लाइफ स्टाइल

खाली पेट फल खाने से लेकर दोपहर में फल न खाने तक

Kajal Dubey
14 May 2023 11:45 AM GMT
खाली पेट फल खाने से लेकर दोपहर में फल न खाने तक
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मिथक 1 : फल को हमेशा खाली पेट खाना चाहिए
सबसे अधिक मिथक देश में यही है कि फल को हमेशा खाली पेट खाना चाहिए। इसके मुताबिक किसी मील या भोजन के साथ फल खाने से डाइजेशन स्लो हो जाता है, जो विभिन्न समस्याओं का कारण बन सकता है। ऐसा करने से गैस, बेचैनी एवं अन्य परेशानी देखने को मिल सकती हैं।
यह सही है कि फल में मौजूद फाइबर से भोजन रिलीज प्रोसेस स्लो हो जाता है। लेकिन यह कुछ ही समय के लिए होता है। एक स्टडी के मुताबिक जो लोग फाइबर का सेवन करते हैं उनका पेट 72 मिनट से 86 मिनट में खाली हो जाता है। इसलिए ऐसा कोई सुबूत नहीं है जो इस दावे को सच बताएं।
मिथक 2 : खाने से पहले और बाद में फल खाने से न्यूट्रीएंट कम हो जाते हैं
यह मिथक लगभग पहले मिथक जैसा ही है, जो क्लेम करता है कि खाने से पहले और बाद में फल खाने से न्यूट्रीएंट कम हो जाते हैं। इसलिए उन्हें खाली पेट खाना चाहिए। इस बात में बिल्कुल सच्चाई नहीं है।
छोटी आंत पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए होती है। इसकी लंबाई 20 फीट (छह मीटर), 320 वर्ग फीट (30 वर्ग मीटर) के साथ अवशोषण एरिया बनाती है।
स्टडी से पता चलता है कि औसत व्यक्ति एक दिन में जितने न्यूट्रीएंट का सेवन करता है उससे दोगुना पोषक तत्व अब्जॉर्ब करने की क्षमता छोटी आंत की होती है। (2)
फल से पोषक तत्व प्राप्त करना आपके पाचन तंत्र के लिए आसान काम है, चाहे आप फल को खाली पेट खाएं या भोजन के साथ। इसलिए इस बात में कोई सच्चाई नहीं कि खाने से पहले और बाद में फल खाने से न्यूट्रीएंट कम हो जाते हैं।
मिथक 3 : डायबिटीज रोगी मील के 1-2 घंटे पहले फल खाएं।
डायबिटीज वालों को अक्सर सलाह दी जाती है कि भोजन से अलग फल खाने से डाइजेशन में सुधार होता है। ये बात बिल्कुल गलत है। इस बात का कोई वैज्ञानिक तथ्य मौजूद नहीं है कि अलग फल खाने से डाइजेशन में सुधार होता है।
दरअसल, अलग से फल खाने से उसमें मौजूद शुगर तेजी से ब्लड में मिल जाती है। इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए। फलों को अलग से खाने के बजाय, भोजन के साथ या स्नैक के रूप में प्रोटीन, फाइबर या फैट वाले फूड के साथ खाना डायबिटीज वालों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसका कारण है कि प्रोटीन, फाइबर और फैट वाले फूड को आंत धीरे-धीरे रिलीज करती है जिससे ब्लड में शुगर कम मात्रा में पहुंचती है। (3)
स्टडी के मुताबिक फल में पाया जाने वाला 7.5 ग्राम घुलनशील फाइबर भोजन के बाद 25% तक ब्लड शुगर में वृद्धि को कम कर सकता है। हालांकि डायबिटीज रोगियों में डाइजेशन संबंधित समस्याएं रहती हैं लेकिन ये फल के कारण नहीं होती।
मिथक 4 : फल खाने का सबसे अच्छा समय दोपहर को
इस मिथ के पीछे भी कोई साइंटिफिक फैक्ट नहीं है, जो इसे प्रूव कर सके। अक्सर कहा जाता है कि दोपहर में मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है और ऐसे में तेज शुगर वाले फूड का सेवन करना चाहिए। इससे डाइजेस्टिव सिस्टम बूस्ट होता है। ये बात बिल्कुल गलत है।
दरअसल, कार्ब युक्त भोजन अस्थायी रूप से ब्लड शुगर बढ़ाता है। इसलिए ऐसा करना समझदारी नहीं होता। इसलिए डाइजेशन को बूस्ट करने की कोई जरूरत नहीं होती, जैसे ही आप फूड का सेवन करते हैं वो ऑटोमेटिक बूस्ट हो जाता है। (9)
यह भी सच है कि सुबह के समय फल खाने में कोई बुराई नहीं है और दिन में किसी भी समय फल खा सकते हैं।
मिथक 5 : दोपहर 2 बजे के बाद फल नहीं खाने चाहिए।
दोपहर 2 बजे के बाद फल न खाने के बारे में भी लोग अक्सर पूछते हैं। यह बात भी पूरी तरह गलत है। दरअसल, दोपहर 2 बजे के बाद फल या कोई कार्ब्स खाने से ब्लड शुगर बढ़ जाता है जिससे आपको नींद आएगी और वजन बढ़ सकता है। हालांकि इसमें डरने वाला कोई बात नहीं है।
इसका कोई सुबूत नहीं है कि दिन के किसी अन्य समय की तुलना में आपका ब्लड शुगर लेवल दोपहर 2 बजे के बाद अधिक बढ़ा हुआ होगा। वहीं डरने का कोई कारण नहीं है कि दोपहर में फल खाने से वजन बढ़ेगा।
इस बात के कई सुबूत हैं कि जो लोग दिन में बहुत सारे फल और सब्जियां खाते हैं उनका वजन अधिक कम होता है और बहुत कम बढ़ता है।
17 रिव्यू में पाया गया था कि जिन लोगों में फलों का सबसे अधिक सेवन किया गया था, उनमें मोटापे के खतरे में 17% की कमी आई थी। इसलिए फल का सेवन कभी भी कर सकते हैं। (5)
Kajal Dubey

Kajal Dubey

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