी वजह: कहा जाता है कि मोदक अमृत से बना है। जिसको बनाने के बाद देवताओं ने एक दिव्य मोदक माता पार्वती को दिया था। गणेश जी जब अमृत से बने दिव्य मोदक के बारे में पता चला तो उनके मन में इसे खाने की इच्छा हुई। उन्होंने माता पार्वती से मोदक प्राप्त कर उसे खाया और तभी से उन्हें मोदक प्रिय हो गया।