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FSSAI की नई योजना, अब प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता न्यूट्रिएंट्स से नहीं रेटिंग से पता चलेगी, जाने बाते

Bhumika Sahu
11 July 2021 5:22 AM GMT
FSSAI की नई योजना, अब प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता न्यूट्रिएंट्स से नहीं रेटिंग से पता चलेगी, जाने बाते
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एफएसएसआई पैकेड फूड पर लेबल के जगह स्टार रेटिंग लाने की तैयारी में है. हालांकि दुनियाभर में स्टार रेटिंग प्रकिया का प्रयोग न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में किया जाता है. आइए जानते हैं इसके बारे में.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हम सभी जानते हैं अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक आहार बहुत जरूरी है. हम खाने पीने की पैकेट पर शुगर, नमक और कैलोरी की मात्रा देखने के बाद किसी प्रोडक्ट को खरीदते हैं. लेकिन क्या हो अगर इन चीजों की जगह फूड पैकेट पर रेटिंग की हों. हाल ही में भारतीय खाद्य संरक्षा एंव मानक प्रधिकरण (FSSAI) पैकेट बंद चीजों पर हेल्थ चेतवानी की जगह हेल्थ स्टार रेटिंग अपनाने की तैयारी में है. इसका मतलब है लोगों को ये समझ नहीं आएगा कि किसी प्रोडक्ट में चीनी, नमक या अन्य उत्पाद की मात्रा कितनी है.

विशेषज्ञों के अनुसार, इससे लोग हानिकारक प्रोडक्ट्स के बारे में अलर्ट नहीं होंगे. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, हेल्थ स्टार रटिंग से सिर्फ कंपनियों को फायदा होगा. इससे ये पता नहीं चलेगा कि प्रोडक्ट सेहत के लिए कितना नुकसानदायक है. किसी भी प्रोडक्ट में प्रोटीन और फाइबर की अच्छी मात्रा दिखाकर अच्छी रेटिंग ली सा सकती है. हालांकि इस नियम को दुनियाभर में सिर्फ दो देशों में लागू किया गया है.
एफएसएसएआई की बैठक में 25 जून को एक अधिकारी ने एचएसएसआर को एकमाज्ञ विकल्प बताया था. जबिक जनवरी की हुई बैठक में उपभोक्ता संगठन राजी नहीं हुए. 30 जून की बैठक एफसएसएआई ने बैठक में फ्रंट ऑफ पैक लेबल (एफओपीएल) के चयन के लिए आईआईएम जैसी संस्था से सर्वे कराने का फैसला लिया है.
दो देशों में लागू है हेल्थ स्टार रेटिंग
दरअसल WHO ने सभी प्रोडक्ट्स पर शुगर, नमक और कैलोरी की मात्रा लिखने को है. मैक्सिको, चिली समेत 10 देशों में इसे अनिलवार्य रूप से लागू किया गया है, जबकि 30 देशों ने स्वैच्छिक रूप से. वहीं न्यूजीलैड और ऑस्ट्रेलिया में स्टार रेटिंग लागू है. कैरोलिना की स्टडी के अनुसार, किसी भी प्रोडक्ट पर हाई चेतावनी का लेबल होने से उस प्रोडक्ट की ब्रिकी कम हो जाती है. एनजीओ कट्स इंटरनेशनल के चैयरमैन और एफएफएसएआई सेंट्रल एडावाइजरी कमेटी के सदस्य जॉर्ज चेरियन के अनुसार प्रोडक्ट में लेबल होना जरूरी है. इससे उपभोक्ता को पता चलता है कि वो जो खरीद रहा है कितना फायदेमंद है. वहीं, स्टार रेटिंग में ऐसा नहीं होता है.


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